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World Heath Day 2022: आपके आहार में छिपा है आपकी सेहत का राज, ऐसे खाने से पड़ता है हेल्थ पर गहरा प्रभाव

World Heath Day 2022: विश्व स्वास्थ्य दिवस हर साल 7 अप्रैल को मनाया जाता है. अगर आपको स्वस्थ व तंदुरुस्त रहना है, तो सबसे पहले आपको अपने आहार पर विशेष ध्यान देना होगा, क्योंकि खान-पान का सेहत पर गहरा प्रभाव पड़ता है.

World Health Day 2022 : वर्ल्ड हेल्थ डे यानी विश्व स्वास्थ्य दिवस हर साल 7 अप्रैल को मनाया जाता है. इसका मकसद यही है कि दुनिया में हर व्यक्ति तक अच्छी स्वास्थ्य सुविधाओं की पहुंच हो और लोग स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहें. अगर आपको स्वस्थ व तंदुरुस्त रहना है, तो सबसे पहले आपको अपने आहार पर विशेष ध्यान देना होगा, क्योंकि खान-पान का सेहत पर गहरा प्रभाव पड़ता है.

आज के दौर में कुछ भी खा लेने की आदत तेजी से बढ़ी है, जो सेहत के लिए काफी नुकसानदेह होती है. अगर हम हर दिन संतुलित आहार लेते हैं, तो इससे न केवल भरपूर पोषण मिलता है, बल्कि शरीर की प्रतिरोधी क्षमता भी बढ़ती है, जो बीमारियों से लड़ने में हमारी मदद करती है.

  • कुल कैलोरी में हो सबका सही हिस्सा: 33%

  • कार्बोहाइड्रेट : अनाज व अन्य स्रोत से: 33%

  • विटामिन/मिनरल्स : फल-सब्जियों से: 27%

  • प्रोटीन : मांसाहार, डेयरी व दाल आदि से: 07%

  • वसा और शुगर : वसायुक्त भोजन और मीठी चीजों से

हमारा आहार हमारे स्वास्थ्य का आधार है. द अमेरिकन जर्नल ऑफ क्लिनिकल न्यूट्रीशन में छपे एक शोध के अनुसार, हमारी दिनभर की मील्स में कैलोरी का डिस्ट्रीब्यूशन (अलग-अलग समय के लिए कैलोरी का बंटवारा) और भोजन का चयन सबसे महत्वपूर्ण है, लेकिन हमने अपनी खान-पान की आदतें इतनी बिगाड़ ली हैं कि इनसे पेट तो भर जाता है, लेकिन शरीर को उचित पोषण नहीं मिल पाता. सेहत के लिहाज से खाने-पीने की गलत चीजें क्या होती हैं और इससे कैसे बचा जा सकता है. यह जानना बहुत जरूरी है.

हर दिन के खान-पान का रखें खास ध्यान

खाते समय यह देखकर खाएं कि आपका खाना हेल्दी है या नहीं? अक्सर बाहर का खाना जीभ को तो बहुत भाता है, लेकिन यह सेहत के लिए खतरनाक होता है. वहीं, तय समय पर न खाना और देर रात को खाना भी सेहत को नुकसान पहुंचाता है. स्वस्थ खान-पान की पहली निशानी है कि थाली में लगभग आधा हिस्सा सलाद का हो. सलाद में आप गाजर, मूली, चुकंदर, टमाटर, खीरा (जिस मौसम में जो मिले) आदि शामिल करें. इसके अलावा दिनभर में कोई दो मौसमी फल जैसे- सेब, पपीता, केला, संतरा आदि लें. इन्हें खाएं, न कि जूस निकाल कर पीएं. किसी के दांत न हो, तो वे जूस के रूप में इनका सेवन कर सकते हैं. इसके साथ-साथ आपके आहार में मौसमी साग-सब्जी जैसे- बथुआ, पालक, घीया, सरसों, लाल साग आदि भी जरूर शामिल हों.

