World Hepatitis Day 2022: आज है विश्व हेपेटाइटिस दिवस, जानें कैसे करें इससे बचाव, ऐसे रखें डाइट
World Hepatitis Day 2022, Theme, Significance, Causes, Treatment: हेपेटाइटिस लीवर की सूजन से शुरू होने वाली एक प्रकार की बीमारी है. जो मरीजों के मौत तक का कारण बन जाती है. इसी गंभीर समस्या के प्रति लोगों को जागरूक करने का दिन है वर्ल्ड हेपेटाइटिस डे, जो हर साल 28 जुलाई यानी आज मनाया जाता है.
World Hepatitis Day 2022, Theme, Significance, Causes, Treatment: हर वर्ष 28 जुलाई को वर्ल्ड हेपेटाइटिस डे के रूप में मनाया जाता है जिसका मुख्य मकसद है लोगों को इस गंभीर बीमारी के प्रति जागरूक करना. दरअसल, इस बीमारी से लीवर की हेपेटोसेलुलर कैंसर का खतरा बनता है. जिससे मरीजों की जान चली जाती है. हेपेटाइटिस लीवर की सूजन से शुरू होने वाली एक प्रकार की बीमारी है. जो मरीजों के मौत तक का कारण बन जाती है. इसी गंभीर समस्या के प्रति लोगों को जागरूक करने का दिन है वर्ल्ड हेपेटाइटिस डे.
हेपेटाइटिस के प्रकार
हेपेटाइटिस वायरस के मुताबिक पांच प्रकार के होते हैं. इसमें हेपेटाइटिस ए, बी, सी, डी, ई शामिल है. पांचों प्रकार के हेपेटाइटिस खतरनाक है. विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, हेपेटाइटिस ए से हर साल लगभग 1.4 मिलियन लोग ग्रस्त हो रहे हैं.
गंभीरता के आधार पर भी हेपेटाइटिस को पहचाना जाता है. एक्यूट हेपेटाइटिस में अचानक लीवर में सूजन आती है, जिसके लक्षण 6 महीने तक रहते हैं. इलाज होने पर रोग धीरे धीरे ठीक होने लगता है. एक्यूट हेपेटाइटिस आमतौर पर एचएवी इंफेक्शन के कारण होता है. दूसरा क्रॉनिक हेपेटाइटिस है, जिसमें एचइवी इंफेक्शन रोगी के इम्यून सिस्टम को बुरी तरह प्रभावित करता है. लीवर कैंसर और लिवर की बीमारी के कारण ज्यादा लोगों की मौत हो रही है.
हेपेटाइटिस के कारण क्या हैं?
लीवर में सूजन होने के कारण हेपेटाइटिस रोग होता है. इस वायरल इन्फेक्शन के कारण जान को खतरा भी हो सकता है मतलब हेपेटाइटिस एक जानलेवा इंफेक्शन है. इसके कई कारण हो सकते हैं:
वायरल इन्फेक्शन
खासकर, हेपेटाइटिस ए, हेपेटाइटिस बी और हेपेटाइटिस सी वायरल इंफेक्शन के कारण होता है.
ऑटोइम्यून स्थितियां
अक्सर, शरीर के इम्यून सेल से यह पता चलता है कि लीवर की सेल्स को डैमेज पहुंच रहा है.
शराब पीना
अल्कोहल हमारे लीवर द्वारा डायरेक्टली मेटाबोलाइज़्ड होता है, जिसके कारण यह शरीर के दूसरे भागों में भी इसका सर्कुलेशन होने लगता है. इसलिए, जब कोई बहुत अधिक शराब या अल्कोहल का सेवन करता है, तो उस व्यक्ति के लिए हेपेटाइटिस का खतरा बढ़ जाता है.
दवाइयो का साइड-इफेक्ट्स:
यह भी एक कारण है हेपेटाइटिस का. कुछ विशेष दवाइयों के ज़्यादा सेवन से लीवर सेल्स में सूजन होने लगती है और हेपेटाइटिस का रिस्क बढ़ जाता है.
हेपेटाइटिस के लक्षण क्या हैं ?
अक्यूट हेपेटाइटिस की शुरुआत में बहुत स्पष्ट लक्षण नहीं दिखायी पड़ते हैं. लेकिन, इंफेक्शियस और क्रोनिक हेपेटाइटिस में ये समस्याएं काफी स्पष्ट तरीके से लक्षण के तौर पर दिखायी पड़ती हैं:
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जॉन्डिस या पीलिया
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यूरीन का रंग बदलना
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बहुत अधिक थकान
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उल्टी या जी मिचलाना
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पेट दर्द और सूजन
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खुजली
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भूख ना लगना या कम लगना
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अचानक से वज़न कम हो जाना
हेपेटाइटिस का निदान क्या है?
लक्षणों को ध्यान में रखते हुए और स्थिति की गम्भीरता के आधार पर डॉक्टर्स हेपेटाइटिस का निदान करते हैं. लीवर में सूजन, त्वचा की रंगत पीली होना, पेट में में फ्लूइड होना आदि को देखकर फिज़िकल एक्ज़ामिनेशन करने को कहते हैं. इसके लिए इन टेस्ट को करने की सलाह दी जाती है-
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पेट का अल्ट्रासाउन्ड
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लीवर फंक्शन टेस्ट
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ऑटोइम्यून ब्लड मार्कर टेस्ट
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लिवर बायोपसी
हेपेटाइटिस का उपचार क्या है?
अक्यूट हेपेटाइटिस कुछ हफ्ते में कम होने लगते हैं और मरीज़ को आराम मिलने लगता है. जबकि, क्रोनिक हेपेटाइटिस के लिए दवाई लेने की ज़रूरत होती है. लीवर खराब हो जाने पर लीवर ट्रांसप्लैनटेशन भी एक विकल्प है.
हेपेटाइटिस में डायट कैसी होनी चाहिए?
हेल्दी डायट की मदद से हेपेटाइटिस की समस्या को मैनेज करना आसान हो जाता है. हालांकि, स्थिति की गम्भीरता और लीवर की सूजन के आधार पर डायट निर्धारित की जाती है. साथ ही डायट से जुड़ी इन बातों का ध्यान रखने से भी मदद होती है. :
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अपनी डायट में फूलगोभी, ब्रोकोली, बीन्स, सेब, एवाकाडो का समावेश करें.
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प्याज़ और लहसुन जैसे पारम्परिक मसालों को अपने भोजन में शामिल करें.
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खूब पानी पीएं, ताज़े फलों का जूस पीएं.
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अल्कोहल का सेवन कम करें, गेंहू का सेवन कम करें.
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जंक फूड, मैदे से बने फूड्स, प्रोसेस्ड फूड और मीठी चीज़ों के सेवन से बचें.
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भोजन को चबा-चबाकर खाएं. इससे, भोजन पचने में आसानी होगी.
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एक साथ भारी भोजन करने की बजाय कम मात्रा में 4-6 बार भोजन करें.
Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.