कभी-कभी सिरदर्द हो तो कोई बात नहीं, लेकिन अगर आपको लगातार कई दिनों से सिरदर्द हो रहा हो, रात में या सुबह-सबह तेज सिरदर्द होने से नींद खुल जाए, चक्कर आ रहे हों, सिरदर्द के साथ उल्टी महसूस हो या छींक व खांसी आए तो इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए. जब सिरदर्द की दवाई लेने के बाद भी दर्द दूर न हो तो यह ब्रेन ट्यूमर विकसित होने का संकेत हो सकता है. अगर आप पिछले कुछ दिनों से इस तरह की स्थिति का सामना कर रहे हैं तो सतर्क हो जाएं और तुरंत जांच कराएं. हालांकि समय पर जांच व उपचार करा लिया जाए तो ठीक होने की काफी संभावना रहती है. ब्रेन ट्यूमर की सही समय पर जांच व उपचार के महत्व के प्रति आम लोगो को जागरूक करने के लिए लिए हर वर्ष आठ जून को वर्ल्ड ब्रेन ट्यूमर डे मनाया जाता है.
ब्रेन ट्यूमर, मस्तिष्क में एक पिंड या आसामान्य कोशिकाओं का विकास है. ब्रेन ट्यूमर मुख्यता दो प्रकार के होते हैं. कैंसर रहित और कैंसर युक्त होते हैं. कैंसरयुक्त ट्यूमर को भी उसके विकसित होने के तरीके के आधार पर दो श्रेणियों में बांटा जाता है. जो ट्यूमर सीधे मस्तिष्क में विकसित होते हैं उन्हें प्राइमरी ब्रेन ट्यूमर कहते हैं और जो शरीर के दूसरे भाग से मस्तिष्क में फैल जाते हैं उन्हें सेकंडरी या मेटास्टैटिक ब्रेन ट्यूमर कहा जाता है. ब्रेन ट्युमर के कारण Nervous system की कार्यवाही कितनी प्रभावित होगी यह इसपर निर्भर करता है कि कैंसर कितनी तेजी से विकसित हो रहा है, और किस स्थान पर स्थित है.
ब्रेन ट्यूमर के आकार और स्थिति के आधार पर अलग-अलग लक्षण दिखाई दे सकते हैं. प्रमुख लक्षणों में सम्मिलित हैं:
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मामूली सिरदर्द का धीरे-धीरे गंभीर हो जाना.
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सुबह-सुबह सिरदर्द के कारण नींद खुल जाना.
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जी मचलाना या उल्टी होना.
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दृष्टि प्रभावित होना जैसे धुंधला दिखाई देना, चीजें दो-दो दिखाई देना.
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संतुलन बनाने में समस्या आना.
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बोलने में परेशानी होना.
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चक्कर आना, विशेषरूप से ऐसे व्यक्ति को जिसे कभी यह समस्या नहीं हो.
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सुनने में समस्या होना.
ब्रेन ट्यूमर के उपचार के कईं विकल्प उपलब्ध हैं, जिनका चयन ट्यूमर के प्रकार, आकार और स्थिति के आधार पर किया जाता है.
सर्जरी के द्वारा पूरे ट्यूमर को या ट्यूमर के कुछ भाग को निकाल दिया जाता है. यहां तक कि अगर ब्रेन ट्यूमर के एक भाग को भी निकाल दिया जाए तो भी लक्षणों को कम करने में सहायता मिलती है. ब्रेन ट्यूमर को निकालने के लिए की जाने वाली सर्जरी में कईं जोखिम होते हैं, जैसे संक्रमण और ब्लीडिंग. अगर ट्यूमर ऐसे स्थान पर है जहां जोखिम अधिक है तब उपचार के दूसरे उपायों का सहारा लिया जाता है. माइक्रो एंडोस्कोपिक स्पाइन (एमईएस) सर्जरी ने ब्रेन ट्यूमर के उपचार के लिए की जाने वाली सर्जरी को आसान और ज्यादा बेहतर बना दिया है.
रेडिएशन थेरेपी में ट्यूमर की कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए हाई-एनर्जी बीम जैसे एक्स-रे या प्रोटॉन्स का इस्तेमाल किया जाता है. रेडिएशन थेरेपी दो प्रकार से दी जाती है; एक्सटर्नल बीम रेडिएशन और ब्रैकीथेरेपी. रेडिएशन थेरेपी के साइड इफेक्ट्स इसपर निर्भर हैं कि रेडिएशन के किस प्रकार का और कितना डोज़ दिया जा रहा है. सामान्य साइड इफेक्ट्स में सम्मिलित है थकान, सिरदर्द, याददाश्त कमजोर पड़ना और स्कॉल्प पर जलन और खुजली होना.
यह पारंपरिक रूप में सर्जरी नहीं है. इसमें कैंसरयुक्त कोशिकाओं को मारने के लिए रेडिएशन की कईं बीम्स का इस्तेमाल किया जाता है. रेडियो सर्जरी एक ही सीटिंग में हो जाती है, और अधिकतर मामलों में, इसमें उसी दिन घर जा सकते हैं.
इसमें दवाईयों का इस्तेमाल ट्यूमर की कोशिकाओं को मारने के लिए किया जाता है. कीमोथेरेपी की दवाएं, गोली के रूप में ली जा सकती हैं या नसों में इंजेक्शन के द्वारा ली जाती हैं. इसका कितना डोज़ दिया जाएगा यह ट्यूमर के प्रकार पर निर्भर करता है. इसके कारण जी मचलाना, उल्टी होना या बाल झड़ने की समस्या हो सकती है.
टारगेट ड्रग थेरेपी, कैंसर कोशिकाओं में मौजूद विशिष्ट आसामान्यताओं पर फोकस करती है. इन असामान्यताओं को ब्लॉक करके कैंसर कोशिकाओं को मारा जाता है.
जीवनशैली में परिवर्तन लाना जैसे- नियमित रूप से एक्सरसाइज करना, पोषक और संतुलित भोजन का सेवन करना, और पर्याप्त मात्रा में पानी का सेवन, शरीर को अधिक शक्तिशाली और ट्यूमर के विकास के लिए अधिक रेजिस्टेंट बनाता है. इसके अलावा इन बातों का भी ध्यान रखें:
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अपनी फिटनेस का ध्यान रखें, वज़न न बढ़ने दें.
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रोजाना 30-40 मिनिट योग और एक्सरसाइज करें.
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किसी भी रूप में तंबाकू का सेवन न करें.
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शराब और लाल मांस का सेवन कम से कम करें.
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अत्यधिक वसा युक्त खाद्य पदार्थों, शूगरी ड्रिंक्स और जंक फूड्स के सेवन से बचें.
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फल-सब्जियों को अपने भोजन में अधिक से अधिक शामिल करें.
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मस्तिष्क को शांत रखें; मानसिक शांति के लिए ध्यान करें, संगीत सुनें, किताबें पढ़े या अपना मनपसंद कोई काम करें.
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अपना ध्यान रखें और डॉक्टर द्वारा सुझाई दवाएं उचित समय पर लें और तब तक लेना बंद न करें, जब तक डॉक्टर न कहे. अगर आप जरूरी सावधानियां बरतेंगे तो दोबारा ब्रेन ट्यूमर होने का खतरा बहुत कम हो जाएगा.
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एक्सपर्ट से बातचीत पर आधारित: डॉ. मनीष वैश्य, निदेशक, न्युरो सर्जरी विभाग, मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, वैशाली, गाजियाबाद
Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.