आपका खान-पान ही बनायेगा आपको बलवान

प्रसिद्ध अंतरराष्ट्रीय पत्रिका ‘टूडेज डायटिशियंस’ में छपी एक रिपोर्ट- ‘डायट इज द बेस्ट मेडिसीन इन द वर्ल्ड’ के अनुसार, हमारा खान-पान हमें स्वस्थ रखने या बीमार बनाने में सबसे प्रमुख भूमिका निभाता है. हालांकि, आप कुछ भी खा लें, कितना भी बढ़िया पौष्टिक भोजन कर लें, अगर हर दिन व्यायाम नहीं करेंगे और सक्रिय जीवनशैली नहीं अपनायेंगे तो खाना पूरी तरह पचाने में शरीर सक्षम नहीं होगा. ऐसे में हफ्ते में कम-से-कम 5 दिन रोजाना 45 से 60 मिनट ब्रिस्क वॉक या एक्सरसाइज अवश्य करें.

टुकड़ों में बांट कर लें आहार

यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया सैन फ्रांसिस्को मेडिकल सेंटर के अनुसार, हर तीन-चार घंटे में थोड़ी मात्रा में कुछ खाने से शरीर को लगातार ऊर्जा मिलती रहती है, मेटाबॉलिज्म दुरुस्त रहता है और स्वस्थ भार बनाये रखने में भी सहायता मिलती है. एक दिन में तीन बार मेगा मील्स खाने की बजाय छह बार मिनी मील्स खाएं. मील स्किप न करें. हर तीन-चार घंटे में कुछ-न-कुछ खाते रहें.

जंक नहीं, हेल्दी फूड्स खाएं

अपने आहार में ताजे फलों, सब्जियों, फलियों, दालों, साबुत अनाजों, सुखे मेवों और बीजों सभी चीजों को शामिल करें. रोटी बनाने के लिए चोकरयुक्त आटे या मल्टीग्रेन आटे का इस्तेमाल करें. रोज थोड़ी मात्रा में ड्राइ फ्रूट्स का सेवन भी करें. दिन में दो बार स्नैक्स भी लें, स्नैक्स में अंकुरित अनाज, सलाद, सूप, फ्रूट चाट आदि का सेवन करें. सब्जियों और फलों को उनके प्रकृतिक रूप (कच्चा) में खाना बहुत अच्छा रहता है, इनसे शरीर को जरूरी एंजाइम मिलते हैं, जो भोजन में से पोषक तत्वों का अवशोषण करने में सहायता करते हैं. शरीर जितने पोषक तत्वों का अवशोषण करेगा उतना ही स्वस्थ रहेगा. जंक और प्रेसेस्ड फूड्स के सेवन से बचें, क्योंकि इनमें कैलोरी की मात्रा काफी अधिक होती है और पोषकता बिल्कुल नहीं होती. इनका ग्लाइसेमिक इंडेक्स भी अधिक होता है, जिससे इन्हें खाने के बाद रक्त में शुगर का स्तर तेजी से बढ़ सकता है.

डायटिंग और ओवर इटिंग से बचें

अगर आप चाहते हैं कि आपका वजन न बढ़े या बढ़ा हुआ वजन कम हो जाये तो डायटिंग बिल्कुल न करें. डायटिंग के कारण रक्त में शुगर का स्तर असामान्य हो जाता है, जिससे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों प्रभावित होते हैं. डायटिंग की जगह डायट प्लानिंग करें. इसी तरह ओवर इटिंग से भी बचें. वजन व शारीरिक सक्रियता के अनुसार, जितनी कैलोरी की आपको आवश्यकता हो उतनी ही लें.

बदल-बदल कर इस्तेमाल करें तेल

हमारे लिए स्वस्थ वसा का सेवन महत्वपूर्ण है. एनिमल फैट (घी, मक्खन) की तुलना में प्लांट फैट (खाद्य तेल) हमारे शरीर को कम नुकसान पहुंचाती है, लेकिन हमें इनका सेवन सीमित मात्रा में करना चाहिए. एक दिन में तीन छोटे चम्मच से अधिक तेल का सेवन नहीं करना चाहिए. साथ ही एक ही तेल का सेवन हमेशा नहीं करें, हर तीन महीने में अपना तेल बदल लें.

