Relationships Tips : अरे, मैंने तो ये पसंद किया था तुमने इसे क्यों फाइनल कर दिया ? मुझे ये फर्नीचर पसंद है तुम ये उठा ले आए ! कई घरों में शादीशुदा जोड़ों में ऐसे मतभेद सामने आते हैं जहां किसी भी मसले पर दो लोगों की अलग – अलग सोच टकराती रहती है. घर का कोई सामान लेना हो या बच्चों के भविष्य को लेकर कोई प्लान. घर के अनगिनत मुद्दे हैं जिसमें जल्दी से सही निर्णय लेना उतना आसान नहीं दिखता. यह समस्या उतनी भी जटिल नहीं है जितनी यह हमारे ऊपर हावी दिखती है. कोई ऐसा फैसला जो लाइफ पार्टनर को मिलकर करना है उसमें सबसे जरूरी बात है कि दोनों एक -दूसरे की भावनाओं को समझें . अकेले सोचने की जगह टीम के रूप में सोच कर काम करें कि जो फैसला वो ले रहे हैं वो क्या वाकई सही है. इन फैसलों में रिलेशनशिप और डेली रूटीन से जुड़े छोटे फैसले भी शामिल हो सकते है. जिन लोगों के रिश्तों में वो खास लगाव नहीं होता वहां निर्णय लेने में कठिनाई होती है. इनके लिए किसी एक मुद्दे पर आपसी सहमति बनानी किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है. क्यूंकि पहले से भावनात्मक लगाव की कमी है . ऐसे में इनमें बीच का रास्ता निकालना भी आसान नहीं होता लिहाजा कोई निर्णय अंतिम नहीं होता. बात जहां से शुरू होती है वो आगे बढ़ती नहीं बस बहस पर आकर खत्म हो जाती है जो बेनतीजा होती है. रिलेशनशिप एक्सपर्ट की माने तो कुछ बातों का ध्यान रखने से हम आपसी रिश्ते में मिठास घोल सकते हैं.
सबसे पहले तो यह सोचना चाहिए कि ना तो आपका लाइफ पार्टनर अकेला है ना ही आप. इसलिए दोनों एक ही परिवार का हिस्सा है इस बात को समझ लें. इसके बाद ही कोई निर्णय लें क्योंकि इस निर्णय से आखिरकार आप दोनों और आपका परिवार ही प्रभावित होगा.
एक टीम की भावना से लिए गए निर्णय में किसी एक लाइफपार्टनर की नाराजगी का कोई सवाल नहीं उठता. अगर आपका साथी नाराज भी है तो उससे बात करने पर उसे अपनी अहमियत का एहसास होगा.
किसी भी मुद्दे पर बातचीत के समय धैर्य को बनाए रखें. कोई बड़ा निर्णय लेना उतना आसान नहीं होता इसमें कई बार बातचीत की जरूरत होती है.
भावनाओं में बहकर नहीं तथ्यों के आधार पर ही कोई फैसला लें. अगर आपका साथी इमोशनली अपने फैसले पर कायम है तो उसे पहले तो मनाएं फिर वास्तविक तथ्यों पर बातचीत करनी चाहिए.
कई बार हम अपनी मर्जी को प्राथमिकता देते हैं कोशिश करते हैं कि अगला व्यक्ति भी आपकी बातों पर सहमत हो जाए. ऐसा करना किसी भी रिश्ते में दूसरे पर हावी होने जैसा है. ऐसे हालात बनने पर अपनी जरूरतों के साथ अपने साथी की जरूरतों और भावनाओं को भी उतना ही सम्मान दें. उसे भी फील होना चाहिए कि उसकी भावनाओं और सोच की कद्र होती है.
जब कभी बहुत अधिक समझ नहीं आए तो घर में किसी बड़े बुजुर्गो की सलाह को भी शामिल कर सकते हैं.
एक दूसरे के दिल की बातों को समझने की कोशिश करिए . कई बार अहम की वजह से कोई लाइफपार्टनर खुलकर बात नहीं करता. जिसके कारण बीच में एक दूरी आ जाती है. इसलिए प्यार के रिश्तों में अहम नहीं बल्कि अहमियत देने का भाव लाना चाहिए.
हर छोटी छोटी बातों में मतभेद को मिटाकर अपने सुनहरे भविष्य को संवारने के लिए एक साथ चलने और सोचने की जरूरत है. ऐसा नहीं करने पर हर छोटे मसलों पर नोंकझोंक आगे चलकर बड़े झगड़े में बदल सकती है. इसलिए जब भी किसी मुद्दे पर कोई भी फैसला लेना हो तो उसके दोनों पक्षों पर विचार करें. उसके बाद ही सही निर्णय लें. जब आपस में एक दूसरे को समझने लगेंगे तो यह आपसी समझ जीवन की राह को और आसान कर देगी.आपके जीवन में जीवनसाथी की अहमियत, उसकी भावनाओं का सम्मान मधुर संबंधों की मजबूती के लिए संजीवनी के समान है. अब जब भी किसी भी मसले पर बातचीत करें तो यह जरूर सोचे यह किसी एक से जुड़ा हुआ नहीं है बल्कि इसका निर्णय जो भी होगा दोनों के लिए समान प्रभावकारी होगा.
Also Read: Parenting Tips: टीन एज केयर, बच्चों में हो रहे बदलाव के साथ खुद भी बदलिएDisclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.