Postpartum Depression : क्यों होती हैं नई मायें पोस्ट पार्टम डिप्रेशन का शिकार ? जानिए पूरी वजह
Postpartum Depression : प्रसवोत्तर अवसाद या पोस्टपार्टम डिप्रेशन एक मानसिक स्थिति है जो बच्चों के जन्म के बाद महिलाओं एवं पुरुषों दोनों को प्रभावित करती है. यह 100% में से 15% लोगों को अपना शिकार बनाती है.
Postpartum Depression : प्रसवोत्तर अवसाद या पोस्टपार्टम डिप्रैशन एक मानसिक स्थिति है जो बच्चों के जन्म के बाद महिलाओं एवं पुरुषों दोनों को प्रभावित करती है. यह 100% में से 15% लोगों को अपना शिकार बनाती है. जिन लोगों को पोस्टपार्टम डिप्रेशन की समस्या होती है वह अक्सर ज्यादा जज्बाती हो जाते हैं, असामान्य रूप से रोने लगते हैं, हर वक्त पश्चाताप की भावना उनके मन में रहती है, एंजायटी और बच्चों का ध्यान रखने में कठिनाई जैसी समस्याएं होती हैं.
एक बच्चे को दुनिया में लाना एक बहुत ही सुंदर अनुभव होता है मां-बाप का किरदार निभाने जितना ही रोमांचक होता है उतना ही थकावट भरा और चिंताजनक हो सकता है. अपने बच्चों की चिंता करना, उसके लिए सचेत रहना,, खास करके तब जब आप पहली बार मां-बाप बन रहे हो, स्वाभाविक होता है.
लेकिन अगर यही भावनाएं अत्यंत अवसादित रहने और अकेलेपन, गंभीर मूड स्विंग्स और बार-बार रोने में परिवर्तित हो जाए तो इसे पोस्टपार्टम डिप्रैशन कहते हैं. यह केवल जन्मदातरी मां या बाप को ही नहीं बल्कि सरोगेट मदर और गोद लेने वाले मां-बाप को भी हो सकती है. इस स्थिति में लोग बच्चे के जन्म के बाद शारीरिक, मानसिक, हार्मोनल, आर्थिक, सामाजिक और भावुक रूप से बदलाव महसूस करते हैं. इन्हीं बदलावों के परिणाम स्वरूप कुछ मां-बाप पोस्टपार्टम डिप्रेशन का शिकार हो जाते हैं.
पोस्ट पार्टम डिप्रेशन किसे होता है ?
पोस्ट पार्टम डिप्रेशन नई मायें, पिता, सरोगैट मां, बच्चा गोद लेने वाले माता पिता को होता है. इसके लक्षण हैं तनाव ग्रस्त होना, अवसादित, चिड़चिड़ा रहना और अत्यंत, अकारण रोने लगना. यह व्यतिगत और पारिवारिक तनाव और डिप्रेशन के इतिहास के कारण भी हो सकता है.
Postpartum Depression : पोस्टपार्टम डिप्रैशन के लक्षण
- बेहद अवसादित, उपेक्षित ,पश्चाताप और निराशा महसूस करना
- बहुत ज्यादा चिंता करना
- मनपसंद चीजें करने में दिलचस्पी खो बैठना
- भूख न लगना और अल्प आहार लेना
- शरीर में ऊर्जा और प्रेरणा की कमी
- सोने में कठिनाई होना या फिर हर वक्त सोते रहना
- अकारण बहुत ज्यादा रोने लगना
- सोने में और ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई
- आत्महत्या जैसे ख्याल आना या करने की इच्छा जताना
- अपने बच्चों का ध्यान रखने में दिलचस्पी न होना या फिर उसके आसपास आने से एंजायटी महसूस करना
- बच्चों को नुकसान पहुंचाने वाले विचार आना या बच्चे को अनचाही नजरों से देखना
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Postpartum Depression : पोस्टपार्टम डिप्रैशन के रिस्क को बढ़ाने वाले कारक
- पारिवारिक या व्यक्तिगत तनाव और डिप्रेशन का इतिहास
- पोस्टपार्टम डिप्रैशन और प्री मेंस्ट्रूअल डिस्फोरिक डिसऑर्डर का इतिहास
- सीमित सामाजिक समर्थन
- विवाह में या रिश्तों से संबंधित विवाद
- अनचाही प्रेगनेंसी
- गर्भधारण करने में कठिनाइयां जैसे की शारीरिक समस्याएं जन्म देने में समस्या या समय से पहले बच्चे का जन्म होना
- कम उम्र में मन बना या इकलौते पैरंट होना
- बच्चों का ज्यादा चिड़चिड़ा होना या रोना या फिर उसकी खास जरूरतें होना
Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.