सुबह की शुरुआत एक गिलास गुनगुने पानी से करें. पानी में नीबू का रस डाल सकते हैं. यह शरीर से हानिकारक तत्वों को बाहर निकालता है.

दिनभर में 2.5 से 3 लीटर पानी यानी 8 से 10 गिलास पानी पीना पर्याप्त है. यहां यह ध्यान रखें कि इसमें अन्य लिक्विड डायट भी शामिल होती हैं.

इन खाद्य पदार्थों को एक साथ खाने से बचें

कई खाद्य पदार्थ हैं, जिन्हें अकेले खाया जाये तो वे पोषक होते हैं, लेकिन किसी और खाद्य पदार्थ के साथ मिलाकर खाने पर वे हमारे पाचन तंत्र और स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं. निम्न फूड कॉम्बिनेशन्स हमारे लिए हानिकारक होते हैं, इसलिए इनका एकसाथ सेवन न करें.

दूध और अन्य खाद्य पदार्थ जैसे- मांस, तरबूज, खरबूज अनाज या ओटमील के साथ दूध और संतरे का रस दूध और नमक शहद और घी खाना और फल दही के साथ फल खाने के साथ पानी चाय और दही

पर्याप्त मात्रा में लें तरल पदार्थ

साइंस जर्नल नेचर में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, हममें से 75 प्रतिशत लोग शरीर में पानी की कमी को भूख समझ लेते हैं. अगर हम पर्याप्त मात्रा में पानी पीयेंगे तो हम कैलोरी का सेवन भी कम करेंगे और हमारे शरीर में ऊर्जा की मात्रा भी बढ़ जायेगी. दिन में 8-10 गिलास पानी जरूर पीएं. इसके अलावा, दूसरे तरल पदार्थों जैसे नारियल पानी, नीबू पानी, छाछ, सूप आदि भी लें, इनमें कैलोरी कम, लेकिन पोषकता अधिक होती है. चाय-कॉफी का सेवन भी कम मात्रा में करें, दिन में 1-2 छोटे कप से ज्यादा न लें. डिब्बा बंद जूस, सोडा व अन्य ड्रिंक्स के सेवन से बचें.

पकाने में पोषक तत्व को नष्ट न करें

खाना बनाते समय हम स्वाद पर जितना ध्यान देते हैं, उतना पोषक तत्वों को सुरक्षित रखने पर ध्यान नहीं देते, इसलिए, पकाते समय हम खाद्य पदार्थों के 10 से 70 प्रतिशत तक पोषक तत्वों को नष्ट कर देते हैं. खाना पकाने के लिए हमें उन तरीकों को प्राथमिकता देनी चाहिए, जिनमें अधिक-से-अधिक पोषक तत्व सुरक्षित रहें.

स्टीमिंग : भाप में भोजन को पकाना पोषक तत्वों को सुरक्षित रखने का सबसे अच्छा तरीका माना जाता है. ताजी सब्जियां, चावल और दलिया को जहां तक संभव हो कम पानी में भाप में पकाएं. इसमें समय भी कम लगता है और विटामिन, मिनरल्स व दूसरे पोषक तत्व भी सुरक्षित रहते हैं.

ग्रीलिंग : इसमें घी या तेल का इस्तेमाल बहुत कम होता है. इस विधि के द्वारा खाना पकाने पर खाद्य पदार्थों के फ्लेवर और टेक्सचर सुरक्षित रहते हैं. इसमें पकाये जाने वाले खाद्य पदार्थ को ग्रिल के उपर रखते हैं, जिसमें नीचे से आंच लगती है.

स्टर फ्राइंग : स्टर फ्राइंग में भी ग्रीलिंग की तरह ही घी या तेल का इस्तेमाल कम होता है. इसमें खाद्य पदार्थों के पोषक तत्वों के साथ ही उनका रंग और फ्लेवर भी सुरक्षित रहता है. स्टर फ्राइंग के लिए नान स्टिक पैन जरूरी है.

