World Heart Day 2023: दिल से दिल्लगी ठीक नहीं, ऐसे रखें इसका ख्याल
हर साल विश्व हृदय दिवस 29 सितंबर को मनाया जाता है. यह दिन हृदय की सेहत पर समर्पित है. भारत में हर आयु वर्ग के लोगों और अब तो युवा वर्ग में भी दिल से संबंधित रोगों के मामले बढ़त पर हैं. ऐसे में जरूरी हो जाता है कि हम दिल की सेहत को जानें और खास ख्याल रखें.
World Heart Day 2023: दिल की धड़कनों के चलने का नाम ही जिंदगी है और इनके रुकने का नाम मौत. बावजूद इसके, सच्चाई यह है कि दिल की सेहत के बारे में हम में से अधिकतर लोग सचेत नहीं हैं, तभी तो भारत समेत दुनियाभर में विभिन्न रोगों से होने वाली सर्वाधिक मौतों का कारण विभिन्न प्रकार के हृदय रोग हैं. भारत में हर आयु वर्ग के लोगों और अब तो युवा वर्ग में भी दिल से संबंधित रोगों के मामले बढ़त पर हैं. ऐसे में जरूरी हो जाता है कि हम दिल की सेहत को जानें और खास ख्याल रखें. द वर्ल्ड हार्ट फेडरेशन के अनुसार, हृदय से संबंधित अधिकतर बीमारियां गलत जीवनशैली से संबंधित होती हैं. हाइ ब्लड प्रेशर, हार्ट अटैक व अन्य हृदय रोगों का एक प्रमुख कारण गलत जीवनशैली ही है. स्वास्थ्यकर जीवनशैली के अंतर्गत स्वास्थ्यकर खान-पान, समुचित व्यायाम, पर्याप्त नींद व विश्राम, विपरीत स्थितियों में भी तनाव पर नियंत्रण करने की विधियां और सकारात्मक सोच आदि बातों को शामिल किया जाता है.
आनुवंशिक भी हो सकता है हृदय रोग
अमेरिका के टेक्सास हार्ट इंस्टीट्यूट के एक अध्ययन के अनुसार, दिल की बीमारियों का एक कारण आनुवंशिक भी होता है या फिर कुछ ऐसे रोग भी होते हैं, जिन्हें मेडिकल भाषा में कंजेनाइटल हार्ट डिजीज से संबंधित बीमारियां कहा जाता है, जैसे- बच्चों के दिल का विकारग्रस्त होना या उनके दिल में छेद होना अथवा उनका रूमैटिक हार्ट फीवर से ग्रस्त होना आदि. बावजूद इसके, हृदय से संबंधित ज्यादातर बीमारियां गलत जीवनशैली का नतीजा हैं. हार्ट अटैक का एक प्रमुख कारण मानी जाने वाली बीमारी कोरोनरी हार्ट डिजीज (सीएडी) है. अस्वास्थ्यकर जीवनशैली से संबंधित इस बीमारी के कारण दुनियाभर में हार्ट अटैक से सबसे ज्यादा मौतें होती हैं.
युवावर्ग और कोरोनरी आर्टरी डिजीज
मध्य आयु (मिडिल एज) और बुजुर्गों के अलावा अब तो युवा वर्ग भी कोरोनरी आर्टरी डिजीज का शिकार बन रहा है. इसका कारण यह है कि युवक करियर में अपने टारगेट को पूरा कर जल्द-से-जल्द कामयाबी हासिल करने पर आमादा हैं और जब उन्हें मनमाफिक कामयाबी नहीं मिलती, तो वे तनाव व डिप्रेशन की गिरफ्त में फंस जाते हैं. इसके अलावा अभिभावकों की उनसे अत्यधिक अपेक्षाएं, तनावपूर्ण जीवनशैली व गलत खान-पान और नशे की लत भी युवाओं में सीएडी के मामले बढ़ा रही है. सीएडी ऐसी मेडिकल स्थिति है, जिसमें अस्वास्थ्यकर जीवनशैली के कारण हृदय की धमनियों की आंतरिक दीवार पर प्लाक संचित हो जाती है. प्लाक एक विशेष प्रकार की वसा होती है. नतीजतन, हृदय को रक्त की आपूर्ति पर्याप्त मात्रा में नहीं हो पाती और इस स्थिति में हार्ट अटैक होने का अंदेशा बढ़ जाता है.
