Why Do People Commit Suicide: किस प्रेशर में बच्चे करते हैं आत्महत्या,दिमाग में क्या आती है बातें
अधिकतर लोग ऐसे हैं जो लाइफ में कभी न कभी डिप्रेशन (Depression) के शिकार हुए हैं. दरअसल, यह मानसिक (Mental) तौर से जुड़ा हुआ एक रोग है जिसका यदि समय पर इलाज न कराया जाए तो एक समय के साथ बढ़ता जाता है.
Why Do People Commit Suicide: आजतक लोग थोड़ी सी मुश्किल में परेशान हो जाते हैं और जिंदगी से छुटकारा पाना चाहते हैं. ऐसे में वो सुसाइड (Suicide) को सबसे आसान तरीका समझने लगते हैं. जिसे डॉक्टर डिप्रेशन का शिकार होना कहते है. चाहे वो पारिवारिक परेशानी हो, ऑफिस की समस्या हो या करियर से जुड़ी बात हो. यहां तक की नाबालिग बच्चे भी सुसाइड (Suicide) कर लेते हैं या करने की कोशिश करते हैं. जो हमारे समाज के लिए एक बड़ी समस्या बनती जा रही है.
नीट परीक्षा में फेल हुए छात्र ने की सुसाइडखबरों के अनुसार, चेन्नई के अम्बत्तूर में गुरुवार को एक 19 साल का छात्र जो नीट यूजी की परीक्षा पास नहीं होने पर सुसाइड (People Commit Suicide) कर लिया. इसके अलावा अन्य बच्चे भी फेल होने के डर से मौत को गले लगा लेते हैं. आज हम डॉक्टर पवन बर्णवाल द्वारा इस विषय पर कई प्रश्नों को साझा किए हैं, जो आपके काम आ सकता है.
डिप्रेशन की बात करें तो आमतौर पर जब लोग किसी समस्या से निकल नहीं पाते हैं, हर वक्त उनके दिमाग में एक ही बात चलती है. वो खुश नहीं रह पाते हैं तो वो ऐसी हालत में डिप्रेशन के शिकार हो जाते हैं.
कैसे समझे डिप्रेशन के लक्षण कोजब आप किसी समस्या से घिरे होते है, दिमाग शांत नहीं हो पा रहा हो और हर वक्त एक ही बात आपको परेशान करें तो समझना चाहिए कि आप डिप्रेशन के शिकार होते जा रहे. ऐसे में अकेले रहना और किसी से बात न करना, खाना खाने की इच्छा न होना, किसी काम में मन न लगना. ऐसी स्थिति में आप डिप्रेशन के शिकार (victims of depression) होते जाते हैं. हलांकि अगर यही प्रक्रिया 2 हफ्ते से ज्यादा चले तो आपको समझना होगा कि आप डिप्रेशन के शिकार हो रहे हैं. ऐसे में दोस्तों और परिवार के साथ समय बिताना चाहिए, मन न हो फिर भी मनोरंजन और मोटिवेशनल वीडियो देखना चाहिए. बेहत है अगर आप डॉक्टर की सलाह लें.
कितने प्रकार के होते हैं डिप्रेशन1. मेजर डिप्रेशन (Major Depression)
2. मेलानकॉलिक डिप्रेशन (Melancholic Depression)
3. पर्सिस्टेंट डिप्रेसिव डिसऑर्डर (Persistent depressive disorder)
4.बाइपोलर डिसऑर्डर (Bipolar disorder)
5. सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर (Seasonal affective disorder- SAD)
6. साइकोटिक डिप्रेशन साइकोटिक डिप्रेशन (Psychotic Depression)
7. पोस्टपार्टम डिप्रेशन या पोस्ट डिलीवरी डिप्रेशन (Postpartum Depression)
किस परिस्थिति में सुसाइड करते हैं लोगडिप्रेशन में लोगों के दिमाग में हमेशा एक ही बात चलती है कि वो कैसी भी तरह इन परेशानियों से बाहर निकल सकें. ऐसे में वो मौत को गले लगाना उचित समझते हैं.
मौत से पहले दिमाग में क्या चलता है?डॉक्टर पवन बर्णवाल के अनुसार मौत से पहले उनकी सोच होती है कि वो सुसाइड (People Commit Suicide) कर लें तो सारी मुश्किलों से बाहर निकल जाएंगे. जिससे सारी समस्याएं खत्म हो जाएगी और उससे उन्हें शांति मिलेगी.
कौन होता है सुसाइड का जिम्मेवारआत्महत्या की सोच एक दिन में दिमाग में नहीं आती है, इसके पीछे कई तरह की बातें उस शख्स को सताती है. तब जाकर वो मौत को गले लगाना सही समझता है. वो पिछले कई दिनों से परेशान रहता है. सुसाइड का जिम्मेवार की बात करें तो इसकी वजह भी उनके आस-पास के लोग ही होते हैं, जो उन्हें ऐसा करने पर मजबूर करते हैं. जबकि वहीं लोग उन्हें सुसाइड से बचा भी सकते हैं. चाहें स्कूल हो, कॉलेज हो, घर हो, फ्रेंड्स हो या ऑफिस हो.
क्या सुसाइड (Suicide) ) से परेशानी हो जाती है हलनहीं ये बिल्कुल गलत है, ऐसा करने से कोई भी पेरशानी हल नहीं होती है. इसे किसी हालत में स्वीकार नहीं किया जा सकता. सुसाइड कमजोर दिल और कम उम्र के लोग करते हैं. इससे हमारे समाज और घर पर बुरा असर पड़ता हैं.
सुसाइड करने का मन करें तो क्या करना चाहिएसुसाइड (People Commit Suicide ) करने से पहले अपने घर परिवार और अपने करिबियों के बारे में एक बार विचार करें. उनसे जाकर अपनी सारी पेरशानी शेयर करें, इसके अलावा अपने खास दोस्त को इस बारे में बताएं. अगर आपको इसमें संकोच हो रही तो डॉक्टर की सलाह ले सकते हैं.
Also Read: Neet UG 2022: 4 छात्रों के समान अंक लेकिन तनिष्का बनी टॉपर, जानें एनटीए का नया टाई ब्रेकिंग फॉर्मूला पैरेंट्स क्या करेंआजकल बच्चों में ये ज्यादा देखा जा रहा कि जब किसी काम में असफल होते हैं, परीक्षा पास नहीं कर पाते हैं तो वो सुसाइड की कोशिश (People Commit Suicide) करते हैं. ऐसे में वो ज्यादा शांत होने लगते है, ऐसे में पैरेंट्स को उनकी हरकतों पर ध्यान देना जरूरी है, उन्हें प्यार से बात करना, उनकी परेशानियों को खुद पर लेकर उदाहरण देना, उन्हें मजबूत बनाना. न की उनक गलतियों पर डांटना या चिल्लाना.
Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.