चिकनगुनिया होने के 3 माह बाद तक मौत का खतरा, ‘द लांसेट इन्फेक्शियस डिजीजेज’ ने बताये पीतज्वर संक्रमण के जोखिम

18 साल से ऊपर की उम्र के लोगों को चिकनगुनिया का खतरा ज्यादा होता है. इसे देखते हुए पिछले वर्ष नवंबर में ‘यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन’ (एफडीए) ने दुनिया की पहली वैक्सीन को मंजूरी प्रदान की.

By Mithilesh Jha | February 15, 2024 9:50 PM

नेशनल कंटेंट सेल : चिकनगुनिया वायरस से संक्रमित लोगों को संक्रमण के तीन महीने बाद तक मौत का खतरा बना रहता है. ‘द लांसेट इन्फेक्शियस डिजीजेज’ पत्रिका में प्रकाशित एक रिपोर्ट में यह बात कही गयी है.

  • वर्ष 1952 में पहली बार दक्षिणी तंजानिया में चिकनगुनिया की पहचान की गयी थी

  • 11 साल बाद 1963 में भारत में पहली बार चिकनगुनिया के मामले आये थे सामने

शोधकर्ताओं ने बताया कि पिछले वर्ष दुनियाभर में चिकनगुनिया के तकरीबन पांच लाख मामले सामने आये और 400 से ज्यादा लोगों ने इस संक्रमण से अपनी गंवायी. ये आंकड़े तब सामने आये हैं, जब इस संक्रमण के ज्यादातर मामले सामने नहीं आ पाते. शोधकर्ताओं के मुताबिक, ज्यादातर मरीज इस संक्रमण से पूरी तरह से ठीक हो जाते हैं, लेकिन फिर भी चिकनगुनिया रोग घातक सिद्ध हो सकता है. इसलिए यह बहुत जरूरी है कि संक्रमण के उच्च स्तर के समाप्त होने के बाद भी जारी खतरे पर गौर किया जाये.

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शोध के नतीजे दर्शाते हैं कि इस वायरस से संक्रमित लोगों को तीव्र संक्रमण की अवधि समाप्त होने के बाद भी जटिलताओं का खतरा बना रहता है. तीव्र संक्रमण की अवधि लक्षणों के दिखायी देने के बाद आमतौर पर 14 दिनों की होती है. पहले सप्ताह में संक्रमित व्यक्ति को दूसरे व्यक्ति के मुकाबले मृत्यु का जोखिम आठ गुना तक होता है. संक्रमित व्यक्ति को संक्रमण के तीन महीने बाद तक जटिलताओं से मृत्यु का खतरा दोगुना होता है. शोधकर्ताओं के मुताबिक, चिकनगुनिया को रोकने या फिर संक्रमण के बाद इस बीमारी का कोई विशिष्ट उपचार उपलब्ध नहीं है.

18 साल से ऊपर के लोगों में खतरा ज्यादा, टीके को मंजूरी

18 साल से ऊपर की उम्र के लोगों को चिकनगुनिया का खतरा ज्यादा होता है. इसे देखते हुए पिछले वर्ष नवंबर में ‘यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन’ (एफडीए) ने दुनिया की पहली वैक्सीन को मंजूरी प्रदान की. ‘इक्स्चिक’ नाम के इस टीके को 18 साल से ज्यादा के उम्र के लोगों के लिए मंजूरी दी गयी है. इसे मांसपेशियों में इंजेक्शन के माध्यम से एकल खुराक के रूप में दिया जाता है. इसमें चिकनगुनिया वायरस का एक जीवित, कमजोर संस्करण होता है, जो संभावित रूप से टीका प्राप्तकर्त्ताओं में बीमारी के समान लक्षण उत्पन्न करता है. जिन व्यक्तियों को वायरस से संक्रमित होने का अधिक खतरा है और जिनकी उम्र 18 वर्ष या उससे अधिक है, वे टीका प्राप्त कर सकते हैं. एफडीए ने कहा है कि यह एक ऐसी बीमारी की रोकथाम का काम करेगी, जिसका उपचार अभी पूरी तरह नहीं हो सकता है.