क्या हैं इसके कारण व रोकथाम
आनुवंशिक कारण को छोड़कर सीएडी के ज्यादातर कारणों की रोकथाम की जा सकती है. उच्च रक्तचाप पर नियंत्रण रखकर सीएडी की रोकथाम की जा सकती है.
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समुचित वजन : बढ़े वजन का आकलन बॉडी मास इंडेक्स के एक सूत्र के आधार पर किया जाता है, जिसमें वजन और लंबाई के आधार पर गणना की जाती है. बॉडी मास इंडेक्स का 25 तक होना अच्छा माना जाता है. यानी इस अंक तक वजन नियंत्रण में है.
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डायबिटीज पर कंट्रोल : जो लोग मधुमेह से ग्रस्त हैं, उन्हें अपने ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित रखने का प्रयास करना चाहिए. इसके लिए वे अपने डॉक्टर से परामर्श लें.
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अन्य कारण : युवाओं में हृदय संबंधी रोगों के पीछे धूम्रपान एक बड़ा कारण है. धूम्रपान जितनी जल्दी हो बंद कर देना चाहिए. साथ ही दिन में व्यायाम एकदम न करना बड़ी वजह है.
क्या है इसका उपचार
सीएडी के इलाज के शुरुआती दौर में डॉक्टर मरीज को कोलेस्ट्रॉल कम करने वाली दवाएं देते हैं और इसके साथ ही रक्त को पतला करने वाली दवाएं यानी ब्लड थिनर्स दी जाती हैं.
तनाव है दिल का दुश्मन
दिल व इससे संबंधित बीमारियों के तमाम कारण होते हैं, लेकिन तनाव आपके दिल की सेहत का एक बड़ा दुश्मन है. तनाव हाइ ब्लड प्रेशर, हार्ट अटैक और अन्य हृदय रोगों खासकर कोरोनरी आर्टरी डिजीज (सीएडी) का एक प्रमुख कारण है.
डिप्रेशन और हृदय रोग
अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन की एक रिपोर्ट के अनुसार, हृदय रोगों का पांचवा बड़ा रिस्क फैक्टर डिप्रेशन व स्ट्रेस है. लगभग 25 प्रतिशत हृदय रोगी डिप्रेशन के शिकार होते हैं और वहीं लगभग 64% डिप्रेशन के मरीज कालांतर में हृदय रोगों से ग्रस्त हो जाते हैं.
तनाव का हृदय पर प्रभाव
तनाव के कारण घबराहट उत्पन्न होती है, जिससे दिल की धड़कन असामान्य होने लगती है. इस स्थिति में हृदय गति 100 के पार चली जाती है. हाइ ब्लड प्रेशर से ग्रस्त लोगों, तनाव और डिप्रेशन के मरीजों का ब्लड प्रेशर औसतन आम स्वस्थ लोगों की तुलना में लगभग 10 प्रतिशत अधिक बढ़ा रहता है. एक रिसर्च के अनुसार, तनाव से जूझने के लिए शरीर कॉर्टिसोल नामक हॉर्मोन स्रावित करता है. इस प्रकार डिप्रेशन व तनाव से ग्रस्त लोगों में कॉर्टिसोल नामक हॉर्मोन की मात्रा बढ़ जाती है, जिसका बुरा असर हृदय की धमनियों पर पड़ता है. जो कालांतर में हार्ट अटैक की संभावना को बढ़ा देता है.
तनाव व डिप्रेशन से बचाव
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स्वास्थ्यकर आहार ग्रहण करना चाहिए और अपने भोजन में हरी सब्जियों व मौसमी फलों को जरूर शामिल करना चाहिए.
