वृद्धों के सामाजिक मेलजोल को सीमित करती है मूत्र-नियंत्रण क्षमता की कमी: सर्वे
18 प्रतिश दर्ज घटनाओं के साथ पेशाब पर नियंत्रण की कमी वह दूसरी सबसे बड़ी वजह बन कर सामने आई है जो 65 वर्ष के अधिक उम्र के लोगों के निश्चिंत होकर घूमने फिरने में बाधक है, यह कारण थकावट व भुलक्कड़पन के संयुक्त आंकड़े से भी बड़ा है.
भारत में तकरीबन दो-तिहाई या 65.3 प्रतिशत वृद्धजन यह मानते हैं की मोबाइल एवं टेक्नोलॉजी के बढ़ते इस्तेमाल ने बच्चों के साथ उनके मेलजोल पर बुरा असर डाला है. 72.5 प्रतिशत वृद्धों का कहना था कि उनकी पीढ़ी अपने परिवार के बड़ों के संग ज्यादा वक्त बिताया करती थी.
भारतीय वृद्धों का चलना-फिरना सीमित करने के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार
सर्वे में शामिल 51 प्रतिशत वृद्धों ने बताया की स्वास्थ्य समस्याओं के चलते उन्हें घूमने-फिरने व अपने काम स्वयं करने में परेशानी होती है. जोड़ों व शरीर की पीड़ा (58.1 प्रतिशत) वह कारण है जो भारतीय वृद्धों का चलना-फिरना सीमित करने के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार है. हालांकी, थकावट और भुलक्कड़पन (प्रत्येक 8.4 प्रतिशत) वृद्धों की मोबिलिटी को सीमित करने की दूसरी सबसे बड़ी वजह नहीं हैं.
18 प्रतिशत दर्ज घटनाओं के साथ पेशाब पर नियंत्रण की कमी
वास्तव में 18 प्रतिशत दर्ज घटनाओं के साथ पेशाब पर नियंत्रण की कमी वह दूसरी सबसे बड़ी वजह बन कर सामने आई है जो 65 वर्ष के अधिक उम्र के लोगों के निश्चिंत होकर घूमने फिरने में बाधक है, यह कारण थकावट व भुलक्कड़पन के संयुक्त आंकड़े से भी बड़ा है. 16.2 प्रतिशत वृद्धों ने बताया की बीते 30 दिनों में दिन या रात उन्हें पेशाब के लिए तुरंत टॉयलेट जाना पड़ता है.
पैन हैल्थकेयर के लिबर्टी इन लाइफ ऑफ ओल्डर पीपल सर्वे
31.6 प्रतिशत ने बताया की कभी-कभी अचानक पेशाब निकल जाता है. 27.3 प्रतिशत वृद्धों ने बीते सप्ताह कम से कम एक बार कपड़ों पर पेशाब लगने की बात कही, इनमें से आधे ऐसे थे जिनके साथ रोज़ाना ऐसा हुआ. ये सभी जानकारियां पैन हैल्थकेयर के लिबर्टी इन लाइफ ऑफ ओल्डर पीपल सर्वे 2022 में सामने आई हैं. इस सर्वे में भारत के 10 शहरों, दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, बैंगलोर, हैदराबाद, चेन्नई, लखनऊ, पटना, पुणे और अहमदाबाद. से 10,000 वृद्ध जनों की प्रतिक्रिया दर्ज की गई.
युवा सदस्य वृद्धों की शारीरिक व सामाजिक जरूरतों पर ज्यादा ध्यान दें
लिबर्टी ऐडल्ट पैन्ट्स के निर्माता पैन हैल्थकेयर के सीईओ श्री चिराग पैन ने कहा, ’’राष्ट्रीय सांख्यिकीय कार्यालय (एनएसओ) और जनगणना के आंकड़े दर्शाते हैं की देश में वृद्धों की आबादी सामान्य जनसंख्या के मुकाबले ज्यादा तेजी से बढ़ रही है. वास्तव में आगामी दशक में यह 40 प्रतिशत से अधिक हो जाएगी, जबकी समग्र जनसंख्या में अनुमानित वृद्धि का आंकड़ा मात्र 8.4 प्रतिशत है. यह लाज़िमी है की परिवार के युवा सदस्य वृद्धों की शारीरिक, मानसिक व सामाजिक जरूरतों पर ज्यादा ध्यान दें.’’
स्वास्थ्य के लिए पैदल चलना, योग, कसरत और ध्यान
लिबर्टी इन लाइफ सर्वे में भाग लेने वाले लगभग 12 प्रतिशत वृद्धों ने यह भी बताया की वे स्वास्थ्य के लिए पैदल चलना, योग, कसरत, ध्यान या विचार पूर्वक आहार लेना – ऐसा कुछ नहीं करते, इस वजह से युवा आबादी के लिए उन्हें बाहर ले जाना या उन्हें सहयोग देना और भी जरूरी हो जाता है.
एनएसओ द्वारा किए गए अध्ययन ’भारत में वृद्ध’ के अनुसार 2021 में देश में लगभग 13.80 करोड़ वृद्ध लोग थे. 2011 की जनगणना में यह आंकड़ा 10.38 करोड़ था. दुनिया की 8.6 प्रतिशत वृद्ध आबादी भारत में रहती है जो 2050 में बढ़ कर 19 प्रतिशत हो जाएगी.
लिबर्टी इन लाइफ 2022 सर्वे से पता लगा है की 16.2 प्रतिशत वृद्ध अधिकांश समय अकेलापन महसूस करते हैं, जबकि 36.2 प्रतिशत कभी-कभी अकेलापन अनुभव करते हैं. 19.4 प्रतिशत वृद्ध ज्यादातर वक्त उदास महसूस करते हैं जबकि 42.1 प्रतिशत ने कभी-कभी उदासी अनुभव करने की बात कही. 16.8 प्रतिशत वृद्ध अधिकांश वक्त निराशा अनुभव करते हैं जबकि 41.6 प्रतिशत कभी किसी बिंदु पर आकर आशा खो बैठते हैं.
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