World Leprosy Day 2022: आज है विश्व कुष्ठ दिवस, जानें इस दिन इतिहास, उद्देश्य और इस साल की थीम
World Leprosy Day 2022: कुष्ठ रोग दिवस मनाने का उद्देश्य न केवल लोगों को इस बीमारी के बारे में शिक्षित करना है, बल्कि इस रोग से पीड़ित लोगों की परेशानियों की ओर लोगों का ध्यान आकर्षित करना और उन्हें मान-सम्मान दिलाना भी है.
World Leprosy Day 2022: विश्व कुष्ठ दिवस रविवार 30 जनवरी यानी आज है. यह हमेशा जनवरी के आखिरी रविवार को होता है. इस तिथि को फ्रांसीसी मानवतावादी, राउल फोलेरेउ ने महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि देने के रूप में चुना था, जिन्होंने कुष्ठ रोग से प्रभावित लोगों के साथ बहुत काम किया था और 1948 में जनवरी के अंत में उनकी मृत्यु हो गई थी. कुष्ठ रोग एक दीर्घकालिक जीवाणु संक्रमण है जो नसों, श्वसन नली, त्वचा और आंखों को स्थायी और अपूरणीय क्षति पहुंचा सकता है. अक्सर, पीड़ित व्यक्ति प्रभावित अंगों में दर्द को महसूस नहीं कर पाता है, जिससे चोटों या घावों की ओर उनका ध्यान नहीं जाता है और घावों की उपेक्षा होती है, और इसके परिणामस्वरूप अंगों का नुकसान होता है.
कुष्ठ रोग को हैनसेन रोग भी कहते हैं
इस बीमारी को हैनसेन रोग भी कहा जाता है, जिसका नाम नॉर्वेजियन डॉक्टर गेरहार्ड हेनरिक अर्माउर हेन्सन के नाम पर रखा गया है, जो कुष्ठ रोग पैदा करने वाले बैक्टीरिया की पहचान करने के लिए जाने जाते हैं.
1954 में इस दिवस की शुरुआत हुई
कुष्ठ रोग के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए, फ्रांसीसी परोपकारी राउल फोलेरो ने 1954 में विश्व कुष्ठ दिवस की शुरुआत की. जिसका उद्देश्य इस रोग से पीड़ित लोगों के प्रति करुणा और सम्मान दिखाना है.
2022 की थीम ‘यूनाइटेड फॉर डिग्निटी’
2022 की थीम ‘यूनाइटेड फॉर डिग्निटी’ है. अभियान उन व्यक्तियों के जीवित अनुभवों का सम्मान करता है जिन्होंने अपनी सशक्त कहानियों को साझा करके और मानसिक भलाई और बीमारी से संबंधित कलंक से मुक्त एक सम्मानजनक जीवन के अधिकार की वकालत करके कुष्ठ रोग का अनुभव किया है.
भारत, ब्राजील और इंडोनेशिया में सबसे अधिक मामले
हालांकि आज इस रोग का अब आसानी से इलाज संभव है और विकसित देशों जैसे यूएस में दुर्लभ है. इस रोग के केस विशेष रूप से भारत, ब्राजील और इंडोनेशिया में सबसे अधिक पाए जाते हैं. इतना ही नहीं संक्रमित लोगों के साथ अक्सर भेदभाव भी किया जाता है और उन्हें बहिष्कृत कर दिया जाता है, जिससे उचित चिकित्सा देखभाल, उपचार तक पहुंच की कमी और यहां तककि बुनियादी मानवाधिकारों से भी ऐसे लोग वंचित हो जाते हैं.
विश्व कुष्ठ दिवस का उद्देश्य लोगों को इलाज की तलाश करने और सम्मान का जीवन जीने में सक्षम बनाने के लिए और सामान्य लोगों के बीच कुष्ठ रोग के बारे में जागरूकता बढ़ाना है. जानें इससे संबंधित कुछ फैक्ट्स…
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1873 में कुष्ठ रोग पैदा करने वाले जीवाणु की पहचान हुई.
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नॉर्वे के एक चिकित्सक गेरहार्ड हेनरिक अर्माउर हैनसेन ने कुष्ठ रोग पैदा करने वाले प्रमुख जीवाणु के रूप में ‘माइकोबैक्टीरियम लेप्राई’ जीवाणु की पहचान की.
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1954 पहला विश्व कुष्ठ दिवस
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फ्रांसीसी परोपकारी राउल फोलेरो ने विश्व कुष्ठ दिवस की शुरूआत की, जिसे सालाना जनवरी के पहले रविवार को मनाया जाता है, ताकि इस बीमारी के बारे में लोगों में जागरूकता बढ़ाई जा सके.
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2018 कुष्ठ रोग दुनिया भर के लोगों को प्रभावित करता है.
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प्रत्येक वर्ष 200,000 लोग कुष्ठ रोग से पीड़ित होते हैं.
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डब्ल्यूएचओ के अनुसार साल 2018 में 120 से अधिक देशों में कुष्ठ रोग के 2.08 लाख से अधिक मामले सामने आए, जिनमें से अधिकतम भारत, ब्राजील और इंडोनेशिया से सामने आए. हालांकि पिछले दो सालों में मामलों में कमी दर्ज की गई है.
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मल्टी ड्रग थेरेपी (एमडीटी) नामक एंटीबायोटिक दवाओं के संयोजन से कुष्ठ रोग का इलाज संभव है. यह इलाज पूरी दुनिया में मुफ्त में उपलब्ध है.
Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.