मेलबर्न : तीन महीने पहले चीन के वुहान शहर से हुआ कोरोना का कहर देखते ही देखते दुनिया के लगभग सभी देशों तक पहुंच गया है. कोरोना से संक्रमित लोगों की संख्या दुनियाभर में चार लाख तक पहुंच गई है और 17 हजार से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है. इटली में तो कोरोना के कारण चीन से भी ज्यादा मौतें हो चुकी हैं। इस महामारी का अभी तक पता लगाया नहीं जा सका है.
किसी भी महामारी का कारण पता लगाना मुश्किल होता है. अनुसंधानकर्ताओं ने एक ऐसा उपकरण विकसित किया है जो यह पता लगाने में मदद कर सकता है कि किसी भी महामारी के लिए जिम्मेदार रोगाणु प्राकृतिक है या किसी प्रयोगशाला में तैयार किया गया है. इस खोज के जरिए कोविड-19 जैसी वैश्विक महामारी के प्रकोप की उत्पत्ति की बेहतर तरीके से जांच करने में मदद मिलेगी। वैज्ञानिकों के अनुसार आम तौर पर यह माना जाता है कि प्रत्येक प्रकोप की उत्पत्ति प्राकृतिक होती है और इसमें अप्राकृतिक उत्पत्ति के लिए जोखिम का आकलन शामिल नहीं होता. नये अध्ययन के मुताबिक अनुसंधानकर्ताओं ने आकलन उपकरण जीएफटी का संशोधित रूप विकसित किया है जिसे पूर्व के प्रकोपों के अध्ययन में प्रमाणित किया जा चुका है.
अनुसंधानकर्ताओं ने बताया कि कोई प्रकोप अप्राकृतिक है यह निर्धारित करने के लिए इस उपकरण में 11 मानदंड हैं. इसमें राजनीतिक या आतंकवादी माहौल की मौजूदगी को आंका जाता है जिसमें कोई जैविक हमला ईजाद किया जा सकता है. इस उपकरण में यह भी जांचा जाता है कि रोग फैलाने वाला कोई जीव असामान्य, दुर्लभ, अप्रचलित , नया उभरने वाला, परिवर्तित या विभिन्न उत्पत्तियों, आनुवंशिक रूप से संशोधित या कृत्रिम जैव प्रौद्योगिकी का नतीजा तो नहीं है. वैज्ञानिकों का कहना है कि ऐसे रोगाणु अत्यंत उग्रता, असामान्य पर्यावरण में भी जीवित रहने, रोगनिरोधी एवं चिकित्सा उपायों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता दिखाते हैं या इनकी पहचान करने और पता लगाने में कठिनाई आती है. इस उपकरण के ब्योरे ‘रिस्क एनालिसिस’ पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन में दिए गए हैं.