Pancreatic cancer: पैंक्रियाटिक कैंसर का निदान कैसे करें?

पैंक्रियाटिक कैंसर के निदान के लिए कई तरह के टेस्ट किए जाते हैं. यह एक गंभीर बीमारी है. इसके इलाज़ में समय लगता है. आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं...

By Jaya Soni | August 30, 2024 2:08 PM

Pancreatic cancer: पैंक्रियाटिक कैंसर एक गंभीर बीमारी है, जिसमें अग्न्याशय (पैंक्रियास) के टिशू में कैंसर की कोशिकाएं बनने लगती हैं. यह कैंसर जल्दी फैल सकता है और इसका निदान प्रारंभिक चरणों में करना मुश्किल होता है. इसलिए, समय पर सही परीक्षण और निदान महत्वपूर्ण हैं.

1. शारीरिक परीक्षण और स्वास्थ्य इतिहास

पैंक्रियाटिक कैंसर का निदान करने के लिए डॉक्टर पहले मरीज के स्वास्थ्य इतिहास और लक्षणों के बारे में पूछताछ करते हैं. इस दौरान वे पेट के हिस्से में सूजन, पीलिया (जॉन्डिस), वजन घटने, भूख में कमी और पेट या पीठ में दर्द जैसे लक्षणों की जांच करते हैं.

2. लैब टेस्ट

रक्त परीक्षण (Blood Test)- कुछ विशेष प्रकार के ब्लड टेस्ट से कैंसर के संकेतकों की पहचान की जा सकती है. इसमें विशेष रूप से CA 19-9 नामक एक ट्यूमर मार्कर की जांच की जाती है.

लिवर फंक्शन टेस्ट (Liver Function Test)- इस परीक्षण से जॉन्डिस की वजह को समझने में मदद मिलती है, जो पैंक्रियाटिक कैंसर के कारण हो सकता है.

3. इमेजिंग टेस्ट (Imaging Tests)

सीटी स्कैन (CT Scan)- सीटी स्कैन से शरीर के अंदर के हिस्सों की विस्तृत तस्वीरें मिलती हैं, जिससे ट्यूमर की स्थिति और आकार की जानकारी मिल सकती है.

एमआरआई (MRI)- एमआरआई भी सीटी स्कैन की तरह ही शरीर की तस्वीरें लेने में मदद करता है, लेकिन इसमें चुंबकीय तरंगों का उपयोग किया जाता है.

ईयूएस (EUS – Endoscopic Ultrasound)- इस परीक्षण में एक एंडोस्कोप के जरिए पैंक्रियास की तस्वीरें ली जाती हैं, जो कैंसर की मौजूदगी का पता लगाने में सहायक होती हैं.

4. बायोप्सी (Biopsy)

बायोप्सी में डॉक्टर संदिग्ध टिशू का एक छोटा सा हिस्सा निकालकर उसकी जांच करते हैं. यह पैंक्रियाटिक कैंसर की पुष्टि करने का सबसे प्रभावी तरीका है. बायोप्सी के लिए एफएनए (Fine Needle Aspiration) नामक तकनीक का उपयोग किया जाता है.

5. पीईटी स्कैन (PET Scan)

पीईटी स्कैन एक प्रकार का इमेजिंग टेस्ट है, जिसमें रेडियोधर्मी शुगर का उपयोग करके कैंसर कोशिकाओं की गतिविधि को देखा जाता है. यह कैंसर के फैलाव का पता लगाने में मददगार होता है.

6. एंडोस्कोपिक रेट्रोग्रेड कोलांजियोपैनक्रिएटोग्राफी (ERCP)

इस परीक्षण में एक एंडोस्कोप का उपयोग करके बाइल डक्ट और पैंक्रियाटिक डक्ट की जांच की जाती है. इसमें किसी भी रुकावट या असामान्यता का पता लगाया जा सकता है, जो कैंसर का संकेत हो सकता है.

Also read: Rectal cancer: रेक्टल कैंसर के कारण, लक्षण और बचाव के उपाय

पैंक्रियाटिक कैंसर का निदान जटिल हो सकता है, लेकिन सही समय पर उचित परीक्षण कराकर इसे नियंत्रित किया जा सकता है. अगर किसी को लंबे समय से पेट में दर्द, वजन घटने, पीलिया, या अन्य असामान्य लक्षण महसूस हो रहे हों, तो उन्हें तुरंत डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए. प्रारंभिक चरण में निदान होने पर उपचार के बेहतर परिणाम मिल सकते हैं.

Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.

Next Article

Exit mobile version