Abortion: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक अहम फैसला लिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सभी विवाहित या अविवाहित महिलाएं गर्भावस्था के 24 सप्ताह तक सुरक्षित और कानूनी रूप से अबॉर्शन कराने की हकदार हैं. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि अबॉर्शन कानूनों के तहत विवाहित और अविवाहित महिलाओं के बीच भेदभाव संवैधानिक रूप से सही नहीं है. विवाहित और अविवाहित के बीच भेदभाव उस रूढ़िवादी सोच को बढ़ावा देता है कि केवल विवाहित महिलाएं ही यौन संबंध बना सकती हैं.
ऐसे में महिलाओं के लिए ये जानने ज्यादा जरूरी है कि अबॉर्शन उनके लिए कितना घातक है. हर साल दुनिया भर में अनपेक्षित अबॉर्शन वाली लगभग 42 मिलियन महिलाएं अबॉर्शन का चयन करती हैं, और इनमें से लगभग आधी प्रक्रियाएं, 20 मिलियन असुरक्षित होती है. असुरक्षित अबॉर्शन से हर साल लगभग 68,000 महिलाओं की मौत हो जाती है, जो इसे मातृ मृत्यु दर (13%) के प्रमुख कारणों में से एक बनाती है. असुरक्षित अबॉर्शन से बचने वाली महिलाओं में से 5 मिलियन महिलाएं लंबे समय तक इसका समाना करती हैं. ऐसे में असुरक्षित अबॉर्शन एक गंभीर मुद्दा है. अक्सर उन महिलाओं के लिए अबॉर्शन ज्यादा खतरनाक साबित होता है जो पिल्स की मदद से भ्रूण को गर्भाशय में ही नष्ट कर देता है. जिससे महिलाओं को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
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ब्लीडिंग होना- पिल्स लेने की वजह से हार्मोन बनना बंद हो जाता है और भ्रूण गर्भाश्य से अलग होकर बाहर आने लगता है. इससे गर्भाशय में संकुचन होता है. जिसके बाद ब्लीडिंग की समस्या ज्यादा होती है.
पेट में संकुचन और दर्द- पिल्स को लेने से भारी मात्रा में ब्लड और दूसरे द्रव भी शरीर से बाहर निकलते हैं इसलिए कमजोरी और पैरों और कमर में काफी दर्द महसूस होता है.
उल्टी की समस्या- अबॉर्शन पिल्स लेने के बाद मुंह का टेस्ट गायब हो जाता है, ऐसी अवस्था में उल्टीऔर दस्त लगने जैसी समस्याएं होने लगती हैं. इसकी वजह से शरीर में काफी कमजोरी होने लगती है.
भ्रूण पूरी तरह से बाहर नहीं आता- पिल्स लेने के बाद भी कई बार भ्रूण पूरी तरह बाहर नहीं आता और रूक- रूक कर ब्लिडिंग होती है. जिससे महिलाओं को काफी परेशानी होती है. इसके अलावा गर्भास्य में कुछ अंग रह जाते हैं, जो किसी भी महिला के लिए खतरनाक होती है. इससे इंफेक्शन होता है जो बहुत खतरनाक होता है.
डिप्रेशन भी हो जाता है- कई बार देखा गया है कि अबॉर्शन पिल्स लेने के बाद महिलाओं में बेचैनी, नींद ना आना, मूड में बार-बार बदलाव, रोना आते हैं. इससे डिप्रेशन की शिकायत होती है.
Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.