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Pregnancy Tips : अगर आप भी चाहती हैं नॉर्मल डिलीवरी, तो फॉलो करें इन 10 टिप्स को..

Pregnancy Tips : आजकल की बदलती लाइफस्टाइल में गर्भवती महिलाओं के लिए नॉर्मल डिलीवरी एक सपने जैसा होता है. दरअसल खान पान और फिजिकल एक्टिविटी में कमी के चलते बच्चों की नॉर्मल डिलीवरी काफी मुश्किल हो जाती है और डॉक्टर भी ऐसी महिलाओं को सर्जरी की ही सलाह देते हैं.

By Shreya Ojha | July 26, 2024 6:30 PM
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Pregnancy Tips : आजकल की बदलती लाइफस्टाइल में गर्भवती महिलाओं के लिए नॉर्मल डिलीवरी एक सपने जैसा होता है. दरअसल खान पान और फिजिकल एक्टिविटी में कमी के चलते बच्चों की नॉर्मल डिलीवरी काफी मुश्किल हो जाती है और डॉक्टर भी ऐसी महिलाओं को सर्जरी की ही सलाह देते हैं. सर्जिकल डिलीवरी में भी किसी प्रकार का खतरा नहीं होता है, अगर आपका आपका स्वास्थ्य सलाहकार अच्छा है और आपके गर्भधारण करने में कोई और कॉम्प्लिकेशंस नहीं है तो, लेकिन सिजेरियन डिलीवरी में गर्भवती महिलाओं को काफी तकलीफों का सामना करना पड़ता है. सिजेरियन डिलीवरी के बाद कम से कम एक महीने तक महिलाओं को उठने बैठने और बच्चों का ध्यान रखने में काफी तकलीफों का सामना करना पड़ता है, इसके अलावा सी सेक्शन के बाद महिलाओं को काफी ज्यादा दर्द, बच्चों को दूध पिलाने में तकलीफ, 6 हफ्तों तक रक्तस्राव की समस्या और इसके बाद गर्भ धारण करने में समस्याएं आदि परेशानियों हो सकती है. इसीलिए बहुत सी महिलाएं नॉर्मल डिलीवरी की इच्छा रखती हैं, तो चलिए आसान नॉर्मल डिलीवरी के लिए कारगर उपायों के बारे में जानते हैं.

Pregnancy Tips : नॉर्मल डिलीवरी और सी सेक्शन में अंतर

नॉर्मल डिलीवरी प्राकृतिक डिलीवरी होती है जिसमें माता अपने अपने बच्चों को योनि से जन्म देती है या बच्चों के जन्म का सबसे आम तरीका होता है और किन्ही मामलों में यह हेल्दी तरीका भी होता है इससे महिलाएं जल्दी रिकवर भी हो जाती है. जबकि सी सेक्शन में शिशु की शल्य चिकित्सा हो या सर्जरी द्वारा डिलीवरी की जाती है इस प्रक्रिया में शिशु का जन्म मां के पेट और गर्भाशय में चीरा लगाकर बच्चे को निकाला जाता है सर्जिकल डिलीवरी तभी होती है जब या मां और बच्चे दोनों के लिए सुरक्षित होती है.

Pregnancy Tips : नॉर्मल डिलीवरी के लिए 10 उपाय

Pregnancy Tips :नियमित रूप से व्यायाम करना

गर्भवती महिलाओं को गर्भ के 6 से 7 माह तक रोज एक्सरसाइज और योग करना काफी अच्छा होता है अगर आप पैरेंटल क्लासेस लेती है तो उसमें एक्सरसाइज और योग के बारे में प्रॉपर गाइडेंस भी दी जाती है. इससे नॉर्मल डिलीवरी में काफी मदद मिलती है, लेकिन गर्भवती महिलाएं बिना अपने डॉक्टर से पूछे किसी भी तरह का योगासन या एक्सरसाइज नहीं करें.

तनाव कम करें

गर्भवती महिलाओं को तनाव चिंता और अत्यधिक मानसिक दबाव लेने की वजह से भी प्रेगनेंसी में कई कॉम्प्लिकेशंस आते हैं इसीलिए ऐसी स्थिति में जितना हो सके तनाव नहीं लेना चाहिए क्योंकि इसकी वजह से आपके बच्चे के जन्म पर काफी असर पड़ता है तनाव न लेने से आपका शरीर और बच्चा दोनों सेहतमंद रहते हैं जिससे नॉर्मल डिलीवरी में भी मदद मिलती है.

