Winter Health Tips: : तापमान में गिरावट होने के कारण प्रदूषक और एलर्जी तत्व हवा से जल्दी हट नहीं पाते, जिससे अस्थमा, एलर्जी राइनाइटिस और अन्य प्रकार के एलर्जी होने की आशंका बढ़ जाती हैं. ठंड से बचने के लिए ज्यादातर लोग अधिकांश समय घर या ऑफिस में बिताते हैं. यही आदत एलर्जी का कारण बनती है. इसे इनडोर एलर्जी कहा जाता है. हवा में मौजूद धूल के कण, इनडोर मोल्ड (फफूंद), पालतू जानवरों की रूसी और कॉकरोच ड्रॉपिंग एलर्जी के मुख्य कारण हैं.
जिनकी त्वचा संवेदनशील होती है, उन्हें स्किन एलर्जी होने का खतरा बना रहता है.ठंड में रक्त नलिकाएं सिकुड़ जाती हैं. इससे हाथ व पैर में ब्लड सर्कुलेशन बाधित होता है. इसी के कारण खून की कमी से उंगलियों में सूजन होने लगता है. इस मौसम में फंगल इन्फेक्शन होने से खाज या खुजली होने की आशंका रहती है. इससे बचने के लिए धूप में निकलें. रात में सोने से पहले मॉइश्चराइजर लगाएं. इससे त्वचा में नमी बरकरार रहेगी. मौसमी फल, हरी सब्जी, गाजर आदि का सेवन करें. पानी पर्याप्त मात्रा में पीएं. – डॉ निशीथ कुमार, एमडी (पल्मनरी मेडिसिन), रांची
घर में वैक्यूम क्लीनर का इस्तेमाल करें.
धूल व धुएं से बचें.
तापमान में अचानक परिवर्तन न हो, इसका ख्याल रखें.
धूल से बचने के लिए मुंह और नाक पर मास्क या रूमाल बांधें.
पर्दे, चादर, बेडशीट व कालीन को नमी से बचाने के लिए धूप में रखें.
बाल वाले पालतू जानवरों से दूर ही रहें. जानवरों को एलर्जी है, तो घर में न रखें.
जिन पौधों के पराग कणों से आपको एलर्जी है, उनसे दूर रहें.
घर में मकड़ी वगैरह का जाल न लगने दें. समय-समय पर घर की सफाई जरूर करते रहें.
घर को हमेशा बंद न रखें. घर को हवादार बनाएं, ताकि साफ हवा आती रहे.
गांवों के मुकाबले शहरों में रहने वालों में एलर्जी की समस्या अधिक पायी जाती है. जिन बच्चों को ज्यादा साफ-सफाई के वातावरण में पाला जाता है, उनमें भी यह समस्या अधिक होती है. जिन चीजों से बच्चों को परहेज करने के लिए कहा जाता है, वही चीजें उन्हें अधिक बीमार बना देती हैं. हाइजीन के नाम पर हम बच्चों को धूल, मिट्टी, बारिश आदि में खेलने से रोकते रहते हैं. इसे ही ‘हाइजीन हाइपोथीसिस’ कहते हैं.
बच्चों को कभी चारदीवारी में बंद करके न रखें. उन्हें धूल-मिट्टी और धूप में खेलने दें. ये बच्चों को बीमारियों से लड़ने में मदद करते हैं. हालांकि, धूल-मिट्टी में खेलने के बाद उनके हाथ व पैर अच्छे से धोना न भूलें. वहीं, कई मामलों में एलर्जी वंशानुगत होती है. ऐसे परिवार के लोग अपने बच्चों की उचित देखभाल करें. बातचीत : चंद्रशेखर कुमार
Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.