(पाउला केवाल, माइकल रोश और शेरोन लेविन, द पीटर डोहर्टी इंस्टीट्यूट फॉर इन्फेक्शन एंड इम्युनिटी)
मेलबर्न, एक दिसंबर को विश्व एड्स दिवस एचआईवी की रोकथाम और उपचार की दिशा में हुई शानदार प्रगति पर गौर करने का एक अवसर है लेकिन जिस वायरस के साथ 3.9 करोड़ लोग वर्तमान में जी रहे हैं उसका इलाज अब भी अस्पष्ट है. एचआईवी के लिए एंटीरेट्रोवाइरल थेरेपी (एआरटी) वायरस को प्रतिरूप बनाने से रोकती है, लोगों को बीमार होने से रोकती है और एचआईवी वाले व्यक्ति को दूसरों को संक्रमित करने से रोकती है. एचआईवी से पीड़ित लोगों का उपचार जीवन भर जारी रहना चाहिए.
एआरटी एचआईवी का इलाज नहीं कर पाती है क्योंकि वायरस छिप सकता है : यह छिप कर निष्क्रिय हो सकता है, इस स्थिति को अव्यक्त संक्रमण के रूप में जाना जाता है. एक बार जब कोई व्यक्ति उपचार बंद कर देता है तो वायरस फिर से सक्रिय हो जाता है और प्रतिकृति बनाना शुरू कर देता है.
हालांकि, कैंसर के उपचार, जीन संपादन और एमआरएनए आधारित तकनीक में प्रगति के आधार पर शोधकर्ता एचआईवी के इलाज की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति कर रहे हैं.
विश्व स्तर पर वैज्ञानिक ऐसे हस्तक्षेपों का विकास और परीक्षण कर रहे हैं जो विशेष रूप से अव्यक्त वायरस से निपट सकते हैं, जिसका अंतिम लक्ष्य एंटीवायरल उपचार को रोकने के बाद वायरस-मुक्त नियंत्रण प्राप्त करना है.
वायरस की खोज के बाद से 40 वर्षों में छह असाधारण मामलों में एचआईवी का पूर्ण उन्मूलन और इलाज संभव हो सका है. इन सभी व्यक्तियों को जीवन-घातक रक्त कैंसर के इलाज के लिए स्टेम सेल प्रत्यारोपण से गुजरना पड़ा, एक को छोड़कर सभी को एक दुर्लभ आनुवंशिक विशेषता वाले दाताओं से स्टेम सेल प्राप्त हुए जो उनकी कोशिकाओं को एचआईवी के प्रति प्रतिरोधी बनाते हैं. परिणामस्वरूप, सभी छह व्यक्ति हस्तक्षेप के बाद एआरटी को रोकने में सक्षम थे, और वर्षों की कार्रवाई के बाद वायरस दोबारा प्रकट नहीं हुआ.
हालांकि, स्टेम सेल प्रत्यारोपण प्रक्रियाओं से जुड़ी जटिलताओं के उच्च जोखिम के कारण वे व्यापक एचआईवी पीड़ितों के इलाज के लिए व्यवहार्य नहीं हैं. बहरहाल, इन मामलों ने दुनिया को दिखाया है कि एचआईवी का इलाज संभव है.
आक्रामक स्टेम सेल प्रत्यारोपण की आवश्यकता के बिना, गुप्त एचआईवी भंडार को कम करने और नियंत्रित करने के लिए कई चिकित्सीय रणनीतियों का परीक्षण किया जा रहा है.
एक दृष्टिकोण उन उपचारों को खोजने से जुड़ा है जो गुप्त वायरस को उसकी छिपी, निष्क्रिय अवस्था से बाहर निकाल देते हैं.
फिर से सक्रिय होने की इस प्रक्रिया के परिणामस्वरूप संक्रमित कोशिका नष्ट हो सकती है या प्रतिरक्षा प्रणाली द्वारा इसकी पहचान और उन्मूलन किया जा सकता है. यह सुरक्षित रूप से किया जा सकता है, एचआईवी से पीड़ित व्यक्ति एआरटी पर है, तो वायरस को सक्रिय करके आस-पास की कोशिकाओं को संक्रमित होने से रोका जा सकता है.
एक वैकल्पिक रणनीति में मौजूदा वायरस को और छुपाने के लिए दवाओं का इस्तेमाल शामिल है.
देर करने की इस स्थायी स्थिति में, वायरस निष्क्रिय रहता है और कभी भी पुनः सक्रिय नहीं हो पाता है. हालांकि यह दृष्टिकोण संक्रमित कोशिकाओं के समूह को खत्म नहीं करता है, लेकिन एआरटी बंद होने पर यह वायरस के दोबारा उभरने के खतरे को कम कर देगा.
इन दोनों दृष्टिकोण पर परीक्षण जारी है इसलिए अभी तक क्लिनिक में उनका उपयोग नहीं किया जा रहा है.
