डॉ. अमिताभ कुमार सिन्हा, यूरोलॉजिस्ट, पटना
आमतौर पर 50 वर्ष की उम्र के बाद पुरुषों में प्रोस्टेट ग्लैंड का बढ़ना आम समस्या होती है, लेकिन सर्दियों में प्रोस्टेट ग्लैंड की समस्या अन्य मौसमों की तुलना में कुछ ज्यादा बढ़ जाती है. इससे बचाव कैसे करें इस पर ध्यान देना बहुत ही जरूरी है . जिस तरह से उम्र बढ़ने पर महिलाएं रजोनिवृति से प्रभावित होती हैं, उसी तरह से पुरुष बिनाइन प्रोस्टेटिक हाइपरप्लाशिया (बीपीएच) से प्रभावित होते हैं. इस समस्या में प्रोस्टेट असामान्य रूप से बढ़ता है. देखा गया है कि 30 प्रतिशत पुरुष 40 की उम्र में और 50 प्रतिशत पुरुष 60 की उम्र में प्रोस्टेट की समस्या से परेशान होते हैं. प्रोस्टेट ग्रंथि के बढ़ने से मूत्र त्याग में दिक्कत होती है, अधिक बार मूत्र त्याग के लिए जाना पड़ता है और जब व्यक्ति मूत्र त्याग करता है, तो उसे सनसनाहट महसूस होती है.
प्रोस्टेट ग्रंथि बढ़ने के कारण
स्वास्थ्य के नजरिए से बात करें तो ऐसा पाया गया है कि सर्दियों में कम पानी पीने के कारण भी प्रोस्टेट ग्लैंड की समस्या बढ़ जाती है. दरअसल, पानी कम पीने से पेशाब की फ्रिक्वेंसी भी कम होती है. इससे थैली में यूरीन रुकने की समस्या हो जाती है और पेशाब नली में संक्रमण हो सकता है. हालांकि प्रोस्टेट के बढ़ने के कई कारण हो सकते हैं, जैसे- बढ़ती उम्र, आनुवंशिक व हॉर्माेनल बदलाव. कैफीनयुक्त पेय से मूत्राशय में परेशानी आ सकती है.
रहता है पथरी का खतरा
विशेषज्ञों के अनुसार, प्रोस्टेट के बढ़ने की समस्या धीरे-धीरे हृदय रोग एवं मधुमेह की तरह समान्य समस्या का रूप धारण कर रही है. अगर बीपीएच के कारण मूत्राशय में रुकावट हो तथा इसका इलाज न हो, तो बार-बार मूत्र मार्ग संबंधी संक्रमण, मूत्राशय में पथरी और क्रोनिक किडनी रोग भी हो सकते हैं. ज्यादातर पुरुष बढ़े हुए प्रोस्टेट का महीनों तक और यहां तक कि वर्षों तक कोई इलाज नहीं कराते, जबकि इसे इग्नोर नहीं करना चाहिए.
क्या हैं इसके उपचार
यूरीन की थैली के लगातार भरे रहने से किडनी पर दबाव बढ़ जाता है. इससे किडनी यूरिया को पूरी तरह शरीर के बाहर निकाल नहीं पाती. नतीजतन ब्लड में यूरिया बढ़ने लगता है, जो शरीर के लिए नुकसानदेह है. यूरीन ग्लैंड में स्टोन भी हो सकता है. प्रोस्टेट ग्रंथि बढ़ने की प्रारंभिक अवस्था में दवाओं द्वारा मरीज के ग्रंथि को बढ़ने से रोकने का प्रयास किया जाता है. जिन मरीजों को दवाओं से लाभ नहीं होता, तब सर्जरी द्वारा प्रोस्टेट ग्रंथि निकाल दी जाती है. लेजर प्रोस्टेक्टॉमी सर्जरी द्वारा उस हिस्से को हटा दिया जाता है, जिससे मूत्र नलिका मार्ग अवरूद्ध हो रहा था. नयी तकनीक में चीर-फाड़ की जरूरत नहीं पड़ती.
बचाव के लिए करें उपाय
सर्दियों में भी पर्याप्त मात्रा में पानी पीएं. कम-से-कम तीन लीटर पानी रोजाना पीएं.
वजन नियंत्रित रखने तथा फल-सब्जियों का सेवन अधिक करने से बीपीएच को रोकने में मदद मिलती है.
चाय-कॉफी का सेवन कम करें. विटामिन-सी युक्त फल (खट्टे फल) भरपूर मात्रा में लें.
अधिक तले-भुने वसायुक्त भोजन बंद करें, रेड मीट का सेवन न करें.
Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.