Hearing Loss: क्या है सेंसरीन्यूरल हियरिंग लॉस, अचानक न चली जाये आपकी सुनने की क्षमता, जानें कैसे बचें

बीते दिनों पार्श्व गायिका अलका याज्ञनिक ने बताया कि वायरल अटैक की वजह से अचानक उन्हें सुनाई देना बंद हो गया है. वह 'सडन सेंसरीन्यूरल हियरिंग लॉस' से पीड़ित हैं, जिसके बाद से इस रेयर डिजीज को लेकर लोगों के मन में कई सवाल उठ रहे हैं. आखिर क्या है सडन सेंसरीन्यूरल हियरिंग लॉस व वायरल अटैक से क्या है इसका कनेक्शन. बता रहे हैं हमारे विशेषज्ञ.

By Vivekanand Singh | June 26, 2024 3:02 PM

Hearing Loss: लगातार तेज आवाज में रहना, हेडफोन का ज्यादा इस्तेमाल भी इस तरह के बहरेपन की वजह हो सकती है. यही कारण है कि 58 वर्षीय गायिका अलका याज्ञनिक ने अपने प्रशंसकों को बहुत तेज संगीत सुनने व हेडफोन के लगातार इस्तेमाल को लेकर सचेत किया है.

क्या है सेंसरीन्यूरल हियरिंग लॉस

जब हमारे कान की भीतरी बनावट व मस्तिष्क के बीच नर्व पाथवे डिस्टर्ब हो जाता है और हमें सुनाई देना बंद हो जाता है, तो इसे सेंसरीन्यूरल हियरिंग लॉस कहते हैं. इसमें हमें एक या दोनों कान से सुनाई देना बंद हो सकता है. ऐसा अचानक भी हो सकता है या फिर धीरे-धीरे हमारे सुनने की क्षमता कम हो सकती है. इस प्रकार के हियरिंग लॉस में कभी-कभी बहरेपन के साथ-साथ चक्कर भी आता है. अगर सडन सेंसरीन्यूरल हियरिंग लॉस का आभास होने पर 48 घंटे के अंदर इलाज शुरू हो जाये, तो 80 प्रतिशत मामलों में सुनने की क्षमता वापस आ जाती है. इसके होने की वजह बहुत तेज आवाज, सिर पर चोट, वायरल अटैक, इनर इयर की बीमारी, उम्र के बढ़ने के अलावा डायबिटीज व हॉर्मोंस का असंतुलन भी इसके कारण हो सकते हैं. आवाज से होने वाले सेंसरीन्यूरल हियरिंग लॉस दो प्रकार के हो सकते हैं. बहुत तेज आवाज के सिंगल एक्सपोजर से जब सुनने की क्षमता कम होती है, उसे ‘एकॉस्टिक ट्रॉमा’ कहते हैं, जैसे- कान के पास पटाखा फट गया हो या अचानक जोर से डीजे की आवाज हुई हो. वहीं, जब लंबे समय तक ऊंची आवाज को सुना जाये तो जो बहरापन होता है, उसको ‘नॉइज इंड्यूस्ड हियरिंग लॉस’ बोलते हैं, जैसे- जो तेज आवाज में कारखाने में काम करते हैं, मशीन चलाते हैं, पंप चलाते हैं, हैवी व्हीकल्स चलाते हैं आदि. ऐसे बहरेपन के बाद मरीज को हियरिंग एड की जरूरत रहती है.

सेंसरीन्यूरल हियरिंग लॉस के लक्षण

इस समस्या से पीड़ित 10 में से लगभग 9 लोगों में केवल एक कान की सुनने की क्षमता में कमी आती है. इस तरह से अचानक कई बार किसी से बातचीत करते समय अचानक एहसास होता है कि हमारी सुनने की क्षमता कम हो गयी है. कई बार हेडफोन लगाने पर पता चलता है कि एक कान में कम सुनाई दे रहा है. ऐसे में तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए. साथ ही ऐसे लक्षण दिखें, तो सतर्क हो जाएं.

  • शोर वाली जगह पर न सुन पाना.
  • बातचीत करते समय कम सुनाई देना.
  • ग्रुप में लोगों से बातचीत में परेशानी.
  • तेज आवाज सुनने में कठिनाई होना.
  • कान में सीटी-सा बजना.
  • बहरेपन के साथ चक्कर का आना.

शोर की सीमा को समझना जरूरी

  • 0 से 130 डेसीबल तक की आवाज इंसान सुन व समझ सकता है.
  • 60 डेसीबल तक की आवाज से कान को कोई नुकसान नहीं होता है.
  • 60 से ज्यादा डेसीबल की आवाज से कान को परेशानी होने लगती है.
  • 80 डेसीबल की आवाज वाली जगह में 8 घंटे से ज्यादा नहीं बिताना चाहिए.
  • 115 से ज्यादा डेसीबल वाली आवाज से श्रवण क्षमता तेजी से कम होने लगती है.

