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कोरोना वायरस: मध्यप्रदेश में हो सकती है वेंटिलेटर एवं आईसीयू बेड की भारी कमी

there may be severe shortage of ventilators and ICU beds in Madhya Pradesh भोपाल : मध्यप्रदेश में कोरोना वायरस संक्रमित मरीजों की पिछले कुछ दिनों से तेजी से बढ़ रही संख्या को देखते हुए अंदाजा लगाया जा सकता है कि आने ‍वाले दिन और भी चुनौतीपूर्ण होंगे. राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े आंकड़ों के अनुसार राज्य में वेंटिलेटर और आईसीयू में बिस्तरों की स्थिति भी विकट हो सकती है, यदि संक्रमितों के आंकड़ों में कमी लाने को लेकर गंभीर प्रयास नहीं किये गये.

भोपाल : मध्यप्रदेश में कोरोना वायरस संक्रमित मरीजों की पिछले कुछ दिनों से तेजी से बढ़ रही संख्या को देखते हुए अंदाजा लगाया जा सकता है कि आने ‍वाले दिन और भी चुनौतीपूर्ण होंगे. राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े आंकड़ों के अनुसार राज्य में वेंटिलेटर और आईसीयू में बिस्तरों की स्थिति भी विकट हो सकती है, यदि संक्रमितों के आंकड़ों में कमी लाने को लेकर गंभीर प्रयास नहीं किये गये.

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मध्यप्रदेश सरकार के आंकड़ों का विश्लेषण करने पर पता चलता है कि मध्यप्रदेश में प्रति 75,000 लोगों के लिए केवल एक वेंटिलेटर है और प्रति 47,000 लोगों के लिए मात्र एक आईसीयू बेड उपलब्ध है. हालांकि, राज्य सरकार के लिए यह संतोष की बात है कि इस महामारी से लड़ने के लिए कारगर मानी जा रही हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन की गोलियां वर्तमान में प्रति व्यक्ति करीब 30 (गोलियां) उपलब्ध हैं.

असलियत में यह दवा मलेरिया के उपचार में काम आती है, लेकिन फिलहाल कोरोना वायरस संक्रमण के इलाज में दुनिभर में इसका प्रयोग हो रहा है. मध्यप्रदेश में अब तक कोरोना वायरस संक्रमित मरीजों की संख्या 470 पर पहुंच गयी है, जिनमें से 37 लोगों की मौत हो चुकी है. इस महामारी ने प्रदेश के जबलपुर में 20 मार्च को दस्तक दी थी और मात्र 21 दिन में इस बीमारी ने प्रदेश के 20 जिलों को अपनी चपेट में ले लिया है.

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प्रदेश में इंदौर में सर्वाधिक 235 कोरोना संक्रमित मरीज मिले हैं, जबकि भोपाल में 112 मरीज संक्रमित पाये गये हैं. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, साढ़े सात करोड़ से अधिक आबादी वाले मध्यप्रदेश में सरकारी एवं निजी अस्पतालों को मिलाकर मार्च, 2020 तक कुल 993 वेंटिलेटर और गहन चिकित्सा विभाग (आईसीयू) के 1,598 आईसीयू बेड उपलब्ध हैं.

प्रदेश की साढ़े सात करोड़ से अधिक आबादी के साथ इन वेंटिलेटरों और आईसीयू बेडों की तुलना करने पर पता चलता है कि करीब प्रति 75,000 लोगों के लिए एक वेंटिलेटर है और प्रति 47,000 लोगों के लिए एक आईसीयू बेड है. लेकिन, इन वेंटिलेटरों एवं आईसीयू बेडों में से अधिकांश पर पहले से ही अन्य बीमारियों से जूझ रहे अति गंभीर मरीज हैं, जिससे मुसीबत और बढ़ सकती है.

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आंकड़ों के अनुसार, प्रदेश के अस्पतालों में कुल 29,914 बेड हैं, जिनमें से 9,492 आइसोलेशन (पृथक) वार्ड हैं. आबादी के अनुसार वेंटिलेटर और आईसीयू बेड का अनुपात बहुत ही कम होने पर पूछे गये सवाल पर मेडिकल शिक्षा के प्रमुख सचिव संजय शुक्ला ने बताया कि अस्पतालों सहित चिकित्सा से जुड़े हर चीज को सुधारने के साथ-साथ आवश्यक हेल्थकेयर उपकरणों को खरीदने के लिए प्रयास किये जा रहे हैं.

उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने 200 वेंटिलेटर खरीदने का ऑर्डर दे दिया है, लेकिन हमें इनके प्राप्त होने में कुछ समय लग सकता है, क्योंकि विश्व भर में चल रही कोरोना वायरस की महामारी के चलते इस जीवन रक्षक उपकरण की पूरी दुनिया में ही भारी मांग है. शुक्ला ने कहा कि राज्य सरकार के पास पैसे की कोई कमी नहीं है. लेकिन स्वास्थ्य सुविधाओं के ढांचे को विकसित करने पर वक्त लगता है.

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इसके अलावा, इन वेंटिलेटरों का संचालन करने के लिए हमें विशेषज्ञों की जरूरत भी होगी. फंड तो उपलब्ध है. उन्होंने बताया कि वर्तमान में कोरोना वायरस से लड़ने के लिए हमारे पास 29,380 पीपीई किट्स हैं. एन-95 मास्क की संख्या 1.5 लाख तथा थ्री लेयर मास्क की संख्या 7.5 लाख है.

वहीं, प्रदेश सरकार के आंकड़े बताते हैं कि राज्य में वर्तमान में करीब 24.25 लाख हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन की गोलियां उपलब्ध हैं. इस दवाई को मलेरिया सहित अन्य रोगों में उपयोग किया जाता है. इसे इस महामारी से लड़ने के लिए कारगर माना जा रहा है.

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