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Health Tips: अगर रहना चाहते हैं 100 साल तक स्वस्थ तो आज से अपना लीजिए आचार्य चरक के इन नियमों को

Health Tips: आचार्य चरक ने अपनी पुस्तक चरक संहिता में भोजन करने के विधि के बारे में बताया है. आचार्य चरक के अनुसार भोजन करने के तरीकों को सुधार कर हम स्वास्थ्य संबंधी कई समस्याओं से निजात पा सकते हैं.

Health Tips: हमारा स्वास्थ्य कैसा रहेगा? बीमारियां हमें परेशान करेंगी या नही? हमारा दिन कैसा गुजरेगा? इन बातों का निर्धारण बहुत हद तक इससे होता है कि हम कब ,कैसा और कितना आहार ग्रहण कर रहे हैं. हमारे शास्त्रों में लिखा है कि जैसा खावै अन्न वैसा हो जाये मन, जैसा पीवै पानी वैसी जो जाये वाणी” मतलब हम जैसा अन्न ग्रहण करेगे वैसा हमारा मन होगा और जैसा पानी पिएंगे वैसी हमारी वाणी होगी. आयुर्वेद आहार को ऊर्जा प्राप्ति का साधन मात्र ही नही मानता बल्कि आयुर्वेद के अनुसार आहार इंसान के आध्यात्मिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए जरूरी है. सभी आयुर्वेदाचार्य और महर्षियों के कथनों का सार यही है की संयमित ,संतुलित और स्वस्थ भोजन ना सिर्फ हमारे मानसिक ,आध्यात्मिक और शारीरिक कष्टों का निवारण करता है बल्कि हर प्रकार के दोषों को दूर भी रखता है. इसी क्रम में आचार्य चरक ने बताया है की इंसान का स्वस्थ और सेहतमंद रहना उसके जीवन पद्धति पर निर्भर करता है. अगर इंसान संतुलित और संयमित जीवनशैली रखे तो जीवन के अंतिम पड़ाव तक वह सुखद स्वास्थ्य का सुख भोग सकता है.आईए जानते हैं की आचार्य चरक ने भोजन करने संबंधी कौन-कौन से महत्वपूर्ण नियम बताए हैं

पहला नियम

भोजन ग्रहण करने का पहला नियम है उष्णम यानी की हमेशा गर्म भोजन करना चाहिए. आहार के रूप में जो भी आप लेते हैं वह ताजा और गर्म होना चाहिए. आजकल लोग फ्रोजन फूड,प्रोसेस्ड फूड और डिब्बा बंद खाने के शौकीन हो गए हैं. स्वाद के चक्कर में लोग होटल और रेस्टोरेंट से खाना ऑर्डर करते हैं. रेस्टोरेंट के ज्यादातर भोजन अशुद्ध होने के साथ-साथ बासी होता है जिसको गर्म करके भेज दिया जाता है. ऐसे भोजन को खाने का दूरगामी परिणाम हानिकारक होता है. गरम भोजन के पोषक तत्व आसानी से शरीर में लगते हैं इसमें बैक्टीरिया नहीं पनप पाते हैं इतना ही नहीं गर्म भोजन मेटाबॉलिज्म को तेज करता है जिससे भोजन आसानी से पच जाता है और पेट संबंधी समस्या नही होने पाती है.

दूसरा नियम

यह नियम कहता है कि भोजन चिकनाई युक्त होना चाहिए. इसका मतलब यह है कि भोजन में वसा, तेल और घी आदि की मात्रा होनी चाहिए. शुद्ध चिकनाई युक्त खाद्य पदार्थ का सेवन संतुलित मात्रा में करने से शरीर के बाल, मांसपेशियां, त्वचा और पाचन भी बेहतर रहता है. महर्षि चरक ने बताया है कि चिकनाई युक्त भोजन तभी ग्रहण करें जब पेट की जठर अग्नि तीव्र हो. भोजन के साथ गुनगुना लिक्विड या पानी पीने की सलाह भी दी जाती है ताकि भोजन का बेहतर पाचन हो सके.

तीसरा नियम

चरक संहिता के अनुसार भोजन संतुलित और उचित मात्रा में ग्रहण करना जरूरी है. भोजन का जरूरत से ज्यादा ग्रहण करना और बहुत कम खाना दोनों सही नहीं है. इसका मतलब यह है कि आहार पाचन शक्ति के अनुकूल होना चाहिए.

चौथा नियम

महर्षि चरक का चौथा नियम कहता है की भोजन पचने के उपरांत ही अगला भोजन लें. अगर भोजन पचने से पूर्व ही अगला आहार ग्रहण किया जाए तो इससे पेट से संबंधित कई समस्याएं जन्म ले सकती है.

पांचवा नियम

चरक संहिता का पांचवा नियम कहता है कि भोजन ग्रहण करने वाला स्थान शांत और आरामदायक होना चाहिए. इससे इंसान शांति चित होकर सही मात्रा और अपनी इच्छा अनुसार भोजन कर पता है. वही आजकल के जीवनशैली में लोग टीवी देखते हुए, चलते हुए और खड़े-खड़े भोजन करने के शौकीन हो गए हैं जो गंभीर स्वास्थ्य संकट खड़ा कर सकता है.

छठा नियम

भोजन में सभी आवश्यक पोषक तत्वों की उपलब्धता होनी चाहिए. आजकल लोग स्वाद के लिए पोषक तत्वों को भूल चुके हैं और जो मिल रहा है धड़ल्ले से खा लेते हैं. ऐसे में आचार्य चरक का छठा नियम महत्वपूर्ण हो जाता है की आहार में ऐसी चीज ही शामिल करें जिनमे सभी जरूरी पोषक तत्व मौजूद हों.

सातवां नियम

सातवां नियम यह बताता है की जल्दीबाजी में भोजन न करें. जल्दीबाजी में भोजन करने से भोजन में ना तो सलाइवा अच्छे से मिश्रित हो पाता है और ना ही भोजन छोटे-छोटे टुकड़ों में टूट पाता है. जिसके परिणामस्वरूप पाचन,कब्ज संबंधी दिक्कत शुरू हो जाती है. इतना ही नहीं जल्दीबाजी में भोजन करने के कारण भोजन आमाशय में जाने के बजाय श्वास नली के जरिए लंग्स में चला जाता है जिससे परेशानी का सामना करना पड़ता है.

आठवां नियम

इस नियमानुसार शांत होकर भोजन करें या भोजन करने के दौरान बातचीत हंसी मजाक या अन्य कोई काम ना करें. इसका मतलब यह भी है कि भोजन करने के दौरान एकाग्रचित होकर सिर्फ भोजन पर ध्यान लगाकर ही भोजन करें.

Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.

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