Health Tips : कोरोना वायरस के कारण दुनिया के तमाम देशों के ऑफिस बंद हो गये, कल कारखानों में ताला लटक गया. आर्थिक प्रगति गिर गई. भारत में भी कोरोना काल में लोगों ने घरों से काम किया. इस कारण लोगों का ज्यादा वक्त फोन और कंप्यूटर में गुजरा. इस कारण उनके नींद में कमी आयी. लेकिन क्या आप जानते हैं कि आर्थिक प्रगति में गिरावट का एक बड़ा कारण नींद है. सुनने में भले ही ये अटपटा लगे, लेकिन यह सच है कम नींद के कारण भारत की जीडीपी घटी है.
कोरोना के कारण पूरी दुनिया में वर्क फ्रॉम होम हो गया. भारत में भी अधिकांश कंपनियां और ऑफिस में वर्क फ्रॉम होम किया गया. इस कारण लोग ऑफिस का काम घर से करने लगे. जिसका परिणाम यह हुआ कि लोग देर रात तक घरों से ही काम करने लगे. इससे नींद पूरी नहीं होने लगी. जिसका असर लोगों के कामकाज पर पड़ने लगा है. उनकी काम करने की क्षमता या कार्यकुशलता में कमी आयी है.
रिसर्च में विशेषज्ञों को नींद से जुड़ी एक नई किस्म की बीमारी का भी पता चला है. विशेषज्ञों ने इस बीमारी का नाम सेमी-सोम्निया दिया है. खास बात यह है कि यह बीमारी तनाव और तकनीक के बेवजह इस्तेमाल के कारण होता है.बसे बड़ी बात है कि कोरोना काल में इस बीमारी के पीड़ितों की संख्या बहुत बढ़ गयी है.
वहीं, देर रात तक मोबाईल की नीली रौशनी देखना हमारे मस्तिष्क की कोशिकाओं को प्रभावित करता है. जिससे भी अनिद्रा की बीमारी हो जाती है. दरअसल नींद हमारे शरीर का रिचार्ज है. सोने के दौरान हमारी मांसपेशियां ढीली हो जाती है. शरीर में मौजूद टॉक्सिक एजेंट शरीर से बाहर हो जाते है. अच्छी नींद से शरीर स्वस्थ होता है. और दिमाग की ताकत बढ़ती है.
आपको जानकर हैरानी होगी कि भारत के लोग दुनिया में दूसरे नंबर है जो सबसे कम सोते हैं. भारतीय लोगों से कम सोने वालों में जापान का नाम शुमार है. सोने की कमी या कम सोने जो शरीर में कई बीमारियां हो जाती है. कम सोने के कारण कमजोर प्रतिरक्षा तंत्र, अवसाद, हाई ब्लड प्रेशर और दिल संबंधी बीमारियों के होने का खतरा बढ़ जाता है.
Also Read: Health Tips: नये साल में ऐसे रखें अपने सेहत का ख्याल, दोगुनी ऊर्जा से करेंगे सारे काम
Posted by : Pritish sahay
Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.