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ऐसे लोगों को नियमित एरोबिक एक्सरसाइज करना चाहिए.
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धूम्रपान व शराब का सेवन बंद करें.
जिम जाने वाले ध्यान दें
अधिकता किसी भी वस्तु की नुकसानदेह होती है. यह बात व्यायाम के संदर्भ में भी लागू होती है. हेल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार, अपनी शारीरिक क्षमता से कहीं ज्यादा या अत्यधिक व्यायाम करने से हृदय की मांसपेशियों पर कालांतर में प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है. घर के ही जिम में एक्सरसाइज करने वाले युवा या फिर जिम जाने वाले लोग वहां पर व्यायाम करने से पहले अपने डॉक्टर व जिम ट्रेनर दोनों से ही परामर्श जरूर लें और फिर इसके बाद ही एक्सरसाइज शुरू करें.
हार्ट अटैक के पूर्व के लक्षण
दिल का दौरा पड़ना या हार्ट अटैक एक मेडिकल इमरजेंसी है. कहते हैं कि इलाज से बेहतर है बचाव करना. हार्ट अटैक के कुछ लक्षणों के महसूस होने पर संबंधित व्यक्ति और उसके परिजनों को शीघ्र ही डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए.
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घबराहट महसूस करना.
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सीने में दर्द होना. यह दर्द बांहों, कंधे से लेकर कभी-कभी जबड़े में भी हो सकता है.
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सीने में जकड़न या दबाव महसूस करना.
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सांस लेने में दिक्कत.
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जी मिचलाना, पसीना आना और चक्कर आना.
हार्ट अटैक, कार्डियक अरेस्ट व हार्ट फेल्योर में अंतर
महर्षि यूरोपियन रिसर्च यूनिवर्सिटी नीदरलैंड्स के अनुसार, हार्ट अटैक, कार्डियक अरेस्ट व हार्ट फेल्योर में अंतर को समझ न पाने के कारण मरीज और खासकर उसके परिजनों को डॉक्टर के पास पहुंचने से पहले असमंजस में रहना पड़ता है. ऐसे में इस तरह के असमंजस को दूर करना आवश्यक हो जाता है.
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हार्ट अटैक : जब एकबारगी दिल के किसी भाग में रक्त का संचार (ब्लड सर्कुलेशन) रुक जाता है, तो इस स्थिति को सहज मेडिकल भाषा में हार्ट अटैक कहते हैं. इसका इलाज, मेडिकेशन, एंजियोप्लास्टी और बाइपास सर्जरी है.
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कार्डियक अरेस्ट : जब दिल अचानक पूरी तरह से अपना काम करना बंद कर देता है, तो उस स्थिति को कार्डियक अरेस्ट कहते हैं. इस स्थिति में दिल की धड़कन बंद हो जाती है और मरीज के बेहोशी में जाने की आशंकाएं कहीं ज्यादा बढ़ जाती है. इस स्थिति में सीपीआर देने की जरूरत होती है. वहीं, ज्यादा गंभीर स्थिति होने पर डॉक्टरों की निगरानी में इलेक्ट्रिकल शॉक देना पड़ता है.
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हार्ट फेल्योर : जब किन्ही कारणों से हृदय कमजोर हो जाता है और वह सुचारु रूप से अपने क्रियाकलापों को समुचित रूप से अंजाम नहीं दे पाता, तो इस स्थिति को हार्ट फेल्योर कहा जाता है.
कैसे लगाएं हृदय रोगों का पता
मरीज व रोग की स्थिति के अनुसार, हृदय रोग विशेषज्ञ कई जांचें करवाते हैं. इन जांचों में प्रमुख हैं – इसीजी, चेस्ट एक्स रे, इकोकार्डियोग्राफी, टीएमटी, 24 आवर हॉल्टर टेस्ट, रक्त परीक्षण जैसे कार्डियक बायो मार्कर्स और एंजियोग्राफी आदि. याद रखें कि डॉक्टर मरीज की जांच कर और उससे बातकर जो जानकारियां हासिल करता है, उसके महत्व को कम नहीं किया जा सकता.
