थायराइड कैंसर पुरुषों की तुलना में महिलाओं में ज़्यादा होता है. इसके शुरुआती लक्षण आमतौर पर पकड़ में नहीं आते हैं जिस कारण इसे एक सामान्य घेंघा रोग समझ लिया जाता है. इसका परिणाम यह होता है कि यह कैंसर फैल कर गले के महत्वपूर्ण एरिया को डैमेज करने लगता है. यह कहना है पटना के हेड एंड नेक (मस्तिष्क और गला ) कैंसर विशेषज्ञ डॉ मिताली दांडेकर लाल का. बोरिंग रोड चौराहा के पास स्थित सुदामा भवन में भी रोगियों को देखने के दौरान बातचीत में डॉ दांडेकर ने बताया कि यूं तो थायराइड कैंसर एंडोक्राइन कैंसर परिवार का कम ख़तरनाक कैंसर है. लेकिन अगर इसे अनट्रीटेड छोड़ दिया जाए तो यह जानलेवा भी साबित हो सकता है.
डॉ मिताली दांडेकर लाल पारस कैंसर सेंटर, पटना के हेड एंड नेक ऑन्कोलॉजी विभाग (मस्तिष्क और गला कैंसर विभाग) में वरिष्ठ सलाहकार भी हैं.
गले के निचले हिस्से में, श्वास नली (विंड पाइप) के करीब एक ग्रंथि होती है जिसे थायराइड कहा जाता है. थाइरोइड हार्मोन पैदा करता है, जो शरीर का वज़न, रक्तचाप, हृदय गति, रक्त प्रवाह, शरीर के तापमान और अन्य कारकों को नियंत्रित करता है. और इसी थायरॉयड ग्रंथि में शुरू होने वाली अनियमित कोशिका वृद्धि को थाइरोइड कैंसर कहा जाता है. महिलाओं के हार्मोन में फ्लक्चुएशन आम है. इस कारण से गले में गांठ बनने की संभावना भी बढ़ जाती है. हालांकि ज़्यादातर गांठे अपने आप ख़त्म हो जाती हैं. लेकिन कई बार गांठ घेंघा का शक्ल ले लेती हैं. 10 प्रतिशत घेंघा के आगे चल कर कैंसर में परिवर्तित होने की आशंका रहती है.
पुरुषों की तुलना महिलाओं में थायराइड से जुड़े मामले ज़्यादा देखे जाते हैं. डॉ.मिताली दांडेकर कहती हैं थाइरोइड कैंसर किसी भी उम्र के पुरुष और महिला को हो सकता है. लेकिन आमतौर पर 55 वर्ष से अधिक की महिलाओं में इसकी आशंका सबसे अधिक होती है.
डॉ मिताली के अनुसार थायराइड कैंसर के मरीजों के लिए थेरेपी मरीज़ की स्थिति को देखते हुए सजेस्ट किया जाता है. पहले डॉक्टर अल्ट्रासाउंड और हार्मोनल टेस्ट कराते हैं. इसके बाद ज़रूरत पड़ी तो बायोप्सी कराई जाती है. इसके बाद कैंसर डिटेक्ट होने पर आगे का प्रोसीजर चलता है. थाइरोइड कैंसर का ऑपरेशन सुरक्षित होता है. इसमें 4-6 घंटे का समय लगता है. इसका पूरा इलाज संभव है.
1) गर्दन के बीच में एक गांठ सा दिखना, जो हाथों से महसूस हो
2) गांठ का तेज़ी से बढ़ना
3) आवाज़ में बदलाव
4) निगलने में तकलीफ़
5) गर्दन में मौजूद लिम्फ नोड्स में सूजन.
6) गले और गर्दन में दर्द
इसे लेकर अवेयरनेस कम:
डॉ मिताली दांडेकर कहती हैं थायराइड कैंसर को लेकर महिलाओं में जागरूकता का प्रतिशत नगण्य है. हमारे पास ऐसी-ऐसी महिलाएं आती हैं जिन्होंने 15-15 साल तक इस रोग को बिना इलाज के छोड़ रखा था. इसे एक सामान्य घेंघा समझ कर तकलीफ़ बरदाश्त करती रहीं. तकलीफ़ जब बरदाश्त से बाहर हो गई तब इलाज के लिए हमारे पास आईं. इसे अनट्रीटेड छोड़ दिया जाए तो यह गर्दन के महत्वपूर्ण भाग को खाने लगता है. यह गर्दन के हिस्से से फैल कर सांस और खाने की नली को डैमेज करने लगता है. हालांकि किसी भी स्टेज में इसका सफल इलाज संभव है.
Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.