Side Effects of Immunity Boosting Yoga कोरोना महामारी से बचाव के लिए बेहतर इम्यून सिस्टम (Immune System) जरूरी है. जिनकी इम्यूनिटी मजबूत है उन्हें कोरोना (Corona) का संक्रमण (Infection) छू भी नहीं पा रहा है. और कुछ संक्रमित लोग बेहतर इम्यूनिटी (Immunity) के वजह से तुरंत रिकवर भी कर जा रहे हैं. ऐसे में हम पौष्टिक भोजन के साथ-साथ लॉकडाउन (Lockdown) के दौरान घर पर ही कुछ आसान योग (Yoga) के जरिये अपनी इम्यूनिटी पॉवर (Immunity Power) को बढ़ा सकते है. योग एक नेचुरल इम्यूनिटी बूस्टर (Natural Immunity Booster) के तरह काम करता है. इसके कोई साइड इफेक्ट (Side Effect Of Yoga) नहीं होते है, अगर इसे सही तरीके से और सही मरीज द्वारा किया जाए तो..
नियमित रूप से इस योगासन को करने से हमारा इम्यून सिस्टम मजबूत होता है. त्रिभुज की आकृति बनाकर इस योग को किया जाता है इसलिए इसे त्रिकोणासन कहते हैं. प्रतिदिन पांच मीनट तक इस योग को करना चाहिए.
– शरीर के प्रतिक्षा प्रणाली को बढ़ाता है, जिससे संक्रमण का खतरा कम होता है.
– इसे करने से गर्दन, पीठ, कमर और पैर विकार से राहत मिलती है
– शरीर का संतुलन ठीक करके बॉडी को सही से फंक्शन करने में मददगार है
– इससे हमारे पेट पर असर पड़ता है जो पाचन प्रणाली को ठीक करता है
– एसिडिटी से छुटकारा दिलाता है
– नियमित रूप से करने पर मन विचलित नहीं होता और चिंता, तनाव, कमर और पीठ का दर्द गायब हो जाता हैं
– हमारे मोटापे के प्रॉब्लम को समाप्त करता है. पेट पर फालतू चर्बी को समाप्त करता है.
– इसे करने से हमारा शरीर लचीला, सुडौल और ताकतवर बनता है
– दोनों पैरों के बीच 2-3 फीट का गैप देकर फैलाएं और सीधे खड़े हो जाएं
– दाहिने पैर को दायीं ओर मोड़ें
– अपने कंधो की उचाईं तक दोनों हाथों को बगल में फैला दें
– अब सांस लें और दाहिने ओर झुकें, झुकते समय फेस सामने रखें
– इसके बाद दायें हाथ से दायें पैर को छूने की कोशिश करें
– बायें हाथ सीधा को सीधा उपर की ओर करें और नजर बायें हाथ की उंगलियों की और रखे
– अब वापस सीधी अवस्था में आ जाएं और वापस दूसरी ओर भी यही अभ्यास करें
– प्रतिदिन 20 बार इस योग को जरूर करें
– याद रहें कि शरीर उठाते समय सांस अन्दर लें और झुकते समय सांस छोड़ें
कुछ मरीजों को यह योग भूल कर भी नहीं करना चाहिए. जिन्हें लो बीपी, हाई बीपी, माइग्रेन, जुलाब, गर्दन और पीठ की चोट लगने की शिकायत है, ऐसे मरीज इस आसन को करने से बचें. अगर अन्य लोगों को भी इसे करने के बाद ऐसे कुछ लक्षण दिखते हैं तो डॉक्टर से जरूर संपर्क करें.
जैसा कि इस आसन के नाम से ही पता चल रहा है, पद और अंगुष्ठ का मेल ही पादंगुष्ठासन कहलाता है. इसे बिग टो पोज़ भी कहा जाता है. इस योग के कई बड़े लाभ है.
– इसे करने से ह्रदय संबंधित बीमारियां नहीं होती है, ह्रदय मरीजों के लिए यह बीमारी काफी लाभदायक है
– इम्यून सिस्टम के लिए यह आसन काफी फायदेमंद माना जाता है
– इस आसन के जरिये हमारे पैर, रीढ़ और गर्दन के पीछे की मांसपेशी खींचती है, जो इसे मजबूत करके लचीला बनाती है
– मस्तिष्क को शांत करता है
– तनाव और डिप्रेशन से आपको दूर रखता है
– जिगर और गुर्दों के स्वस्थ्य करता है
– हैमस्ट्रिंग, पिंडली, और कूल्हों में खिंचाव उत्पन्न करता है, जो हमारे शरीर में रक्त प्रवाह के लिए जरूरी है
– जांघों को मज़बूत बनाता है
– पाचन क्रिया में सुधार लाता है
– महिलाओं के मेनोपॉज संबंधी लक्षण को कम करने में मददगार है
– थकान और चिंता को दूर करता है
– अच्छी नींद लेने में मददगार साबित होता है
– सिरदर्द को दूर करता है
– इसके अलावा उच्च रक्तचाप व ऑस्टियोपोरोसिस में लाभदायक है
– दमा, साइनस जैसी अन्य सांस संबंधी रोगों का उपचार है
– इसके अलावा बांझपन को दूर करने में काफी मददगार साबित होता है
– इस योग को करने से लिए आपको सीधे खड़े होना होगा
– आप ताड़ासन की मुद्रा में भी खड़े हो सकते हैं.
– दोनों हाथं और रीढ़ की हड्डी को बिल्कुल सीधा रखें
– अपने दोनों पैरों के बीच कम से कम 6 इंच की दूरी रखें.
