कोरोना के लक्षण आपके दिमाग पर लंबे समय तक कर सकते हैं असर, स्टडी में हुआ चौंकाने वाला खुलासा
शोधकर्ताओं ने स्टडी के लिए 46 ऐसे कोरोना मरीजों पर 8 से 10 महीने तक नजर रखी, जिन्हें आईसीयू में भर्ती होना पड़ा था. शोधकर्ताओं ने मरीजों के ब्रेन टेस्ट, सिटी स्कैन और कंप्यूटर आधारित कॉग्रिटिव टेस्ट के बाद पाया कि मरीजों के प्रतिक्रिया देने का समय उनके उम्र के स्वस्थ लोगों के मुकाबले घट गया है.
कोरोना (Covid-19) से संक्रमित लोगों के दिमाग पर बीमारी का लंबा असर देखने को मिल सकता है. एक नई स्टडी में जानकारी सामने आई है. शोधकर्ताओं के अनुसार कोरोना मरीजों के दिमाग के सेरेब्रल कॉर्टेक्स में ग्रे मैटर की मात्रा में अधिक कमी है. इंग्लैंड में 785 लोगों के ब्रेन स्कैन और दूसरे टेस्ट की रिपोर्ट देखने के बाद शोधकर्ता इस नतीजे पर पहुंचे हैं. इनमें 401 लोग कोरोना वायरस से संक्रमित थे.
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2 फीसदी तक सिकुड़ा कोरोना संक्रमितों का दिमाग
स्टडी के अनुसार कोरोना के हल्के लक्षण वाले मरीजों में संक्रमण के करीब साढ़े चार महीने बाद, स्वस्थ लोगों की तुलना में उसके मष्तिष्क का आकार औसतन 0.2 फीसदी से 2 फीसदी के बीच सिकुड़ गया है. बता दें कि इससे पहले भी कुछ ऐसी रिसर्च में यह कहा गया था कि कोरोना से प्रभावित मरीजों में आगे चलकर मस्तिष्क से जुड़ी बीमारी देखने को मिल सकती है. हालांकि अभी तक गंभीर लक्षण वाले मरीजों को इसका अधिक खतरा बताया जाता था, लेकिन यह स्टडी कहती है कि हल्के लक्षण वाले मरीजों में भी यह समस्या देखने को मिल सकती है.
गंभीर मरीजों पर शोधकर्ताओं ने की स्टडी
शोधकर्ताओं ने स्टडी के लिए 46 ऐसे कोरोना मरीजों पर 8 से 10 महीने तक नजर रखी, जिन्हें आईसीयू में भर्ती होना पड़ा था. शोधकर्ताओं ने मरीजों के ब्रेन टेस्ट, सिटी स्कैन और कंप्यूटर आधारित कॉग्रिटिव टेस्ट के बाद पाया कि मरीजों के प्रितिक्रिया देने का समय उनके उम्र के स्वस्थ लोगों के मुकाबले घट गया है. साथ ही मरीजों के दिमाग की औसत उम्र 50 साल से बढ़कर 70 साल हो गई थी. जो मरीज वेंटिलेटर पर था या जिन्हें ऑर्गन सपोर्ट की जरूरत पड़ी थी, उनमें अधिक असर देखने को मिला है.
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