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उन देशों से क्या है सीखने की जरूरत जिन्होंने भारत से पहले खोला लॉकडाउन

what happend when lockdown relief in other countries before India भारत में लॉकडाउन 4 के दौरान काफी छूट दी गयी है. हालांकि, अभी इसपर कुछ कहा नहीं जा सकता है कि यह फैसला कितना हद तक सही साबित होगा. आपको बता दें कि सोमवार को एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से जब यही सवाल पूछा गया कि क्या करेगी सरकार अगर छूट के बाद कोरोना मामलों में और बढ़त हुई तो? ऐसे में मुख्यमंत्री ने कहा, ज्यादा दिनों तक लॉकडाउन भी सही नहीं है. ऐसा करने से लोगों का जीवनयापन भी मुश्किल हो जाएगा. ऐसे में हम आज आपको ऐसे देशों के बारे में बताने जा रहे हैं जिसने भारत से पहले लॉकडाउन खोला. ऐसे देशों से हमें सबक लेने की जरूरत है कि आखिरकार उन्होंने कैसे दी छूट और क्या हुआ उसका परिणाम. तो आइये जानते हैं कुछ ऐसे ही देशों के बारे में....

what happend when lockdown relief in other countries before India भारत में लॉकडाउन 4 के दौरान काफी छूट दी गयी है. हालांकि, अभी इसपर कुछ कहा नहीं जा सकता है कि यह फैसला कितना हद तक सही साबित होगा. आपको बता दें कि सोमवार को एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से जब यही सवाल पूछा गया कि क्या करेगी सरकार अगर छूट के बाद कोरोना मामलों में और बढ़त हुई तो? ऐसे में मुख्यमंत्री ने कहा, ज्यादा दिनों तक लॉकडाउन भी सही नहीं है. ऐसा करने से लोगों का जीवनयापन भी मुश्किल हो जाएगा. ऐसे में हम आज आपको ऐसे देशों के बारे में बताने जा रहे हैं जिसने भारत से पहले लॉकडाउन खोला. ऐसे देशों से हमें सबक लेने की जरूरत है कि आखिरकार उन्होंने कैसे दी छूट और क्या हुआ उसका परिणाम. तो आइये जानते हैं कुछ ऐसे ही देशों के बारे में….

जर्मनी ने अन्य पश्चिमी देशों से पहले लॉकडाउन को खोलना शुरू कर दिया है. आपको बता दें कि यहां अभी तक कोरोना के कुल मामले 177,289 आ चुके हैं. जिसमें 8,123 लोगों की मौत भी हो चुकी है. वहीं, 154,600 से ज्यादा लोग ठीक भी हुए हैं. फिलहाल, यहां 14,566 एक्टिव मामले ही बचे हैं. ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि बाकी देशों के मुकाबले जर्मनी की स्थिति थोड़ी ठीक है. इसके पीछे मुख्य कारण यह है कि महामारी के दौरान इस देश ने व्यापक तरीके से जांच प्रक्रिया चलाई साथ ही साथ इन्होंने हल्के लक्षणों वाले लोगों को भी स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध करवायी.

अंग्रेजी वेबसाइट हेल्थलाइन में छपी खबर के मुताबिक स्थिति में थोड़ा सुधार देखते ही कई हिस्सों में लॉकडाउन खोले जाने लगे जैसा इस समय भारत कर रहा है. हालांकि, जर्मनी ने जापान जैसे कुछ देशों सीख लेते हुए दोबारा खोले गए स्थानों पर कड़ी नज़र बनाए हुए है. आपको बता दें कि उत्तरी जापान ने भी अर्थव्यवस्था के दृष्टिकोण से प्रतिबंध इलाकों को खोल तो दिया था, लेकिन कोरोना के दूसरे कहर के बाद उसे मजबूरन कई इलाकों में दोबारा लॉकडाउन लगाना पड़ा. ऐसे अन्य मामले अन्य देशों भी सामने आए.

संयुक्त राज्य अमेरिका के कुछ क्षेत्र जैसे जर्मनी, जापान और दक्षिण कोरिया जहां व्यवसायों को दोबारा से शुरू की जा रही है या करने की कोशिश पूर्व में हुई है, ऐसे देशों से भारत को काफी कुछ सबक सीखने को मिल सकता है.

