सर्दियों में बच्चों और बुजुर्गों में बढ़ जाता है हाइपोथर्मिया का खतरा, जानें कारण और बचाव के उपाए

सर्दियों के मौसम में शरीर के तापमान में तेजी से गिरावट आने पर हाइपोथर्मिया का खतरा बढ़ जाता है. शरीर का तापमान गिरकर 35 डिग्री सेल्सियस या 95 डिग्री फारेनहाइट से कम होता है, तब हाइपोथर्मिया का खतरा बढ़ जाता है. सबसे ज्यादा बच्चों, बुजुर्गों और बीमार लोगों पर इसका असर पड़ता है.

By Prabhat Khabar News Desk | January 23, 2022 8:48 PM

सर्दियों के मौसम में शरीर के तापमान में तेजी से गिरावट आने पर हाइपोथर्मिया का खतरा बढ़ जाता है. सबसे ज्यादा बच्चों, बुजुर्गों और बीमार लोगों पर इसका असर पड़ता है. डॉक्टरों के अनुसार, स्वस्थ मनुष्य के शरीर का तापमान 37 डिग्री सेल्सियस या 98.6 डिग्री फारेनहाइट होता है. ठंड के मौसम में अगर शरीर का तापमान गिरकर 35 डिग्री सेल्सियस या 95 डिग्री फारेनहाइट से कम होता है, तब हाइपोथर्मिया का खतरा बढ़ जाता है. इस बीमारी से बचने के लिए विशेष तौर पर सतर्क रहने की जरूरत है.

हाइपोथर्मिया में शरीर की गर्मी तेजी से खोने लगती है और शरीर पूरी तरह ठंडा पड़ जाता है. इस दौरान पीड़ित व्यक्ति की आवाज धीमी पड़ जाती है या उसे नींद आने लगती है. साथ ही पूरे शरीर में कंपकंपी और हाथ-पैर जकड़ने लगते हैं. दिमाग शरीर का नियंत्रण खोने लगता है. इसका खतरा शारीरिक रूप से कमजोर लोगों, मानसिक रोगियों, बेघर लोगों, बुजुर्गों एवं बच्चों में ज्यादा होता है. गंभीर स्थिति में जानलेवा साबित सकता है.

हाइपोथर्मिया के कारण

  • सर्दियों में गर्म कपड़े पहने बिना बाहर रहना

  • झील, नदी या पानी के किसी अन्य स्रोत के ठंडे पानी में गिरना

  • हवा या ठंड के मौसम में गीले कपड़े पहनना

  • भारी परिश्रम करना, पर्याप्त तरल पदार्थ नहीं पीना या ठंड के मौसम में पर्याप्त मात्रा में खाना नहीं खाना.

इन्हें हाइपोथर्मिया का ज्यादा खतरा

नवजात शिशु और उम्रदराज लोग : नवजात बच्चों और बुजुर्गों को हाइपोथर्मिया का सबसे ज्यादा खतरा होता है. यह उनके शरीर के तापमान को नियंत्रित करने की कम क्षमता के कारण होता है.

मानसिक बीमारी एवं डिमेंशिया : मानसिक बीमारियां जैसे-स्किजोफ्रेनिया व बायपोलर डिसऑर्डर डिमेंशिया के कारण से हाइपोथर्मिया का जोखिम बढ़ जाता है, क्योंकि ऐसे लोग ठंड का अंदाजा नहीं लगा पाते हैं.

ऐसे मरीज, जिन्हें हार्ट या ब्लड प्रेशर की समस्या हो : हार्ट और ब्लड प्रेशर की बीमारी से परेशान लोगों में ठंड बढ़ने से हाइपोथर्मिया होने का खतरा ज्यादा रहता है. ठंड में खून की नसें सिकुड़ने की वजह से ब्लड प्रेशर बढ़ने से हार्ट अटैक का डर भी रहता है.

कुपोषण : जब किसी व्यक्ति के आहार में पोषक तत्वों की सही मात्रा नहीं होती है, तो वह कुपोषित हो जाता है. ऐसे में उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है. वह अधिक ठंड को बर्दाश्त करने में भी अक्षम हो जाता है. ऐसे लोगों में हाइपोथर्मिया होने का खतरा बढ़ जाता है.

बहुत ज्यादा थके हुए लोग : जब आप बेहद थके हुए होते हैं, तो आप दूसरों की तुलना में अधिक थका हुआ महसूस कर सकते हैं. यह शारीरिक या मानसिक थकावट हो सकती है, जो अधिक ठंड का एहसास करा सकती है.

शराब या ड्रग्स के प्रभाव में रहने वाले : शराब पीने या नशीले पदार्थों के सेवन से ठंड महसूस करने की क्षमता कम हो जाती है. शराब पीने से रक्त वाहिकाएं फैल जाती हैं, जिससे शरीर गर्म होने की क्षमता खो देता है.

Posted by: Pritish Sahay

Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.

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