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शहरीकरण और मानवीय गतिविधियां खतरे के लिए जिम्मेदार

शोधकर्ताओं ने बताया कि जलवायु परिवर्तन, शहरीकरण और तीव्र गति से बढ़ रही मानवीय गतिविधियों के कारण एडीज जनित रोगों के बढ़ने और दूसरे इलाकों में फैलने का खतरा भी ज्यादा है. इस लिहाज से चिकनगुनिया रोग जन स्वास्थ्य के लिए एक बढ़ते खतरे के रूप में दिखायी दे रहा है.

क्या है चिकनगुनिया

चिकनगुनिया एक वायरल रोग है, जो संक्रमित मादा मच्छरों के काटने से मनुष्यों में फैलता है. आमतौर पर इसमें एडी एजिप्टी और एडीज एल्बोपिक्टस मच्छर शामिल हैं. ये दोनों प्रजातियां डेंगू सहित अन्य मच्छर जनित वायरस भी प्रसारित कर सकती हैं. वे दिन के उजाले में काटते हैं. हालांकि सुबह और दोपहर में इस गतिविधि की चरम सीमा हो सकती है. इसे आमतौर पर पीतज्वर (येलो फीवर) भी कहा जाता है.

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किमाकोंडे भाषा से हुई उत्पत्ति

शब्द ‘चिकनगुनिया ’ की उत्पत्ति किमाकोंडे भाषा (तंजानिया और मोजांबिक के एक जातीय समूह माकोंडे लोगों द्वारा बोली जाने वाली) से हुई है, जिसका अनुवाद ‘विकृत हो जाना’ है. यह गंभीर जोड़ों के दर्द का अनुभव करने वाले व्यक्तियों की झुकी हुई मुद्रा को प्रदर्शित करता है.

लक्षण

चिकनगुनिया में बुखार और गंभीर जोड़ों का दर्द होता है, जो अक्सर दुर्बल करने वाला तथा भिन्न अवधि का होता है. डेंगू और जीका के लक्षण चिकनगुनिया के समान होते हैं, जिससे चिकनगुनिया का गलत निदान हो सकता है.

रोकथाम व उपचार

वर्तमान में चिकनगुनिया का कोई इलाज नहीं है, रोगसूचक राहत ही प्राथमिक उपाय है. उपचार में दर्दनाशक दवाओं, ज्वरनाशक दवाओं, आराम और पर्याप्त तरल पदार्थ का सेवन शामिल है. रोकथाम के लिए मच्छरदानी का उपयोग व मच्छरों के प्रजनन को रोकने के लिए जल जमाव को रोकना शामिल है.

भारत में चिकनगुनिया के मामलों में आ रही कमी

साल संदिग्ध मामले कन्फर्म केसेज

2017 67769 12548

2018 57813 9756

2019 81914 12205

2020 43424 6324

2021 119070 11890

2022 148587 8067

2023 93455 3711

बिहार में मामलों में लगातार आ रही कमी

साल संदिग्ध मामले कन्फर्म केसेज

2018 156 156

2019 594 594

2020 38 38

2021 40 40

2022 67 67

2023 04 04

झारखंड में काफी प्रयास की जरूरत

साल संदिग्ध मामले कन्फर्म केसेज

2018 3405 851

2019 1691 169

2020 627 157

2021 1064 215

2022 2113 249

2023 5571 230

पश्चिम बंगाल बेहतर

साल संदिग्ध मामले कन्फर्म केसेज

2018 52 23

2019 NR NR

2020 391 82

2021 154 20

2022 1533 148

2023 NR NR

इन राज्यों में 2023 में सबसे अधिक मामले

कर्नाटक 34436

गुजरात 15553

महाराष्‍ट्र 15905

Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.

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