Sleeping While Sitting: कुर्सी पर बैठे-बैठे सोने की है आदत तो हो जाएं सावधान, जा सकती है जान
अक्सर लोग काम के दौरान थकान की वजह से कुर्सी पर बैठे-बैठे ही सो जाते हैं. डेस्क वर्क करते समय ज्यादातर ऐसा होता है. पर क्या आपको पता है, ऐसा करने पर आपको डीप वेन थ्रोम्बोसिस की गंभीर समस्या भी हो सकती है. आइए लंबे समय तक सिस्टम पर बैठने या डेस्क पर सोने का प्रभाव आपके शरीर पर किस तरह होता है.
अक्सर लोग काम के दौरान थकान की वजह से कुर्सी पर बैठे-बैठे ही सो जाते हैं. डेस्क वर्क करते समय ज्यादातर ऐसा होता है. पर क्या आपको पता है, इस तरह से सोना आपके सेहत के लिए कितना नुकसानदेह हो सकता है. क्योंकि इंसानी शरीर इस तरह रहने के लिए नहीं बना है. ऐसा करने पर आपको डीप वेन थ्रोम्बोसिस की गंभीर समस्या भी हो सकती है. आइए लंबे समय तक सिस्टम पर बैठने या डेस्क पर सोने का प्रभाव आपके शरीर पर किस तरह होता है.
डीप वेन थ्रोम्बोसिस का खतरा
अगर आप घंटों एक ही पोश्चर में बैठे रहते हैं, तो इसकी वजह से आपको डीप वेन थ्रोम्बोसिस की समस्या भी हो सकती है. इसमें शरीर में कहीं किसी एक नस के भीतर खून का थक्का बन जाता है. आमतौर पर ये पैर या जांघ में होता है. जब आप डेस्क जॉब के दौरान घंटों सिस्टम पर बैठे रहते हैं या कुर्सी पर ही सोने लगते हैं, तब ऐसा होता है.
जा सकती है जान
अगर लंबे समय तक इसे आप इग्नोर करते हैं और इलाज नहीं कराते, तो कई मामलों में ये जानलेवा भी हो सकता है. इसकी वजह ये है कि खून का थक्का रक्त प्रवाह के साथ शरीर के दूसरे हिस्सों जैसे दिमाग या फेफड़े में पहुंचता है, इससे जान जाने का खतरा रहता है.
क्या बैठकर सोने के फायदे हैं
अगर आप बैठकर सोना चाहते ही हैं तो इसके लिए हमेशा रिक्लाइनर का इस्तेमाल करें. हालांकि इस तरह सोने से भी व्यक्ति को हमेशा बचना ही चाहिए। वहीं गर्भवती महिलाएं चाहे तो इस तरह सो सकती हैं. इससे उनके लिए सोना आसान हो जाएगा. इसके अलावा स्लीप एपनिया के मरीज भी इस तरह सो सकते हैं.
आपको बता दें कि यह नींद से जुड़ा विकार है जिसके दौरान सोते हुए सांस लेने में दिक्कत आती है. या फिर एसिड रिफ्लक्स होने लगता है। साथ ही बैठकर सोने से आपको गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्या हो सकती है.
Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.