रोस्टिंग : पोषक तत्वों को सुरक्षित रखने के लिए यह भी एक अच्छी विधि मानी जाती है, इसमें सब्जियां जल्दी और आसानी से पक जाती हैं.

डीप फ्राइ : यह पकाने का सबसे गलत तरीका है. इससे फ्री रेडिकल्स बनते हैं, जो शरीर के टिश्यूज को नुकसान पहुंचाते हैं. स्टर फ्राइंग में भी ग्रीलिंग की तरह ही घी या तेल का इस्तेमाल कम होता है. इसमें खाद्य पदार्थों के पोषक तत्वों के साथ ही उनका रंग और फ्लेवर भी सुरक्षित रहता है. स्टर फ्राइंग के लिए नान स्टिक पैन जरूरी है.

सैंपल डायट चार्ट

किसी भी व्यक्ति को कितनी कैलोरी और पोषक तत्वों की आवश्यकता होगी, यह उसके लिंग, शारीरिक संरचना, उम्र और शारीरिक सक्रियता पर निर्भर करता है. हम यहां एक युवा पुरुष के लिए सैंपल डायट चार्ट दे रहे हैं, आप अपनी आवश्यकता के अनुसार अपने लिए एक डायट चार्ट तैयार कर सकते हैं या किसी डॉक्टर/डायटीशियन से तैयार करवा सकते हैं.

ब्रेकफास्ट (सुबह 8 से 10 के बीच)

जागने और नाश्ते के बीच में अधिकतम 3 घंटे का गैप रखें. आमतौर पर लोग नाश्ते में ब्रेड-बटर, ब्रेड ऑमलेट, रोटी-सब्जी-दाल, ऑमलेट, जूस, दूध लेते हैं. ध्यान रखें कि नाश्ता ऐसा हो, जिसमें कार्बोहाइड्रेट, फैट, मिनरल्स, विटामिन्स सभी पोषक तत्व शामिल हों, क्योंकि यह दिन का पहला ठोस आहार होता है. ऑमलेट की जगह उबले अंडे हों तो बेहतर है.

लंच (दोपहर 1 से 2 बजे के बीच) :

कोशिश करें कि लंच में सलाद, अनाज, दाल, हरी सब्जी, दही शामिल हो. पूरी थाली में आधी जगह सलाद को मिले, इसके अलावा एक चौथाई दाल और सब्जी, वहीं एक चौथाई अनाज का हिस्सा हो. आप एक कटोरी दाल, एक कटोरी सब्जी/ नॉनवेज, तीन चपाती, एक कटोरी चावल, एक छोटी कटोरी दही ले सकते हैं.

ऑफ्टर लंच (दोपहर के खाने के 3-4 घंटे बाद) :

आप कोई दो फल या एक मुट्ठी ड्राइ फ्रूट्स ले सकते हैं.

इवनिंग स्नैक्स (डिनर के दो घंटे पहले) :

आप वेजीटेबल सूप या एक कटोरी अंकुरित अनाज या एक कप ग्रीन टी और लाइट स्नैक्स जैसे पॉपकार्न ले सकते हैं.

डिनर (रात के 8 से 9 के बीच) :

यह सोने से 2 से 3 घंटे पहले होना चाहिए. डिनर में कोशिश यह होनी चाहिए कि जो चीजें हमने लंच में नहीं ली हैं, उन्हें डिनर में जरूर लें जैसे- अगर हमने लंच में दाल को मिस किया है, तो डिनर में दाल जरूर मौजूद हो. दो चपाती, एक कटोरी सब्जी, एक कटोरी दाल, नॉनवेज खाने वाले सब्जी की जगह एक कटोरी चिकन/मछली आदि ले सकते हैं. डिनर के 5 से 10 मिनट बाद टहलने जाना पचाने के लिहाज से अच्छा है.

Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.

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