अन्य दृष्टिकोणों का उद्देश्य एंटीरेट्रोवाइरल थेरेपी की अनुपस्थिति में एचआईवी को नियंत्रित करने के लिए प्रतिरक्षा प्रणाली की क्षमता को बढ़ाना है.
हाल के छोटे पैमाने के नैदानिक परीक्षणों से पता चला है कि एचआईवी-विशिष्ट एंटीबॉडी या एचआईवी टीके के साथ प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देने से लगभग एक तिहाई प्रतिभागियों को एक निर्धारित अवधि के लिए एआरटी को रोकने की अनुमति मिल सकती है और वायरस को भी नियंत्रण में रखा जा सकता है.
ये बहुत उत्साहजनक निष्कर्ष हैं, लेकिन बड़े परीक्षणों की आवश्यकता है, साथ ही इस बात को भी समझना होगा कि क्यों और कैसे कुछ प्रतिभागी वायरस पर नियंत्रण बनाए रख सकते हैं जबकि अन्य ऐसा नहीं कर सकते.
एचआईवी शोधकर्ता कैंसर से लड़ने के लिए अपनाए जा रहे नए उपचारों से भी सीख रहे हैं.
इम्यूनोथेरेपी ने कैंसर के उपचार में क्रांति ला दी है. पारंपरिक कैंसर उपचारों के विपरीत, जो ट्यूमर को ही निशाना बनाते हैं, यह नयी प्रकार की दवा प्रतिरक्षा प्रणाली को लक्षित करती है.
इम्यूनोथेरेपी के एंटी-पीडी1 रूप ने कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली को फिर से मजबूत करके, कुछ खास तरह के कैंसर के उपचार में उल्लेखनीय परिणाम प्राप्त किए हैं. एचआईवी से पीड़ित लोगों की प्रतिरक्षा प्रणाली इलाज के बावजूद भी खत्म हो जाती है.
ऑस्ट्रेलियाई शोधकर्ता अध्ययन कर रहे हैं कि एंटीरेट्रोवाइरल थेरेपी लेने वाले एचआईवी से ग्रसित उन लोगों में क्या होता है जिन्हें कैंसर भी है और एंटी-पीडी1 प्राप्त होता है.
निष्कर्षों से पता चलता है कि एंटी-पीडी1 न केवल वायरस को सीधे जगा सकता है बल्कि प्रतिरक्षा प्रणाली को भी पुनर्जीवित कर सकता है, विशेष रूप से एचआईवी को लक्षित करने वाले घटकों को.
एचआईवी से पीड़ित लोगों में एंटीरेट्रोवाइरल थेरेपी पर चल रहे अध्ययन, जिन्हें कैंसर नहीं है, आशाजनक दिख रहे हैं.
एक चिंता विषाक्तता है, इसलिए ऑस्ट्रेलिया और सिंगापुर के शोधकर्ता किसी भी प्रतिकूल प्रभाव को कम करने के लिए मानक खुराक के दसवें से सौवें हिस्से तक- कम खुराक पर एंटी-पीडी 1 का प्रबंध करने वाले एक अध्ययन का नेतृत्व कर रहे हैं.
एक अन्य तकनीक विकसित की जा रही है जिसमें संक्रमित कोशिकाओं से एचआईवी को विशेष रूप से हटाने के लिए जीन संपादन का उपयोग किया जा रहा है. जुलाई 2023 में, अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) ने प्रथम श्रेणी जीन थेरेपी, ईबीटी-101 के लिए फास्ट ट्रैक पदनाम प्रदान किया.
ईबीटी-101 को जीन संपादन का उपयोग करके अव्यक्त रूप से संक्रमित कोशिकाओं के भीतर एचआईवी को अक्षम बनाने के लिए डिजाइन किया गया है, जिसका क्लिनिकल चरण एक/दो परीक्षण वर्तमान में चल रहा है.
जीन संपादन एक तेजी से बदलता क्षेत्र है, जिसमें नयी प्रौद्योगिकियां शरीर के बाहर जीन संपादन की प्रक्रिया के लिए कोशिकाओं को हटाने के बजाय व्यक्तियों में जीन-संपादन मशीनरी के सीधे इंजेक्शन को सक्षम बनाती हैं.
कोविड रोधी टीके से लेकर एचआईवी इलाज तक: एमआरएनए तकनीक की क्षमता
कोविड-19 महामारी ने टीकों के लिए एमआरएनए तकनीक के तेजी से विकास की अनुमति दी, लेकिन यह एचआईवी इलाज की खोज में भी मदद कर सकती है.
इस नयी तकनीक का अगली पीढ़ी की दवाओं के लिए महत्वपूर्ण है, जिन्हें फैट बबल में लिपटे एमआरएनए द्वारा वितरित किया जा सकता है, जिसे लिपिड नैनोपार्टिकल कहा जाता है.
एचआईवी जैसी बड़ी चुनौती को हल करने के लिए विकसित किया गया.
Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.