लेब्रिंथाइटिस भी एक मुख्य कारण

सेंसरी नर्व हियरिंग लॉस जैसी परेशानियों का मुख्य कारण होता है लेब्रिंथाइटिस. इस स्थिति में कानों के आंतरिक हिस्से ‘लैबरिंथ’ में संक्रमण हो जाता है. कान का यह हिस्सा सुनने के साथ ही मस्तिष्क व शरीर का बैलेंस बनाने का भी काम करता है. वायरल और बैक्टीरियल इंफेक्शन के कारण इसमें सूजन आ जाती है और हियरिंग ऑर्गन का बैलेंस खराब हो जाता है.

लेब्रिंथाइटिस का उपचार है जरूरी

आमतौर पर लेब्रिंथाइटिस का उपचार इसके कारण पर निर्भर करता है. अगर यह वायरल अटैक के कारण हुआ है, तो एंटीवायरल दवाओं से इसे ठीक किया जा सकता है. अगर इससे आपका बैलेंस प्रभावित हुआ है, तो दवाओं के साथ वेस्टिबुलर रिहैबिलेशन भी इसमें मददगार रहता है.

लेब्रिंथाइटिस होने की वजहें

लेब्रिंथाइटिस होने के कई कारण हो सकते हैं, जिसमें सबसे प्रमुख कारण है वायरल इंफेक्शन, जैसे वेस्टिबुलर न्यूरोनाइटिस और बैक्टीरियल इंफेक्शन. कई बार सिर में चोट लगने के कारण या लैबरिंथ को सीधे नुकसान पहुंचाने वाली अन्य चोटें भी लेब्रिंथाइटिस का कारण बन सकती हैं. इसी के साथ एलर्जी, लंबे जुकाम, कफ, हर्पिस आदि के कारण भी लेब्रिंथाइटिस हो सकता है.

समय पर पहचानें इसके लक्षण

इसके लक्षण कभी-कभी लोगों को स्पष्ट रूप से नजर नहीं आते हैं. ऐसे में अक्सर स्थिति बिगड़ने के बाद ही लोग डॉक्टर से संपर्क करते हैं. कुछ संकेतों से लेब्रिंथाइटिस का पता लगाया जा सकता है. इस स्थिति में सुनने में कमी की समस्या के साथ चक्कर आना या सिर घूमना सबसे आम लक्षण है. यह अक्सर अचानक और गंभीर होता है. आप इसे कमजोरी न समझें. इसी के साथ अगर आपको खड़े होने, चलने या सीढ़ियों से ऊपर और नीचे जाने में परेशानी हो रही है, बैलेंस नहीं बनाया जा रहा है, तो भी आपको अपना चेकअप करवाना चाहिए. अगर आपको एक या दोनों कानों से सुनने में परेशानी हो रही है, तो इसे गंभीरता से लें. कभी-कभी लेब्रिंथाइटिस आपके चेहरे की नर्वस को भी प्रभावित करता है, जिसके कारण चेहरे के एक तरफ सुन्नपन महसूस होता है. इससे सिरदर्द भी हो सकता है.

क्या इससे बचा जा सकता है

इससे बचने के लिए जरूरी है कि संगीत समारोहों या पार्टियों, कारखाने जैसे तेज वातावरण में इयर प्लग या शोर कम करने वाले हेडफोन का उपयोग करें. लंबे समय तक इयरफोन के उपयोग को सीमित रखें, इसके लिए नियमित रूप से कानों की जांच करना जरूरी है.

संगीत न बने आपके कानों का दुश्मन

  • कार के अंदर म्यूजिक चलाने पर 80 से 85 डेसीबल की ध्वनि हो सकती है.
    नुकसान : इससे कुछ देर के बाद झुंझलाहट महसूस हो सकती है. लंबे समय तक लगातार ऐसा करना हियरिंग लॉस का कारण बन सकता है.
  • 5 मीटर की दूरी से कार के हॉर्न से लगभग 100 डेसीबल की ध्वनि होती है.
    नुकसान : लगभग 20 मिनट के बाद सुनने की क्षमता पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है. इससे सिरदर्द भी संभव है.
  • मोटरसाइकिल से 95 डेसीबल ध्वनि होती है.
    नुकसान : लगभग 50 मिनट के एक्सपोजर के बाद सुनने की क्षमता पर खराब असर पड़ सकता है.
  • तेज आवाज में गाने सुनना. इसके अलावा शोरगुल से भरे मनोरंजन स्थल, जैसे- नाइटक्लब व बार आदि स्थानों में 105 से 110 डेसीबल की ध्वनि आमतौर पर मौजूद हो सकती है.
    नुकसान : कुछ लोगों को ऐसे स्थानों पर सिरदर्द और झुंझलाहट आदि समस्याएं 15 से 25 मिनट में उत्पन्न हो सकती हैं. लंबे समय में सुनने की क्षमता कम हो सकती है.
  • पटाखों की धमाकेदार ध्वनि 140-150 डेसीबल का शोर.
    नुकसान : दिल की धड़कन का बढ़ना, सिरदर्द और कान के परदों पर प्रतिकूल प्रभाव हो सकता है.

(ईएनटी सर्जन डॉ हर्ष कुमार व सीनियर न्यूरोलॉजिस्ट सोनिया लाल गुप्ता से बातचीत पर आधारित)

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