World Down Syndrome Day : आज विश्व डाउन सिंड्रोम दिवस (WDSD) है. बच्चों में ही होने वाली इस खतरनाक बीमारी का दूसरा नाम ट्राइसॉमी 21 है. यह एक ऐसी समस्या है जिसमें बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास आम बच्चों की तरह नहीं हो पाती है. सरल शब्दों में कहा जाए तो डाउन सिंड्रोम से पीड़ित बच्चों के हाथ छोटे-मोटे, छोटी उंगलियां, काफी छोटी नाक, जीभ लंबी और कान अपेक्षाकृत थोड़े बड़े होते हैं. इस बीमारी के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं. जिसके कारण यह धीरे-धीरे बच्चों में फैल जाती है. इसलिए हर साल 21 मार्च को लोगों को डाउन सिंड्रोम के प्रति जागरूक करने के लिए अभियान भी चलाया जाता है. आइए जानते हैं वर्ल्ड डाउन सिंड्रोम डे 2024 का इतिहास, थीम और महत्व…
वर्ल्ड डाउन सिंड्रोम डे का इतिहास
डाउन सिंड्रोम जैसी गंभीर बीमारियों के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल 21 मार्च को विश्व डाउन सिंड्रोम दिवस मनाया जाता है. यह एक वैश्विक जागरूकता दिवस है जिसे आधिकारिक तौर पर साल 2012 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा पहली बार मनाया गया था. विश्व डाउन सिंड्रोम दिवस की तारीख 21 मार्च को इसलिए चुना गया क्योंकि यह 21वें गुणसूत्र की विशिष्टता का प्रतिनिधित्व करता है जो डाउन सिंड्रोम का कारण बनता है.
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गौरतलब है कि डाउन सिंड्रोम एक ऐसी समस्या है जिसमें बच्चे का शारीरिक और मानसिक विकास आम बच्चों जैसा नहीं हो पता है. यह बीमारी नवजात को मां के गर्भ में ही होती है. डाउन सिंड्रोम का मुख्य कारण शरीर में क्रोमोसोम की असामान्य संख्या है. सामान्य तौर पर व्यक्ति के शरीर में 46 क्रोमोसोम होते हैं. क्रोमोसोम का एक अतिरिक्त जोड़ा शरीर और मस्तिष्क के विकास को प्रभावित करता है. ज्यादातर मामलों में संतान को अतिरिक्त क्रोमोसोम मां के जिन से मिलता है. जिसे ट्राइसॉमी 21 कहते हैं. एक रिसर्च में बताया गया है कि हर 830 बच्चों में से एक बच्चा डाउन सिंड्रोम से ग्रसित होता है.
विश्व डाउन सिंड्रोम दिवस 2024 की थीम
विश्व डाउन सिंड्रोम दिवस हर साल 21 मार्च को मनाया जाता है. बच्चों में होने वाली यह एक गंभीर बीमारी है. जिसे लोग शुरुआत में नजरअंदाज कर देते हैं. लेकिन धीरे-धीरे बच्चों में यह देखने को मिल जाती है. इस साल 2024 में 13वें विश्व डाउन सिंड्रोम दिवस मनाया जा रहा है. जिसका थीम “रूढ़िवादिता समाप्त करें” “End the Stereotypes.” है.
विश्व डाउन सिंड्रोम दिवस का महत्व
हर साल 21 मार्च को विश्व डाउन सिंड्रोम दिवस इसलिए मनाया जाता है ताकि लोगों को बीच इस बीमारी के प्रति जागरूकता बढ़ाया जा सके. दरअसल डाउन सिंड्रोम मां के गर्भ से ही बच्चों को होता है. हालांकि बहुत कम लोग इस बीमारी को समझ पाते हैं. इसका मुख्य कारण है जागरुकता. इसलिए पूरी दुनिया में डाउन सिंड्रोन के महत्व को समझाने के लिए 21 मार्च को डाउन सिंड्रोम अभियान चलाया जाता है. ताकि लोग इस बीमारी के बारे में जान सके और जागरूक रहे.
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बताते चलें कि गर्भावस्था के दौरान ट्रिपल टेस्टिंग और अल्ट्रासोनोग्राफी के जरिए डाउन सिंड्रोम का पता लगाया जा सकता है जांच के मुताबिक यदि बच्चा सिंड्रोम से ग्रसित है तो उसका गर्भपात ही कराया जा सकता है. 35 वर्ष से ऊपर की आयु पर गर्भवती होने वाली महिला को क्रोमोसोम एनालिसिस अवश्य करनी चाहिए, क्योंकि अगर मां की उम्र 35 वर्ष और पिता की उम्र 40 से ज्यादा है तो भी गर्भ में पल रहे बच्च में डाउन सिंड्रोम होने के मामले बढ़ जाते हैं. चिंता की सबसे बड़ी बात यह है कि इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है. हालांकि इसका अलग-अलग थेरेपी से इलाज किया जाता है. जैसे फिजिकल थेरेपी, ऑक्यूपेशनल थेरेपी, व्यावहारिक थेरेपी है.
Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.