जानिए जर्मनी कैसे फिर से खुल रहा है

– अप्रैल के अंत में आंशिक रूप से खोलने के बाद, जर्मनी ने हाल ही में घोषणा की कि अब सभी दुकानें खुल सकती हैं.

– छात्र धीरे-धीरे अपने स्कूल जाना शुरू करें. इसके लिए कुछ गाइडलाइन जारी की गई है. जिसके अनुसार उन्हें मास्क लगाकर आना अनिवार्य है. वहीं, स्कूलों में ऐसी व्यवस्था की गयी है कि बच्चें दूरी बनाकर बैठ सकें.

– जर्मनी ने इसके अलावा भारत की तरह ही कुछ क्षेत्रों में रेस्तरां खोलने की अनुमति देने की बात कही है.

– खाली स्टेडियमों में खेलने की भी अनुमति दे दी गयी है. हालांकि, स्टेडियमों में भीड़ एकत्र नहीं होगी. यहां दोबारा से प्रमुख यूरोपीय फुटबॉल लीग खेला जाना है.

– कोरोना टेस्टिंग और कांटेक्ट ट्रेसिंग पर विशेष रूप से यह देश कार्य कर रहा है. आपको बता दें कि फरवरी से मार्च के अंत तक, जर्मनी में करीब 120,000 लोगों का प्रत्येक सप्ताह कोरोना टेस्ट किया गया है.

– जर्मन मार्शल फंड थिंक टैंक के वरिष्ठ ट्रान्साटलांटिक सुधा डेविड-विल्प की मानें तो इटली और स्पेन को अपने सामने बरबाद होते देखने वाले जर्मनी ने काफी कुछ सबक ली है. ऐसे में यहां सबसे पहले आईसीयू बेड और पीपीई किट को बिल्कुल मुफ्त किया गया है और कोरोना टेस्टिंग पर व्यापक रूप से कार्य किया जा रहा है. हालांकि, सभी देशों के लिए यह कर पाना इसलिए भी संभव नहीं है क्योंकि जर्मनी संसाधनपूर्ण देशों में से एक है.

– फिलहाल, यह देश बेहतर स्थिति में है. यहां संक्रमण की दर में लगातार गिरावट आ रही है. यहां पर लोग बाहर भी निकल रहे हैं और शॉपिंग मॉल से खरीदारी भी कर रहे हैं.

– हालांकि, जर्मनी की सार्वजनिक स्वास्थ्य एजेंसी, रॉबर्ट कोच इंस्टीट्यूट की मानें, तो अभी बिल्कुल शुरुआती दौर है. अभी यह कह पाना मुमकिन नहीं है कि पिछले कुछ हफ्तों में घटे कोरोना के मामले आगे भी घटते रहेंगे या नहीं. इस पर बारीकी से निरीक्षण किया जा रहा है.

संयुक्त राज्य अमेरिका और दुनियाभर के अन्य देश भी जर्मनी को उम्मीद भरी निगाहों से निहार रहे हैं की कैसे यह देश नए कोरोनोवायरस मामलों से सफलतापूर्वक लड़ रहा है और इसके रोकथाम हेतु प्रयासरत है.

जापान में जब दोबारा गंभीर हुआ मामला

कुछ एशियाई देश जो कोरोना वायरस के प्रभावों से परेशान है तथा जर्मनी से संक्रमित और मौत के मामलों में भी आगे हैं. ऐसे देश भी लॉकडाउन खोलने का प्रयास कर रहे हैं.

हालांकि, जर्मनी की तरह, जापान भी एक बार पहले लॉकडाउन खोलने की कोशिश कर चुका है और जर्मनी के अपेक्षाकृत सफल भी हुआ था. लेकिन, दोबारा मामलों में बढ़त देखने के बाद यहां दोबारा प्रतिबंध लगाना पड़ा.

जापान का होक्काइडो क्षेत्र पर्यटन के लिए जाना जाता है. शुरूआत में यहां से सबसे ज्यादा मामले आ रहे थे. जिसके बाद यहां फरवरी में लॉकडाउन कर दिया गया, हालांकि, 17 मार्च तक कोई नया मामला नहीं आने के बाद इसे 19 मार्च को दोबारा खोल दिया गया. क्योंकि यह क्षेत्र आर्थिक दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण है. यहां स्कूलों को फिर से खोलने की अनुमति दी गई, और कुछ सार्वजनिक समारोहों की भी अनुमति दे दी गई.

