आयुर्वेदिक व होमियोपैथिक दवाओं से भी डेंगू से बचाव संभव, जानिए इसके उपाय
इन दिनों हर दिन 100 से 200 डेंगू के नये मामले सामने आ रहे हैं. डॉक्टरों के अनुसार यह रोग मुख्यत: उन लोगों को परेशान करता है, जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है. आयुर्वेद और होमियोपैथी में कई ऐसी दवाएं हैं, जिनकी मदद से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ा कर डेंगू के संक्रमण को रोकने में मदद मिलती है.
हमारे देश में बरसात के समय से लेकर मध्य नवंबर तक डेंगू का प्रकोप अधिक देखने को मिलता है. खासकर इस समय पटना समेत कई इलाकों में डेंगू के मामले काफी तेजी से बढ़े हैं. डेंगू को मेडिकल टर्म में ब्रेकबोन फीवर या हड्डी तोड़ बुखार भी कहा जाता है. यह मादा एडीज मच्छर के काटने पर फ्लेवि डेंगू वायरस के फैलने से होता है, जो चार प्रकार के होते हैं. डेंगू बुखार का कोई विशिष्ट उपचार उपलब्ध नहीं है, लेकिन इसे खतरनाक होने से रोका जा सकता है. ऐसे में जरूरी है कि हम डेंगू के लक्षणों को कैसे पहचानें, घर पर क्या उपाय कर सकते हैं, डॉक्टर के पास कब जाना चाहिए व इससे बचाव के लिए क्या किया जा सकता है.
आयुर्वेद की मदद से बचाव
डेंगू से बचाव के लिए गिलोय वटी एक-एक गोली दो बार लें. इससे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहतर होती है, रोग दूर रहता है. पूरा शरीर ढक कर रखने वाले कपड़े पहनें. यदि रोग हो जाये, तो गिलोय वटी एक-एक गोली दो बार लेने से लाभ मिलता है. कई बार बच्चों को वटी खाने में परेशानी होती है ऐसे में उन्हें अमृतारिष्ट दो-दो चम्मच दो बार देने से रोग जल्द ही ठीक हो जाता है. अधिक से अधिक तरल द्रव का सेवन करना चाहिए. हल्का खाना लें. गेहूं के मुकाबले ज्वार की रोटी बेहतर है. यदि बुखार हो, तो महाज्वरांकुश रस एक-एक गोली दो बार 10 दिनों तक लें.
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प्लेटलेट की संख्या कम हो तो, पपीता के पत्ते का स्वरस मिश्री मिला कर लेने से लाभ मिलता है. इससे प्लेटलेट की संख्या भी बढ़ जाती है. इसे 15 से 20 दिनों तक लेना चाहिए. महासुदर्शन घनवटी दो-दो गोली दो बार लें. हालांकि, रोग अधिक होने पर हैमरेज होने लगता है और खून में प्लेटलेट की संख्या काफी कम हो जाती है. ऐसी स्थिति में रोगी को अस्पताल में भर्ती करा कर इलाज कराना पड़ता है.
होमियोपैथी की मदद से बचाव
डेंगू के संक्रमण के होने का प्रमुख कारण रोग प्रतिरोधक क्षमता का कम होना है. छींक आने के साथ नाक व आंख से पानी आना, शरीर व मांसपेशियों में असहनीय दर्द हो. ऐसा लगे की हड्डियां टूट जायेंगी. ये लक्षण दिखें, तो यूपाटोरियम पर्फ (Eupatorium perf) 200 सीएच शक्ति की दवा चार-चार बूंद, चार-चार घंटे पर लेने से शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है और आम डेंगू के प्रकोप से बच सकते हैं.
अगर जांच में डेंगू की पुष्टि हो गयी है, हाइ फीवर, बदन में असहनीय दर्द, ऐसा लगे जैसे हड्डियां टूट जायेंगी, प्लेटलेट कम हो रहा हो, तो इन दवाओं के सेवन से रोग ठीक हो जाता है. यूपाटोरियम पर्फ (Eupatorium perf) 30 सीएच शक्ति की दवा दो-दो घंटे के अंतराल पर चार-चार बूंद लें. टिनोस्पोरा (Tinospora-Q) मदर टिंचर और कैरिका पपाया मदर टिंचर (Carica Papaya-Q)शक्ति में 10-10 बूंद सुबह-दोपहर-रात आधे कप पानी मिला कर लेने से डेंगू से निदान मिल जायेगा.
डेंगू मरीज मच्छरदानी के भीतर ही रहें
एडीज मच्छर घर में या आसपास इकट्ठा हुए साफ पानी में पनपता है जैसे- घर में रखे गमलों, कूलर, बाल्टी, आंगन में ढलान के कारण काफी दिनों से जमा पानी में या फिर घर के आसपास छोटे-छोटे गड्ढों में. एडीज काले-सफेद रंग का धारीदार मच्छर है, जो दिन के समय भी काटता है. डेंगू पीड़ित व्यक्ति को काटने पर एडीज मच्छर खुद डेंगू वायरस से संक्रमित हो जाता है. संक्रमित मच्छर, जब किसी दूसरे व्यक्ति को काटता है, तो डेंगू के वायरस दूसरे व्यक्ति के शरीर में भी पहुंच जाते हैं और उसे संक्रमित करते हैं.