– सांस छोड़ते हुए शरीर के ऊपरी हिस्से को कूल्हों के जोड़ से नीचे की ओर झुकें.
– सांस लें और धड़ को ऊपर उठाएं
– अपने हाथों की कोहनी को सीधा कर लें
– 30 से 90 सेकंड तक रुके रहें फिर उठें
इसका लाभ तब ही मिल पाऐगा जब इसे सही तरीके से किया जाए. इसे करने में कुछ सावधानियां भी बरतनी होगी. जिन्हें कमर दर्द की समस्या है वे इस योग को न करें. जबरदस्ती भी क्षमता से अधिक कोई योग करने की कोशिश न करें. प्रतिदिन इसे पांच से सात मीनट से ज्यादा न करें.
इस आसन को कोबरा पोज़ भी कहा जाता है. यह सूर्यनमस्कार अभ्यास का हिस्सा है. यह योग हमारे प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए फायदेमंद हो सकता है. 15-30 सेकंड के लिए ही इस योग को करें.
– सबसे पहले एक मेट बीछा कर उसपर पेट के बल लेट जाएं
– हाथों को सिर के दोनों तरफ रखें और माथे को जमीन पर टिकाएं.
– अपने पैरों को तानें और इनके बीच थोड़ी दूरी बनाएं
– हथेलियों को कंधों के बराबर में लाएं.
– अब लंबी सांस लेते हुए हाथों से जमीन की ओर दबाव डालें,
– फिर नाभि तक शरीर को ऊपर उठाने का प्रयास करें.
– इस पोजीशन में रहकर कुछ देर तक आसमान की ओर देखते रहें
– इस दौरान अपने शरीर का भार दोनों हाथों पर बराबर बनाएं और आराम से सांस लेते रहें
– अब सांस को धीरे-धीरे छोड़ें और सबसे शुरूआत के अवस्था में आ जाएं
– यह पेट और कमर की चर्बी को समाप्त कर सुडौल व आकर्षक बनाता है
– यह आसन सीना चौड़ा करता है
– रोज़ाना करने से लंबाई भी बढती है
– शरीर को स्ट्रेच करके लचीला बनाता है और थकावट भी दूर करता है
– कई गंभीर बीमारियों में लाभदायक है
– महिलाओं में मासिक धर्म की अनियमितता के लिए भी फायदेमंद है
– मसल्स के लिए भी काफी फायदेमंद है
– रक्त संचार बढ़ाता है
– हमारे प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाता है
– कब्ज़, अपच और वायु विकार दूर होते हैं भूख बढ़ाता है
– रीढ़ की हड्डी सशक्त करता है, पीठ में लचीलापन आता है
– फेफड़ों की शुद्धि करता है साथ-साथ गला खराब रहने की, दमे की, पुरानी खाँसी अथवा फेंफड़ों संबंधी अन्य बीमारियों में लाभदायक है
– कब्ज दूर करता है और बवासीर में भी लाभदायक है
– माइग्रेन के दर्द को कम करता है
इसे क्षमता अनुसार करना चाहिए. इस आसन को करते समय अगर पेट या शरीर के किसी अन्य हिस्से में दर्द उठे तो न करें. जिस व्यक्ति को पेट के घाव या आंत की बीमारी है वो इस आसन को करने से पहले डाक्टर से जरूर से सलाह ले लें. इस आसन का अभ्यास करते वक्त पीछे की तरफ ज्यादा ना झुकें. इससे पीठ में मोच भी आ सकता है. इस योग को खाली पेट सुबह में करें.
ताड़ासन को माउंटेन पोज़ भी कहा जाता है. इस योगासन को दिन में किसी भी समय किया जा सकता है. यह आसन नियमित रूप से इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए किया जाता है. यह एक ऐसा योगासन है जिससे न सिर्फ बेहतर स्वास्थ्य मिल सकता है बल्कि यह शरीर को स्ट्रेच करके रक्त प्रवाह करने में मददगार है.
– सबसे पहले किसी साफ और खुली जगह का चुनाव करें और योग मैट बिछाएं.
– अब पैर और कमर को सीधा करके योग मैट पर खड़े हो जाएं.
– इस दौरान एड़ियों को एक दूसरे से मिला कर रखें.
– अपने दोनों हाथों को बगल में सीधा रखें.
– अगले चरण में हथेलियों को आपस में फंसाकर ऊपर उठाएं.
– हथेलियों की दिशा आकाश की तरफ होनी चाहिए.
– अब धीरे-धीरे सांस लेते हुए, पंजों के बल खड़े होते हुए शरीर को ऊपर की ओर खीचें.
– जब शरीर पूरी तरह तन जाए तो इस मुद्रा में कुछ देर बने रहने की कोशिश करें. साथ ही सामान्य रूप से सांस लेते रहें.
– इस अवस्था में शरीर का पूरा भार पंजों पर होगा.
– फिर सांस को धीरे-धीरे छोड़ते हुए प्रारंभिक अवस्था में आ जाएं.
– इस पूरी प्रक्रिया को लगभग 8 से 10 बार दोहराएं.
ताड़ासन वैसे लोगों को नहीं करनी चाहिए जिनके घुटने में ज्यादा दर्द रहता हो. गर्भवती महिला इसे भूल कर भी न करें. सिर दर्द के समय भी इसे करने से बचें. पैरों की अंगुलियों पर आकर इस योगाभ्यास को मत करें. अगर रक्तचाप ज्यादा या कम भी हो तब भी इस आसन को करने से परहेज करें.