जिसके तीन सप्ताह बाद, एक दिन में कुल 18 नए मामले सामने आए. जिसके बाद 14 अप्रैल तक फिर से प्रतिबंध लगा दिया गया. यहां दोबारा लॉकडाउन लगाते-लगाते कुल 80 प्रतिशत संक्रमण के मामलों में वृद्धि हो चुकी थी.

होक्काइडो मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. कियोशी नगासे ने बाद में एक बयान जारी कर माफी मांगी और कहा कि मुझे अब इस पर पछतावा हो रहा है. हमें इतनी जल्दी प्रतिबंधों को नहीं हटाना चाहिए था.

दक्षिण कोरिया ने प्रतिबंध हटा कर कर दी बड़ी भूल

जैसा कि ज्ञात हो दक्षिण कोरिया की व्यापक रूप से शुरुआत में प्रशंसा की जा रही थी. इसकी दुहाई पूरे विश्व में दी जा रही थी. क्योंकि इस देश ने कोरोना के रोकथाम के लिए ट्रेसिंग, टेस्टिंग और ट्रिमेंट पर व्यापक रूप से कार्य किया था. और बहुत हद तक इसे रोकने में भी कामयाब रहा. इसके बाद इस देश ने भी जापान की तरह ही गलती की. इसने बंद संस्थानों को खोलना शुरू कर दिया. जिसमें स्कूल, नाइट क्लबों, देवालयों, संग्रहालयों आदि भी शामिल थे. वहीं, पेशेवर बेसबॉल लीग भी खेला जाने लगा. प्रशंसकों ने उम्मीद जतानी शुरू कर दी कि जून में लीग की शुरुआत भी हो सकती है. लेकिन, हाल ही में सियोल के कई क्लबों का दौरा किया गया, जहां 13 नए मामले सामने आ गए. जिनका संपर्क 1,500 से अधिक लोगों से निकला. अब दोबारा से इस देश ने ट्रेसिंग करनी शुरू की है.

चीन के हालात

चीन के सबसे संवेदनशील शहर और कोरोना महामारी की जननी माने जाने वाली जगह वुहान में हाल ही में मामले समाप्त होने की खबर सामने आयी, जिसके बाद प्रतिबंधों में ढील देने का दौर शुरू हुआ. अब स्थिति यह है कि यहां लगभग हर एक-दो दिन पर नए मामले सामने आ रहे हैं, हालांकि, यह संख्या में पहले की तुलना में बेहद कम है लेकिन, मामले दोबारा बढ़ना चिंता का विषय बन गया है.

भारत की स्थिति

विशेषज्ञों कि मानें तो सख्ती से लॉकडाउन पालन करने की जरूरत है. हालांकि, देश की अर्थव्यवस्था भी जरूरी है. अत: इस वायरस के मद्देनजर हमें कार्य करना होगा. किसी ऐसे सेक्टर को नहीं खोलना होगा जहां से इसके प्रसार में मदद मिल सके, जैसा भारत ने अबतक किया है. यहां सैलून, मॉल, नाइट क्लब, स्कूल आदि को खोलने की अनुमति नहीं दी गयी है.

जबकि, औद्योगिक ईकाईयों से देश की अर्थव्यवस्था भी बनी रहे, अत: उस क्षेत्र में ढील दी गयी है. आपको बता दें कि भारत ने भी हाल में शराब दुकानें खोलकर बड़ी गलती कर दी थी. अब इसे भी होम डिलीवरी या ऑनलाइन बेचने की योजना है.

अमेरिका का हाल

इधर, अमेरिका के कुछ राज्यों के बारे में हाल ही में कोलंबिया विश्वविद्यालय मॉडलिंग ने बताया है कि सख्ती के बाद 25 में से 23 राज्यों में कोरोना मामलों में कमी आयी है. हालांकि, आपको बता दें कि शुरूआत में ही लॉकडाउन नहीं लागू करके अमेरिका ने भी बहुत बड़ा गलती की थी और अभी अन्य देशों से सबक ले रहा है.

Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.

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