कब जरूरी हो जाती है एंजियोग्राफी
जब अन्य जांचों से हृदय की धमनियों में अवरोध या ब्लॉकेज का स्पष्ट रूप से पता नहीं चल पाता, तब एंजियोग्राफी कराने की सलाह दी जाती है. कैमरे के जरिये टीवी स्क्रीन पर मरीज की धमनियों में अवरोध की स्थिति को देख कर डॉक्टर किसी निष्कर्ष पर पहुंच पाते हैं.
आयुर्वेद की मदद से रखें हृदय को स्वस्थ
आयुर्वेद के अनुसार, हृदय रोग के पांच कारण हैं. पहला कारण, वातज हृद या हृदय रोग, दूसरा- पित्तज, तीसरा- कफज, चौथा- त्रिदोषज और पांचवा- कृमिजा हृदय रोग. आयुर्वेद के अनुसार, अपनी शारीरिक क्षमता से अधिक परिश्रम या फिर अत्यधिक व्यायाम करने से भी हृदय से संबंधित समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं. बीते दिनों अनेक ऐसी घटनाएं घटित हुई हैं, जब अनेक सेलिब्रिटीज की मृत्यु का कारण उनका अत्यधिक व्यायाम करना रहा है, जिसके कारण कालांतर में उनकी मौतें सडेन कार्डियक अरेस्ट या फिर अन्य हृदय रोगों के कारण हुईं.
ऐसा हो आपका खान-पान
आयुर्वेद के अनुसार, हृदय के स्वास्थ्य को दुरुस्त रखने के लिए हमें स्वास्थ्यकर आहार ग्रहण करना चाहिए. इस संदर्भ में सुबह का नाश्ता, दोपहर का खाना, शाम का स्नैक्स और रात के खाने के बारे में कुछ समुचित जानकारियां लाभप्रद रहेंगी.
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सुबह का नाश्ता : इसके अंतर्गत पोहा, उपमा, दलिया, मूंग की दाल की खिचड़ी या फिर फलों और ड्राइ फ्रूट्स (जो मात्रा में मुट्ठी भर हों) का सेवन करना चाहिए.
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दोपहर का भोजन : इस दौरान मूंग, अरहर, मसूर की दाल, चावल, चपाती, हरी सब्जियां, जैसे- लौकी, तोरई, टिंडा, परवल और सलाद का सेवन करना चाहिए. साथ में गुड़ की एक डली का सेवन कर सकते हैं.
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शाम का स्नैक्स : इस दौरान मखाना, रोस्टेड नट्स या फिर भुने हुए अनाज का सेवन करना चाहिए .
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रात का खाना : सब्जियों के सूप, मूंग की दाल की खिचड़ी, इडली, डोसा, चपाती के साथ हरी सब्जियों का सेवन किया जा सकता है. खाने के अंत में गुड़ को भी ले सकते हैं.
इन औषधियों से दिल रहेगा दुरुस्त
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अर्जुन की छाल : सुबह एक चाय की चम्मच मात्रा में एक कप पानी में उबालकर कर इसका सेवन करें.
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लहसुन के लाभ : सुबह खाली पेट लहसुन की दो कलियों को पानी के साथ चबाकर निगलना कोलेस्ट्रॉल को कम करने में सहायक है और इससे कालांतर में विभिन्न प्रकार के हृदय रोगों से बचाव होता है.
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आंवला : आंवले की आयुर्वेदिक टैबलेट ले सकते हैं या फिर आंवले का रस का सेवन कर सकते हैं.
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तुलसी : इसके तीन चार पत्तों का सेवन करना लाभप्रद है. तुलसी की चाय भी ले सकते हैं.
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हल्दी : यह शरीर में संक्रमण और आंतरिक सूजन को कम करती है. इसके साथ ही शरीर के विकारयुक्त या नुकसानदेह तत्वों को यह बाहर निकालती है. इसके अलावा आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श कर पीड़ित व्यक्तियों को औषधियां लेनी चाहिए.
Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.