World Iodine Deficiency Day : आयोडीन शारीरिक और मानसिक विकास के लिए बहुत आवश्यक खनिज लवण है. इसकी कमी से बच्चे कुपोषण का शिकार हो जाते हैं. इसकी कमी से बच्चों में क्रेटिनिज्म नामक रोग हो जाता है. इसे जन्मजात आयोडीन डेफिशिएंसी सिंड्रोम भी कहा जाता है. इसकी वजह से बच्चों के विकास में देरी और मंदता आती है. ऐसा आमतौर पर गर्भावस्था के दौरान मां के खान-पान में आयोडीन की कमी के कारण होता है.
आयोडीन का मुख्य स्रोत समुद्री नमक है. इसके अलावा जिन स्थानों के पानी में आयोडिन पाया जाता है, उन स्थानों में उगाये जाने वाले खाद्य पदार्थों में भी आयोडिन की मात्रा में प्रचुरता होती है. आलू के छिलके में आयोडीन, पोटैशियम एवं विटामिन पाया जाता है. ऐसे में छिलके के साथ आलू खाना फायदेमंद है. एक कप दूध में 56 माइक्रोग्राम आयोडीन पाया जाता है. प्रतिदिन तीन मुनक्का खाने से 34 माइक्रोग्राम आयोडीन शरीर को मिलता है.
आयोडीन की कमी के संकेत :
उदासी, लगातार थकान महसूस करना, वजन बढ़ना, कब्ज आदि शरीर में आयोडीन की कमी के लक्षण हो सकते हैं.
त्वचा का सूखना, बालों का झड़ना इसके प्रमुख लक्षणों में शामिल हैं.
आयोडीन की कमी मस्तिष्क के कामकाज को भी प्रभावित करती है, जिसमें ध्यान केंद्रित होने में कठिनाई होती है.
आयोडीन की कमी से गर्दन में सूजन की समस्या दिख सकती है.
आयोडीन की अधिकता से थायरॉयड कैंसर जैसी समस्या हो सकती है. जो स्वास्थ्य के लिए जोखिम हो सकते हैं.
स्त्रियों में इसकी अधिकता से अनियमित माहवारी की समस्या उत्पन्न हो जाती है. अचानक बेहोशी और अचानक घबराहट होने जैसे लक्षण देखने को मिलता हैं. मुंह की समस्याएं भी हो जाती हैं.
आयोडीन की अधिकता भी हानिकारक है इससे पेट दर्द, उल्टी, दस्त और बुखार जैसी समस्या हो सकती हैं, हृदय की गति तेज हो जाती है. त्वचा लाल हो जाती है. शरीर का तापमान बढ़ जाता है.
Also Read: कम उम्र से ही रखिए हड्डियों का ख्याल, जानिए बोन स्ट्रेंथ कम होने के कारण और बचावDisclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.