Red meat and diabetes: रेड मीट खाने से टाइप-2 डायबिटीज का खतरा अधिक
रेड मीट, जैसे बीफ, पोर्क और मटन का सेवन हमारे आहार में एक ज़रूरी भूमिका निभाते हैं. हालांकि, यह स्वादिष्ट और प्रोटीन से भरपूर होता है, लेकिन इसके ज़्यादा सेवन से टाइप-2 डायबिटीज का खतरा बढ़ता है. विस्तार से समझें...
Red meat and diabetes: टाइप-2 डायबिटीज एक ऐसी बीमारी है जिसमें शरीर इंसुलिन का सही तरीके से उपयोग नहीं कर पाता. इससे खून में शुगर का स्तर बढ़ जाता है, जो कई स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है. यह बीमारी जीवनशैली से जुड़ी होती है, जिसमें खान-पान की आदतें महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं.
रेड मीट और टाइप-2 डायबिटीज का संबंध
रेड मीट में संतृप्त वसा (saturated fat) और ट्रांस फैट (trans fat) की मात्रा अधिक होती है, जो शरीर में सूजन (inflammation) को बढ़ावा दे सकती है. यह सूजन इंसुलिन की कार्यक्षमता को प्रभावित करती है, जिससे टाइप-2 डायबिटीज का खतरा बढ़ता है. इसके अलावा, रेड मीट में मौजूद उच्च मात्रा में हीम आयरन (heme iron) भी इंसुलिन के प्रति शरीर की संवेदनशीलता को कम कर सकता है.
अधिक प्रोसेस्ड रेड मीट का सेवन
प्रोसेस्ड रेड मीट, जैसे बेकन, सॉसेज और हॉट डॉग, में नमक, प्रिज़र्वेटिव और एडिटिव्स अधिक होते हैं. इनके अधिक सेवन से न केवल टाइप-2 डायबिटीज का खतरा बढ़ता है, बल्कि हृदय रोग और उच्च रक्तचाप जैसी अन्य स्वास्थ्य समस्याएं भी हो सकती हैं.
स्वास्थ्य के लिए बेहतर विकल्प
यदि आप अपने आहार में रेड मीट को कम करना चाहते हैं, तो इसके बजाय आप चिकन, मछली, और दालों का सेवन कर सकते हैं. ये विकल्प प्रोटीन से भरपूर होते हैं और इनके सेवन से टाइप-2 डायबिटीज का खतरा कम हो सकता है.
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रेड मीट का सेवन स्वादिष्ट हो सकता है, लेकिन इसे नियमित आहार का हिस्सा बनाने से पहले इसके स्वास्थ्य पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों पर ध्यान देना जरूरी है. रेड मीट का अधिक सेवन टाइप-2 डायबिटीज के खतरे को बढ़ा सकता है, इसलिए इसे सीमित मात्रा में और स्वस्थ विकल्पों के साथ संतुलित करना ही बेहतर होगा.