Uterus Cancer : महिलाओं में बढ़ रहा है गर्भाशय के कैंसर का खतरा? क्या हैं इसके प्रकार और लक्षण ?

Uterus Cancer : यूट्रस कैंसर जिसे यूटरिन कैंसर और गर्भाशय का कैंसर भी कहा जाता है, यह महिलाओं में गर्भाशाय के टिशूज में डेवलप होता है और यह काफी घातक भी हो सकता है. यह कैंसर शुरुआती तौर पर यूटरस की लाइनिंग एंडोमेट्रियम सेल्स ( Endometrium Cells ) में होता है.

By Shreya Ojha | July 22, 2024 12:17 AM
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Uterus Cancer : यूट्रस कैंसर जिसे यूटरिन कैंसर और गर्भाशय का कैंसर भी कहा जाता है, यह महिलाओं में गर्भाशाय के टिशूज में डेवलप होता है और यह काफी घातक भी हो सकता है. यह कैंसर शुरुआती तौर पर यूटरस की लाइनिंग एंडोमेट्रियम सेल्स ( Endometrium Cells ) में होता है. इस कैंसर का सबसे उपयुक्त इलाज होता है यूटरस को शरीर से अलग कर देना. नेशनल कैंसर इंस्टिट्यूट (National Cancer Institute) के आंकड़े के अनुसार साल 2024 में यूट्रस कैंसर के 67,88 नए केसेस पाए गए हैं, जो सभी नए कैंसर के केसेस का 3.4 प्रतिशत है. 2024 में युटेरस कैंसर से अब तक 13,250 मौतें रिकॉर्ड की गई हैं, जो की सभी कैंसर से हुई मौतों का 2.2% है. चलिए यूट्रस कैंसर के लक्षणप्रकार एवं बचाव के तरीकों बारे में विस्तार से जानते हैं.

Uterus Cancer : यूट्रस कैंसर के प्रकार

यूट्रस कैंसर या यूटरिन कैंसर दो प्रकार के होते हैं पहला एंडोमेट्रियल कैंसर ( Endometrial Cancer )और दूसरा युटेरिन सार्कोमा ( Uterine Sarcoma ).

एंडोमेट्रियल कैंसर ( Endometrial Cancer )

एंडोमेट्रियल कैंसर सबसे ज्यादा पाया जाने वाला यूटरिन कैंसर है जो सभी मामलों का लगभग 95% है. यह गर्भाशय की लाइनिंग में विकसित होता है जिसे एंडोमेट्रियल लाइनिंग कहा जाता है. एंडोमेट्रियल कैंसर के दो मुख्य प्रकार हैं, टाइप 1 और टाइप 2. टाइप 1 जो अतिरिक्त एस्ट्रोजन हार्मोन की वजह से होता है, इसमें एडिनोकार्सिनोमा होते हैं जो ग्रंथि कोशिकाओं में शुरू होते हैं और धीरे-धीरे विकसित होते हैं और यह गर्भाशय में आसानी से फैलते हैं. टाइप 2 कैंसर में गर्भाशय कार्सिनोसार्कोमा, सरसकार्सिनोमा और क्लियर सेल कार्सिनोमा होते हैं और यह तेजी से बढ़ते हैं यह भी आसानी से फैलते हैं. एंडोमेट्रियल कैंसर का समय रहते इलाज संभव होता है.

युटेरिन सार्कोमा ( Uterine Sarcoma )

गर्भाशय सार्कोमा कैंसर गर्भाशय की मांसपेशियों के सहायक टिशूज में विकसित होता है और यह एंडोमेट्रियल कैंसर की तुलना में काफी कम आम होता है लेकिन यह एंडोमेट्रियल कैंसर की तुलना में ज्यादा आक्रामक होता है और इसका इलाज भी कठिन होता है.

Uterus Cancer : गर्भाशय के कैंसर के लक्षण

गर्भाशय की कैंसर के सबसे प्रमुख लक्षणों में से हैं योनि से असामान्य रक्त स्राव होना खास करके मेन्युपॉज के बाद, इसके अतिरिक्त माहवारी के समय सामान्य से ज्यादा रक्तस्राव होना और बदलाव, मासिक धर्म के बीच योनि से रक्तस्राव और माहवारी के वक्त बिना रुकावट लगातार कई दिनों तक रक्तस्राव होना.

Uterus Cancer : गर्भाशय के कैंसर की गंभीरता का आंकलन उसके आकार, उसके फैलने या न फैलने और महिला के समग्र स्वास्थ्य पर निर्भर करता है.अक्सर बहुत सी महिलाओं में इसके लक्षण नहीं भी देखने को मिलते हैं इसीलिए शरीर का नियमित रूप से चेकअप करवाना बहुत आवश्यक होता है. इसके अतिरिक्त अगर आपको इनमें से कोई भी लक्षण अपने शरीर में महसूस होता है या दिखता है तो आपको तत्काल प्रभाव से महिला पेशेवर चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए और उचित इलाज की प्रक्रिया के बारे में जानकारी हासिल करनी चाहिए. इस तरह की बीमारी का इलाज प्राथमिक स्टेज पर करना आसान होता है, लेकिन अगर इसे समय रहते पता नहीं लगाया गया और उचित इलाज नहीं किया गया तो यह घातक और जानलेवा भी हो सकता है.

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