पांच से छह दिन बाद दिखता है असर
डेंगू से संक्रमित व्यक्ति के शरीर में वायरस 4 से 6 दिन के इंक्यूबेशन पीरियड में रहता है, तब यह वायरस मल्टीपल हो कर ब्लड के साथ पूरे शरीर में सर्कुलेट करने लगता है. छह दिन के बाद बुखार आने लगता है और मरीज में ये लक्षण भी दिखाई देते हैं जैसे- हल्का बुखार आना, 4-5 दिन बाद ब्लड प्लेटलेट बहुत कम हो जाना, गला खराब होना, शरीर टूटने लगना, पूरे शरीर खासकर पीठ और सिर में बहुत तेज दर्द होना, आंखों के पीछे बहुत तेज दर्द होना. कई बार डेंगू शरीर में पहुंच कर लिवर व गॉल ब्लडर को भी संक्रमित करने लगता है, तब मरीज की हालत गंभीर हो जाती है.
डेंगू से कैसे करें अपना बचाव
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यह एडीज मच्छर के काटने से ही होता है. डेंगू कभी भी एक शख्स से दूसरे के संपर्क में आने से नहीं फैलता.
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अगर किसी को डेंगू हो गया है और उसे काटने के बाद मच्छर ने दूसरे शख्स को भी काट लिया, तो दूसरे शख्स को डेंगू होने का खतरा जरूर होगा, इसलिए घर में जब भी किसी को डेंगू हो, तो उसे मच्छरदानी में ही सुलाएं और मच्छर भगाने के लिए मस्कीटो रिपेलेंट जैसे- स्प्रे, मैट्स, कॉइल्स आदि का इस्तेमाल करें, ताकि मच्छर फिर से उसे काटकर बाकी सदस्यों को बीमार न कर सकें. बाकी लोग भी मच्छरदानी में सोएं. खासकर, अभी डेंगू के मामले तेजी से सामने आ रहे हैं, तो कोई लापरवाही न करें.
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घर में या घर के आसपास गड्ढों, कंटेनरों, कूलरों आदि में पानी भरा हो और घास-फूस, गंदगी जमा हो तो इससे मच्छर पनपने की पूरी गुंजाइश होती है. ऐसी कोई भी जगह खाली न छोड़ें. कहीं भी पानी जमा न होने दें. गमले चाहे घर के भीतर हों या बाहर, इनमें पानी जमा न होने दें.
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छत पर टूटे-फूटे डिब्बे, टायर, बर्तन, बोतलें आदि न रखें या उन्हें उलटा करके रखें. छत पर लगी पानी की टंकी भी अच्छी तरह बंद करके रखें.
कब हों अस्पताल में भर्ती
डेंगू बुखार के लक्षण इस बात पर निर्भर करते हैं कि डेंगू बुखार सधारण है या हैमरेजिक, या फिर डेंगू शॉक सिंड्रोम. यदि मरीज में बुखार 102 डिग्री से ज्यादा लगातार बना रहे, आंखों के चारों तरफ तेज दर्द हो, बेहद कमजोरी महसूस हो, शरीर पर बहुत ज्यादा लाल चकत्ते या दाने हो, बीपी और पल्स का गिर रहा हो, शरीर एकदम से गर्म या ठंडा हो रहा हो, पेट में तेज दर्द हो आदि लक्षण दिखें, तो मरीज को नजदीकी अस्पताल में तुरंत भर्ती करना चाहिए.
साधारण डेंगू
आमतौर पर इसी तरह के डेंगू के मरीज ज्यादा देखे जाते हैं. इसमें बुखार आने के पहले 4 दिनों तक प्लेटलेट्स सामान्य ही होते हैं. बुखार रहता है, लेकिन बाकी लक्षण नहीं उभरते. फिर 5वें से 7वें दिन तक प्लेटलेट्स की संख्या थोड़ी कम होने लगती है. फिर 8वें या 9वें दिन से प्लेटलेट्स की संख्या बढ़ने लगती है और 4 से 5 दिनों में यह काफी सामान्य या उसके करीब पहुंच जाती है. अपने मन से कोई दवाई लेने की जगह डॉक्टर से सलाह दवाई लेकर घर पर ही देखभाल व उपचार से मरीज ठीक हो सकते हैं.
डेंगू हेमरैजिक
इस स्थिति में बुखार 102 डिग्री से ज्यादा बनी रहती है. दवाई देने के बाद भी बुखार बार-बार आ जाता है. मरीज की स्थिति 5वें दिन पहुंचते-पहुंचते खराब होने लगती है. बहुत ज्यादा कमजोरी आने लगती है. प्लेटलेट्स के अचानक कम होने की वजह से मुंह, नाक, यूरिन या स्टूल आदि से खून भी निकल सकता है. मरीज को उल्टी होती है. मांसपेशियों में बहुत तेज दर्द होगा, कमर और सिर में तेज दर्द होगा. आंखों के पास और आंखों में असहनीय दर्द होगा. इस स्थिति में अस्पताल जाने में देर नहीं करनी चाहिए.
डेंगू शॉक सिंड्रोम
हेमरैजिक स्टेज के बाद मरीज की स्थिति और खराब होने पर मरीज शॉक में पहुंच जाता है. डेंगू बुखार के मामले में यह बहुत ज्यादा खतरनाक स्टेज है. बीपी कम होकर 70/40 तक या इससे भी कम हो सकता है. इससे किडनी, लिवर, हार्ट आदि के फेल होने की आशंका बढ़ जाती है. इस स्थिति में आइसीयू में जाने की जरूरत होती है.
Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.