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Hysteria: महिलाओं को ज्यादा होता है इस बीमारी का खतरा, जानें लक्षण और कारण

जब रोगी अचानक हंसने या रोने लगे तो समझ जाएं कि उसे हिस्टीरिया का दौरा पड़ा है. रोगी के शरीर में अचानक गुदगुदी होने लगती है. ऐसा मरीज रोशनी बर्दाशत नहीं कर पाता है. ज्यादातर महिलाओं को जब हिस्टीरिया का दौरा पड़ता है तो वे बेहोश हो जाती है.

हिस्टीरिया रोग, जो भावनात्मक और शारीरिक लक्षणों का कारण बनता है, जानलेवा हो सकता है. यह रोग मनोवैज्ञानिक रूप से हिस्ट्रिओनिक व्यक्तित्व विकार के तौर पर जाना जाता है, और यह मनोवैज्ञानिक विकार मुख्य रूप से व्यक्तित्व और उत्पादकता खो देने के लक्षणों के रूप में प्रकट होता है. यह एक ऐसा रोग है, जिसमें बिना किसी शारीरिक कमी के रोगी को रह-रह कर बार-बार न्यूरो व मस्तिष्क से जुड़े गंभीर लक्षण पैदा होते हैं.

जानें इसके लक्षण

हिस्टीरिया रोग के लक्षण काफी स्पष्ट होते हैं और व्यक्ति के रूपांतरणित व्यवहार के माध्यम से प्रकट होते हैं. सामान्य अवस्था, बातचीत, आहार और समय साझा करते समय अपार ध्यान की मांग करेगा. जब रोगी अचानक हंसने या रोने लगे तो समझ जाएं कि उसे हिस्टीरिया का दौरा पड़ा है. रोगी के शरीर में अचानक गुदगुदी होने लगती है. ऐसा मरीज रोशनी बर्दाशत नहीं कर पाता है. ज्यादातर महिलाओं को जब हिस्टीरिया का दौरा पड़ता है तो वे बेहोश हो जाती है. उनके ऊपर के दांत नीचे के दांत पर चढ़ जाते हैं. इन सब के अलावा, ये कुछ और मुख्य लक्षण हैं:

  • तनाव

  • सिरदर्द

  • सांस लेने में असुविधा

  • शरीर में ऐठन

  • हार्टबीट का तेज होना

  • वायलेंट होना

हिस्टीरिया के कारण

हिस्टीरिया की समस्या ज्यादातर महिलाओं और लड़कियों में देखी जाती है. इसमें व्यक्ति को 24 से 48 घंटों तक बेहोशी और नींद की समस्या बनी रहती है. हिस्टीरिया न्यूरोलॉजिकल स्थिति है, जिसकी वजह से मेंटल और नर्वस डिसऑर्डर की समस्‍या पैदा हो सकती है. इसमें पेशेंट खुद पर कंट्रोल नहीं रख पाता. ऐसे पेशेंट्स आमतौर पर किसी फोबिया, सेल्फ डिसिप्लिन की कमी या डिप्रेशन जैसी समस्याओं से परेशान होते हैं.

  • मेंटल डिसऑर्डर

  • डिप्रेशन

  • फोबिया

  • चिंता या तनाव

  • घबराहट

  • अधिक आलस

हिस्टीरिया रोग से बचाव के लिए कुछ उपाय

हिस्टीरिया, मनोवैज्ञानिक समस्या होने के कारण जीवन के सभी पहलुओं में प्रभाव डालता है. चूंकि यह मानसिक स्वास्थ्य को इस प्रकार प्रभावित कर सकता है कि रोगी बाहरी दुनिया के साथ अच्छी तरह से जीने में असमर्थ हो सकता है और उन्हें सामाजिक और अच्छे मनोवैज्ञानिक समर्थन की जरूरत होती है. इसलिए, इसमें प्रभावी रूप से संगठित इलाज की आवश्यकता होती है.

पेशेंट्स को न्यूट्रिशियस डाइट की जरूरत

द होलिस्टिक कॉन्सेप्ट्स के मुताबिक हिस्टीरिया के पेशेंट्स को एक कंप्लीट न्यूट्रिशियस डाइट की जरूरत होती है. उन्हें सेब, अंगूर, संतरा, पपीता और अनानास जैसे फलों का अधिक सेवन कराना चाहिए. जिन्हें हिस्टीरिया का अटैक बार-बार आता हो उन्हें लगभग एक महीने के लिए दूध वाली डाइट का सेवन करना चाहिए. हिस्टीरिया के पेशेंट्स के लिए डेली एक चम्मच शहद का सेवन फायदेमंद होता है. हींग को अपनी डाइट में नियमित रूप से शामिल करें. डाइट में डेली 0.5 से 1.0 ग्राम हींग लेनी चाहिए. हिस्टीरिया के पेशेंट्स के लिए पर्याप्त नींद और नियमित एक्सरसाइज फायदेमंद होता है. दौरा पड़ने पर लौकी को कद्दूकस करके पेशेंट के माथे पर लगाएं. इससे काफी आराम मिलता है.

मिर्गी और हिस्टीरिया में न हो कन्फ्यूज

कई बार आप हिस्टीरिया को मिर्गी का दौरा समझकर उसकी अनदेखी करते हैं. यह लापरवाही आगे चलकर मुश्किल का सबब बन सकती है, क्योंकि हिस्टीरिया का दौरा लगातार पड़ने से मरीज की बीमारी बढ़ती जाती है और वह मानसिक रोगी बन जाता है. इस बीमारी में अकसर मरीज को दौरे पड़ने लगते हैं, जो देखने में मिर्गी की तरह लगते हैं, लेकिन वास्तविकता में वे दौरे हिस्टीरिया के होते है. हालांकि हिस्टीरिया और मिर्गी के लक्षण एक-दूसरे से काफी मिलते-जुलते हैं, लेकिन दोनों एक-दूसरे से अलग हैं. हिस्टीरिया मानसिक बीमारी है, जबकि मिर्गी दिमागी बीमारी. दोनों के इलाज के तरीके अलग-अलग हैं. इसलिए दोनों को एक समझने की गलती न करें. जब भी मरीज को किसी तरह का दौरा पड़े तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें, ताकि डॉक्टर बीमारी को ठीक से समझ सकें

डिस्क्लेमर : दी गई जानकारी इंटरनेट से ली गई है. किसी भी तरह के उपाय को अपनाने से पहले खुद जांच परख करें व विशेषज्ञों की सलाह जरूर लें. प्रभात खबर डॉट कॉम दिये गए किसी जानकारी की पुष्टि नहीं करता है.

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