Child Labour 2020: बच्चों का बचपन मजदूरी में तोड़ रहा दम, जारी रखें मासूमों को बचाने का हर संभव प्रयास
World Day Against Child Labour 2020: बालश्रम वह अभिश्राप है, जिसमें फंसे बच्चों का बचपन मजदूरी में दम तोड़ देता है. बच्चों को इस अभिश्राप से बचाने के लिए सरकार व अन्य संगठनों द्वारा वर्षों से कई तरह के प्रयास किये जा रहे हैं. यहां तक कि बालश्रम को एक अपराध की श्रेणी में शामिल किया गया है और बच्चों से काम करानेवालों को दंड देने का प्रावधान लागू है.
World Day Against Child Labour 2020: बालश्रम वह अभिश्राप है, जिसमें फंसे बच्चों का बचपन मजदूरी में दम तोड़ देता है. बच्चों को इस अभिश्राप से बचाने के लिए सरकार व अन्य संगठनों द्वारा वर्षों से कई तरह के प्रयास किये जा रहे हैं. यहां तक कि बालश्रम को एक अपराध की श्रेणी में शामिल किया गया है और बच्चों से काम करानेवालों को दंड देने का प्रावधान लागू है.
बावजूद इसके आज भी न जाने कितने मासूम खिलौनों से खेलने की उम्र में काम करने को मजबूर हैं. ऐसे बच्चों को बालश्रम के दलदल से निकालकर उन्हें बेहतर जीवन देने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष 12 जून को अंतर्राष्ट्रीय बालश्रम निषेध दिवस मनाया जाता है. कोरोना वायरस के प्रभाव को देखते हुए इस बार अंतर्राष्ट्रीय बालश्रम निषेध दिवस के लिए विशेष थीम तैयार की गयी है. इस वर्ष की थीम है इम्पैक्ट ऑफ क्राइसिस ऑन चाइड लेबर.
आईएलओ ने की इस दिन को मनाने की शुरुआत : बालश्रम करनेवाले बच्चों की संख्या में तेजी से हो रही वृद्धि को देखते हुए इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाइजेशन (आईएलओ) ने वर्ष 2002 में प्रतिवर्ष 12 जून को अंतर्राष्ट्रीय बालश्रम निषेध दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया.
बालश्रम केवल भारत तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह समस्या पूरी दुनिया के लिए एक चुनौती बनी हुई है. इसे रोकने के लिए लगभग सभी देशों की सरकारें और कई संगठन कार्य कर रहे हैं. इसी के चलते अंतर्राष्ट्रीय बालश्रम निषेध दिवस का आयोजन कर आम लोगों को भी बाल मजदूरी के खिलाफ आवाज उठाने और इसे रोकने के संभव प्रयास करने के लिए प्रेरित किया जाता है.
विश्व में 15 करोड़ से अधिक बच्चे कर रहे हैं बालश्रम : इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाइजेशन द्वारा जारी की गयी रिपोर्ट के अनुसार विश्वस्तर पर लगभग 15.2 करोड़ बच्चे बालश्रम के दलदल में फंसे हुए हैं. इनमें से 7.3 करोड़ बच्चों से जोखिम भरे काम कराये जा रहे हैं.
इतना ही नहीं, छोटी उम्र में काम करने के कारण बच्चे सामान्य बचपन और उचित शिक्षा से भी वंचित रह जाते हैं. हाल के वर्षों में आयी जानकारी के मुताबिक बालश्रम में शामिल 5 से 11 वर्ष की आयु के बच्चों की संख्या बढ़कर अब 1.9 करोड़ हो गयी है, जो कि एक बड़ी चिंता का विषय है.
भारत में भी अच्छे नहीं हालात : एक अनुमान के अनुसार विश्व के बाल श्रमिकों का एक तिहाई से ज्यादा हिस्सा भारत में है. इस अभिश्राप के चलते भारत के 50 फीसदी बच्चे अपने बचपन के अधिकारों से वंचित हैं. उनके पास न शिक्षा पहुंच पा रही है और न ही उचित पोषण. सरकारी आंकड़ों के अनुसार भारत में 2 करोड़ बाल मजदूर हैं. वहीं इंटरनेशनज लेबर ऑर्गनाइजेशन के अनुसार देश में 5 करोड़ से ज्यादा बच्चे बालश्रम की चक्की में पिस रहे हैं.
बालश्रम को लेकर भारत में बनाये गये कानून
बालश्रम के खिलाफ देश में कई प्रावधान व कानून बनाये गये हैं, यदि इनका सही तरह से प्रयोग किया जाये, तो इस समस्या को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है.
– धारा 24 : इसके अनुसार 14 वर्ष के कम आयु का कोई भी बच्चा किसी फैक्ट्री या खदान में काम करने या किसी अन्य खतरनाक नियोजन में काम करने के लिए नियुक्त नहीं किया जायेगा.
– धारा 39-ई : राज्य अपनी नीतियां इस तरह निर्धारित करेंगे कि श्रमिकों, पुरुषों और महिलाओं का स्वास्थ्य एवं उनकी क्षमता सुरक्षित रह सके और बच्चों का शोषण न हो. बच्चे अपनी उम्र व शक्ति के प्रतिकूल काम में आर्थिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए प्रवेश करें.
– धारा 39-एफ : बच्चों को स्वस्थ तरीके से स्वतंत्र व सम्मानजनक स्थिति में विकास के अवसर एवं सुविधाएं दी जायेंगी और बचपन व जवानी को नैतिक व भौतिक दुरुपयोग से बचाया जायेगा.
– धारा 45 : 14 वर्ष तक की आयु के सभी बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा देने का प्रयास किया जायेगा.
भारत के संविधान में बालश्रम के विरुद्ध प्रावधान
– बाल श्रम (निषेध व नियमन) कानून 1986 : इस कानून के अंतर्गत 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों को किसी भी अवैध पेशे और 57 प्रक्रियाओं में, जिन्हें बच्चों के जीवन और स्वास्थ्य के लिए अहितकर माना गया है, नियोजन को निषिद्ध बनाता है. इन पेशों और प्रक्रियाओं का उल्लेख कानून की अनुसूची में है.
– फैक्टरी कानून 1948 : यह कानून 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों के नियोजन को निषिद्ध करता है. 15 से 18 वर्ष तक के किशोर किसी फैक्टरी में तभी नियुक्त किये जा सकते हैं, जब उनके पास किसी अधिकृत चिकित्सक का फिटनेस प्रमाण पत्र हो. इस कानून में 14 से 18 वर्ष तक के बच्चों के लिए हर दिन साढ़े चार घंटे की कार्यावधि तय की गयी है और उनके रात में काम करने पर प्रतिबंध लगाया गया है.
– भारत में बाल श्रम के खिलाफ कार्रवाई में महत्त्वपूर्ण न्यायिक हस्तक्षेप 1996 में उच्चतम न्यायालय के उस फैसले से आया, जिसमें संघीय और राज्य सरकारों को खतरनाक प्रक्रियाओं और पेशों में काम करनेवाले बच्चों की पहचान करने, उन्हें काम से हटाने और गुणवत्तायुक्त शिक्षा प्रदान करने का निर्देश दिया गया था. न्यायालय ने यह आदेश भी दिया था कि एक बाल श्रम पुनर्वास सह कल्याण कोष की स्थापना की जाये, जिसमें बाल श्रम कानून का उल्लंघन करनेवाले नियोक्ताओं के अंशदान का उपयोग हो.
Posted By : Sumit Kumar Verma
Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.