संतुलित आहार

गर्भावस्था के दौरान संतुलित आहार और पौष्टिक खाद्य पदार्थ लेने से मां और बच्चा दोनों स्वस्थ रहते हैं और बच्चे का विकास भी अच्छे से होता है और इससे शरीर को काफी ताकत भी मिलती है जिससे नॉर्मल डिलीवरी में मदद मिलती है.

वजन नियंत्रण

गर्भावस्था के दौरान कई महिलाओं का भजन बढ़ जाता है और यह काफी साधारण भी होता है लेकिन ऐसे वक्त में आपको जंक फूड और ज्यादा कैलोरी वाले खाद्य पदार्थों का सेवन कब करना चाहिए और अपना वजन नियंत्रित रखना चाहिए क्योंकि वजन बढ़ाने से भी प्रेगनेंसी में कॉम्प्लिकेशंस आ सकते हैं.

पानी का संतुलित मात्रा में सेवन करें

गर्भवती स्त्रियों को अपने वॉटर इनटेक का ध्यान रखना चाहिए और अधिक मात्रा में पानी का सेवन करना चाहिए जिससे शरीर में पानी की कमी न होने पाए और सर दर्द एवं फतिग जैसी समस्या भी न होने पाए गर्भवती स्त्रियों को कम से कम 8 से 10 क्लास पानी प्रतिदिन पीना चाहिए अगर आप सदा पानी नहीं पी पाती हैं तो नारियल का पानी या फिर फ्रूट जूस कभी-कभी चुन सकती है.

श्वास व्यायाम

गर्भवती स्त्रियों को श्वास व्यायाम जरूर करना चाहिए इससे रक्त संचार बेहतर होता है और बच्चों के विकास में भी यह मदद करता है इससे तनाव भी काम होता है जो बच्चों की नॉर्मल डिलीवरी में मदद करता है.

पैरेंटल क्लासेस लें

पैरेंटल क्लासेस लेने से गर्भवती स्त्रियों को गर्व और बच्चों की परवरिश और गर्भावस्था में अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखने के के लिए जागरूक किया जाता है और बहुत सारी जानकारी भी मिलती है जो माता और आपके बच्चे की हेल्थ का ध्यान रखने के लिए मददगार होती हैं.

सकारात्मक सोच

गर्भवती स्त्री का शारीरिक एवं मानसिक दोनों ही रूप से स्वस्थ एवं सकारात्मक रहना बहुत जरूरी होता है गर्भवती स्त्रियों को अपने आसपास की नकारात्मक चीजों पर ध्यान नहीं देना चाहिए और केवल बेहतर सोचना चाहिए अगर वह पहले से ही मन में भ्रम और नकारात्मक बातें लाएंगी तो इससे उनके स्वास्थ्य पर भी असर पड़ेगा और नॉर्मल डिलीवरी भी मुश्किल हो जाएगी.

अपनों का साथ

गर्भावस्था के दौरान महिलाओं के लिए उनके पति और उनके परिवार जन्म का उनके साथ रहना और उनके लिए एक अच्छा इमोशनल सपोर्ट सिस्टम बना बहुत आवश्यक होता है ध्यान रखें कि आप और आपके परिवारजन और पति भी नॉर्मल डिलीवरी की ही इच्छा रखें इससे आपको लीवर के दौरान काफी ज्यादा सहायता और आत्मविश्वास मिलता है और इसे आपको तनाव भी नहीं होता है और आपका मन अवसादित नहीं रहता.

बेहतर नींद

गर्भवती स्त्री के लिए उसकी नींद पूरी होना बहुत ही ज्यादा जरूरी होता है क्योंकि नींद ना पूरी होने की वजह से सर दर्द तनाव और अवसाद की स्थिति पैदा होती है जिससे प्रेगनेंसी में कई सारे कॉम्प्लिकेशंस आने का खतरा हो सकता है इसीलिए गर्भवती स्त्रियों को 8 से 9 घंटे की नींद लेना बहुत जरूरी होता है.

Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.

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