बन गई Corona Vaccine ! रूसी वैज्ञानिकों ने ह्यूमन ट्रायल भी किया पूरा, आप भी जानिए लेटेस्ट अपडेट

Russia covid 19 vaccine, human trial success : सेचनोव फर्स्ट मॉस्को स्टेट मेडिकल यूनिवर्सिटी (Sechanov First Moscow State Medical University) में पहला ह्यूमन ट्रायल (Human Trial) सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया है. आपको बता दें कि यह दुनिया का सबसे पहला कोरोना वायरस वैक्सीन (Coronavirus Vaccine) होगा जिसे इंसानों पर ट्रायल के बाद सफल माना गया. यह जानकारी इंस्टीट्यूट फॉर ट्रांसलेशनल मेडिसिन एंड बायोटेक्नोलॉजी (Institute for Translational Medicine and Biotechnology) के निदेशक वादिम तरासोव ने अंग्रेजी वेबसाइट स्पुतनिक और न्यूज एजेंसी एएनआई को दी है. उन्होंने बताया कि जिन वॉलंटियर्स पर इसका ट्रायल (Human Trial) किया गया था, उनके पूरे समूह को 20 जुलाई दिन बुधवार को छुट्टी दे दी जाएगी. वैज्ञानिक गेन्सबर्ग ने पहले ही खुलासा किया था कि उन्होंने अन्य शोधकर्ताओं के साथ मिलकर पहले स्वयं पर टीका (Vaccine) लगाने की कोशिश की थी.

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 14, 2020 6:51 AM

Russia covid 19 vaccine, human trial success : सेचनोव फर्स्ट मॉस्को स्टेट मेडिकल यूनिवर्सिटी (Sechanov First Moscow State Medical University) में पहला ह्यूमन ट्रायल (Human Trial) सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया है. आपको बता दें कि यह दुनिया का सबसे पहला कोरोना वायरस वैक्सीन (Coronavirus Vaccine) होगा जिसे इंसानों पर ट्रायल के बाद सफल माना गया. यह जानकारी इंस्टीट्यूट फॉर ट्रांसलेशनल मेडिसिन एंड बायोटेक्नोलॉजी (Institute for Translational Medicine and Biotechnology) के निदेशक वादिम तरासोव ने अंग्रेजी वेबसाइट स्पुतनिक और न्यूज एजेंसी एएनआई को दी है. उन्होंने बताया कि जिन वॉलंटियर्स पर इसका ट्रायल (Human Trial) किया गया था, उनके पूरे समूह को 20 जुलाई दिन बुधवार को छुट्टी दे दी जाएगी. वैज्ञानिक गेन्सबर्ग ने पहले ही खुलासा किया था कि उन्होंने अन्य शोधकर्ताओं के साथ मिलकर पहले स्वयं पर टीका (Vaccine) लगाने की कोशिश की थी.

18 जून को शुरू हुआ था ट्रायल

आपको बता दें कि विश्वविद्यालय ने 18 जून को रूस के गेमली इंस्टीट्यूट ऑफ एपिडेमियोलॉजी एंड माइक्रोबायोलॉजी द्वारा निर्मित टीके के क्लिनिकल ट्रायल शुरू किया था. तारासोव ने कहा है कि सेचेनोव विश्वविद्यालय ने कोरोनो वायरस के रोकथाम हेतु दुनिया के पहले टीके को सफलतापूर्वक वॉलेंटियर्स पर परीक्षण कर लिया है.

इस चरण के ट्रायल का मुख्य उद्देश्य

वहीं, सेचनोव यूनिवर्सिटी में इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल पैरासिटोलॉजी, ट्रॉपिकल एंड वेक्टर-बॉर्न डिजीज के निदेशक अलेक्जेंडर लुकाशेव के अनुसार, अध्ययन के इस चरण का मुख्य उद्देश्य था कि मानव स्वास्थ्य पर इस वैक्सीन का कोई जोखिम होता है या नहीं. जिसमें टीम को सफलता मिली है.

लुकाशेव ने बताया कि अध्ययन में पाया गया है कि यह टीका मानव शरीर में जाकर कोई साइड इफेक्ट नहीं उत्पन्न करता है. अत: इसे पूरी तरह सुरक्षित माना जा सकता है. उन्होंने कहा है कि आगे की वैक्सीन विकास योजना पहले से ही डेवलपर ने तय कर रखी है. उसी रणनीति पर कार्य किया जा रहा है.

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आपको बता दें कि महामारी की इस दौर में सेचेनोव विश्वविद्यालय ने न केवल एक शैक्षणिक संस्थान बल्कि एक वैज्ञानिक और तकनीकी अनुसंधान केंद्र के रूप में भी काम किया है. जो ड्रग्स जैसे महत्वपूर्ण और जटिल उत्पादों के निर्माण में भाग लेने में सक्षम नजर आ रहा है. तारसोव ने कहा कि प्रीक्लिनिकल स्टडीज, प्रोटोकॉल डेवलपमेंट और इससे संबंधित क्लीनिकल ट्रायल फिलहाल जारी रहेगी.

सैनिक और आम नागरिक पर ट्रायल

आपको बता दें कि रूसी स्वास्थ्य मंत्रालय ने 18 जून को देश में कोरोना वायरस के खिलाफ वैक्सीन के ​​परीक्षण की पुष्टि की थी. उन्होंने बताया था कि 38 लोगों पर पहले चरण का ह्यूमन ट्रायल शुरू किया गया है.

रूस की प्रमुख समाचार एजेंसी टैस की मानें तो, कोरोना वायरस वैक्सीन की सुरक्षा और प्रभावकारिता परीक्षण करने के लिए वॉलंटियर्स की दो समूहों को तैयार किया गया था. जिनमें सैनिक और आम नागरिक भी शामिल हैं.

टीओआई न्यूज के मुताबिक, गेमली साइंटिफिक रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ एपिडेमियोलॉजी एंड माइक्रोबायोलॉजी के प्रोफेसर अलेक्जेंडर गेन्सबर्ग ने खुलासा किया था कि उन्होंने और अन्य शोधकर्ताओं ने मानव परीक्षण शुरू करने से पहले स्वयं पर टीका लगाने की कोशिश की थी. उन्होंने यह भी बताया था कि इससे कोई साइड इफेक्ट का अनुभव उन्हें अभी तक नहीं हुआ है. हालांकि, उन्होंने यह नहीं बताया था कि कितने लोगों पर इसका ट्रायल किया था.

गौरतलब है कि कोरोनवायरस के खिलाफ सौ से अधिक टीके वर्तमान में वैश्विक स्तर पर निर्माण या परीक्षण किए जा रहे हैं. इससे दुनिया भर में अब तक 12 मिलियन से अधिक लोग संक्रमित हो चुके हैं.

आपको बता दें कि गिलियड साइंसेज, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता और अमेरिकी बायोटेक कंपनी मॉडर्न कोविड-19 वैक्सीन विकसित करने में फिलहाल सबसे आगे चल रही है. हालांकि, गिलियड साइंसेज ने अपने एक रिर्पोट में पहले ही कहा था कि एंटीवायरल ड्रग रीमेडिविर ने कोविड-19 के गंभीर रोगियों में मृत्यु के जोखिम तो कम किया ही है, लेकिन इसके इस्तेमाल में सावधानी बरतने की जरूरत है और इस पर कठोर क्लिनिकल परीक्षणों की जरूरत है.

Posted By : Sumit Kumar Verma

Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.

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