बदलते मौसम में ऐसे रखें खुद का ख्याल, इन तरीकों से रहें फिट

अक्सर जब भी मौसम बदलता है तो बहुत से लोग बीमार हो जाते हैं, जिसमें सर्दी या बुखार आदि काफी आम है. सर्दी के मौसम में हमारे शरीर में कई तरह के बदलाव होते हैं, जो फायदेमंद या नुकसानदायक दोनों ही तरह के हो सकते.

By Neha Singh | January 26, 2024 9:20 AM

मौसमी परिवर्तन पीने के पानी और खान-पान को प्रभावित करते हैं जिसके परिणामस्वरूप डायरिया संबंधी बीमारियां और कुपोषण होता है. मलेरिया और डेंगू जैसे मच्छर (वेक्टर) जनित संक्रमण मौसम परिवर्तन से प्रभावित होते हैं. जब आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है तो सर्दी और खांसी आसानी से हो जाती है. मानव शरीर का चयापचय मौसम बदलने के साथ-साथ बदलता है. योग, व्यायाम और प्राणायाम हर मौसम में आपकी सेहत के लिए फायदेमंद होते हैं. नियमित व्यायाम प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देता है और वायरल संक्रमण से बचाता है.

ये हैं कुछ बीमारियां 

मौसमी फ्लू होने का खतरा: यह सबसे आम संक्रमण है जो कई वायरस के कारण होता है जो ठंडे मौसम में पनपते हैं और मानव शरीर की श्वसन प्रणाली को प्रभावित करते हैं. कुछ सामान्य लक्षण हैं नाक बहना, गले में खराश, बुखार, शरीर में दर्द, ठंड लगना आदि. साथ मौसम बदलने से श्वसन संबंधी एलर्जी की स्थिति पैदा होती है, रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है और मनुष्य को इसकी चपेट में आने का खतरा होता है.

थायरॉयड ग्रंथि की अनियमितताएं: विभिन्न मौसमों के दौरान तापमान में उतार-चढ़ाव के कारण विभिन्न मौसमों के दौरान थायराइड हार्मोन के स्तर में परिवर्तन होता है. सर्दियों में, अधिक गर्मी पैदा करने और शरीर के तापमान को बनाए रखने के लिए थायराइड हार्मोन में वृद्धि होती है. अत्यधिक पसीना आने जैसे लक्षणों का अनुभव करते हैं, उन्हें थायराइड कार्यों और विटामिन डी सहित पोषण संबंधी कमियों की निगरानी की आवश्यकता होती है.

थकान और चक्कर आना: कुछ लोगों को कुपोषण और पोषक तत्वों की कमी के कारण और कभी-कभी गर्मी के तनाव के कारण थकान और चक्कर का सामना करना पड़ सकता है. ऐसा इसलिए है क्योंकि कम तापमान के अनुकूल ढलते समय, शरीर को तापमान बनाए रखने के लिए अतिरिक्त ऊर्जा की आवश्यकता होती है.

स्वस्थ जीवनशैली: संतुलित आहार लेना, पर्याप्त नींद और आराम करना और तनाव को नियंत्रण में रखना आपको मौसमी बीमारियों से बेहतर ढंग से निपटने में मदद कर सकता है.

पौष्टिक खाद्य पदार्थों का सेवन: मौसम के लिए पोषण संबंधी आवश्यकताओं को संतुलित करने के लिए नियमित और स्वस्थ आहार को प्राथमिकता दी जानी चाहिए. संतुलित जल सेवन के साथ जलयोजन महत्वपूर्ण है. एक गलत धारणा है कि पानी का सेवन केवल गर्मी के मौसम या गर्म मौसम के दौरान ही अत्यधिक महत्वपूर्ण है. ठंड के मौसम में भी एक वयस्क के लिए 2.5 लीटर तक पानी का सेवन आवश्यक है.

विटामिन डी की निगरानी: सर्दियों के महीनों के दौरान घर के अंदर की आदतों और धूप की कमी के कारण विटामिन डी के स्तर की निगरानी करना महत्वपूर्ण है. पालक, पनीर, अंडे और मछली सहित विटामिन डी से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए.

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इन उपायों से करें इलाज

  • हाथ, पैर व शरीर के कुछ विशेष अंगों में खिंचाव, जिसे स्ट्रेचिंग कहा जाता है, सर्दी के दिनों में अनिवार्य तौर पर करें.

  • पैर के पंजे, हाथों में, कमर, कंधा, गर्दन और कलाई के व्यायाम विशेष तौर पर करें ताकि इनका संचालन बेहतर हो सके. इससे आपके शरीर के अंग सुचारू रूप से कार्य करते हैं.

  • सर्दियों में दमा की समस्या होना सामान्य है, जिसके लिए सायको सोमेटिक और न्यूरोसोमेटिक यौगिक क्रियाओं के अलावा, भुजंगासन, स्ट्रेच मकरासन, पवनमुक्तासन और शशांक आसन लाभदायक हैं.

  • ठंड के दिनों में, उच्च रक्तचाप के अलावा हृदय रोगियों को रात में अधिक कष्ट होता है. इसके लिए सुबह और शाम के समय पैदल चलना या सैर पर जाना फायदेमंद होता है.

  • चि‍कित्सक इसके लि‍ए दिन में कम से कम एक बार दिल खोलकर हंसने की भी सलाह देते हैं.

  • सामान्य तौर पर शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता का कम होना, मानसिक व शारीरिक समस्याएं होना, आलस्य का बना रहना, मन की एकाग्रता कम होना या फिर याददाश्त कमजोर होने पर ध्यान, प्राणायाम, शवासन, योगनिद्रा आदि क्रियाएं फायदेमंद होती हैं.

  • अगर आप स्वस्थ हैं और आपको किसी प्रकार की स्वास्थ्य समस्या नहीं है, तो आप ताड़ासन और त्रिकोणासन कर सकते हैं.

  • कमर के लिए व्यायाम करना हमेशा लाभदायक होता है.

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Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.

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