क्या है Lumpy Skin Disease, कैसे फैलता है ये रोग, जानें यहां
एक बार फिर लंपी वायरस ने अपने पांव पसार दिये है. जहां पिछले साल दुधारू पशुओं में लंपी वायरस फैलने के कारण कई पशुओं की मौत हो गई थी. लंपी स्किन डिजीज, एक वायरल बीमारी, जो मुख्य रूप से मवेशियों को प्रभावित करती है. यह डिजीज वायरस (एलएसडीवी) के कारण होता है, जो कैप्रीपॉक्सवायरस जीनस का सदस्य है.
एक बार फिर लंपी वायरस ने अपने पांव पसार दिये है. जहां पिछले साल दुधारू पशुओं में लंपी वायरस फैलने के कारण कई पशुओं की मौत हो गई थी. वहीं इस साल एक बार फिर इस खतरनाक वायरस ने पशुओं पर अपना कहर ढाना शुरू कर दिया है. लंपी स्किन डिजीज में पशुओं को तेज बुखार आ जाता है. दुधारू पशु दूध देना कम कर देती है. गर्भवती पशुओं का गर्भपात हो जाता है. यह बीमारी इस तरह खतरनाक है कि पशुओं की मौत तक भी हो जाती है. आखिर ये लंपी वायरस है क्या और ये पशुओं में कैसे फैलता. इन सब के बारे में आज हम जानेंगे इस आलेख में.
क्या है लंपी स्किन डिजीज
लंपी स्किन डिजीज, एक वायरल बीमारी, जो मुख्य रूप से मवेशियों को प्रभावित करती है. यह डिजीज वायरस (एलएसडीवी) के कारण होता है, जो कैप्रीपॉक्सवायरस जीनस का सदस्य है. यह मक्खियों और मच्छरों की कुछ प्रजातियों और टिक्स द्वारा एक पशु के शरीर से दूसरे पशु के शरीर में फैलता है. लंपी वायरस से संक्रमित पशुओं को तेज बुखार आने के साथ ही उनकी भूख कम हो जाती है. इसके अलावा पशुओं के चेहरे, गर्दन, थूथन, पलकों समेत पूरे शरीर में गोल उभरी हुई गांठें बन जाती हैं. साथ ही पैरों में सूजन, लंगड़ापन आ जाता हैं. दूध देने वाले जानवरों में दूध देने की क्षमता भी कम हो जाती है. इतना ही नहीं इस वायरस के कारण कई पशुओं की मौत तक हो जाती है.
कैसे फैलता है ये वायरस
जानवरों में लंपी एलएसडी कैप्रीपॉक्स से फैलती है. अगर एक पशु में संक्रमण हुआ तो दूसरे पशु भी इससे संक्रमित हो जाते हैं. ये बीमारी, मक्खी-मच्छर, चारा के जरिए फैलती है, क्योंकि पशु भी एक राज्य से दूसरे राज्य तक आते-जाते रहते हैं, जिनसे ये बीमारी एक से दूसरे राज्य में भी फैल जाती है.
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इसके लक्षण क्या है
लंपी वायरस के संक्रमित जानवरों के शरीर पर लाल बड़े छाले बन जाते हैं, जो उन्हें असहज बनाते हैं. इन छालों में सूजन हो सकती है और वायरस के प्रसार के कारण एक गाय से दूसरी गाय तक यह छाले फैल सकते हैं. इसके अलावा लगातार बुखार रहना, वजन कम होना, लार निकलना, आंख और नाक का बहना, दूध का कम होना, शरीर पर अलग-अलग तरह के नोड्यूल दिखाई देना और शरीर पर चकत्ता जैसी गांठें बन जाना. अगर ये सभी लक्ष्ण मवेशियों में दिखते हैं, तो समझ सकते हैं आपके मवेशी में लंपी वायरस का संक्रमण फैल रहा है.
पशुओं को इस रोग से बचाने के उपाय
लंपी वायरस को रोकने और नियंत्रित करने के लिए कुछ उपाय बताये गये है जिन्हें अपनाकर इस संक्रमण को काफी हद तक रोका जा सकता है. सावधानी व बचाव से काफी फायदा होगा. आइये जानते हैं क्या है वो उपाय-
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लम्पी के संक्रमण से पशुओं को बचाने के लिए अपने जानवरों को संक्रमित पशुओं से अलग रखना चाहिए.
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अगर गोशाला या उसके नजदीक किसी पशु में संक्रमण की जानकारी मिलती है, तो स्वस्थ पशु को हमेशा उनसे अलग रखना चाहिए.
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रोग के लक्षण दिखने वाले पशुओं को नहीं खरीदना चाहिए. मेला, मंडी और प्रदर्शनी में पशुओं को नहीं ले जाना चाहिए.
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गोशाला में कीटों की संख्या पर काबू करने के उपाय करने चाहिए.
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मुख्य रूप से मच्छर, मक्खी, पिस्सू और चिंचडी का उचित प्रबंध करना चाहिए.
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रोगी पशुओं की जांच और इलाज में उपयोग हुए सामान को खुले में नहीं फेंकना चाहिए.
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अगर गोशाला या उसके आसपास किसी असाधारण लक्षण वाले पशु को देखते हैं, तो तुरंत नजदीकी पशु अस्पताल में इसकी जानकारी देनी चाहिए.
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एक पशुशाला के श्रमिक को दुसरे पशुशाला में नहीं जाना चाहिए.
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पशुपालकों को भी अपने शरीर की साफ-सफाई पर भी ध्यान देना चाहिए.
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अगर किसी पशु में लंपी वायरस के लक्षण दिखाई दें, तो उसकी जांच करवानी चाहिए और उच्चतम संरक्षण उपाय अपनाने चाहिए.
रोकथाम के लिये सतर्कता जरूरी
लंपी वायरस गायों के लिए एक गंभीर रोग है, और इसके फैलने से रोकथाम एवं नियंत्रण के लिए स्वच्छता, टीकाकरण और सतर्कता के उपाय अपनाने जरूरी हैं. यह भी महत्वपूर्ण है कि गायों के लिए अच्छी देखभाल और स्वच्छता का ध्यान रखा जाए, ताकि उन्हें लंपी वायरस जैसी बीमारियों से बचाया जा सके.
Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.