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World Polio Day 2024 : विश्व पोलियो दिवस पर विशेष : भारत ने पोलियो पर कैसे पाई विजय!

World Polio Day : विश्व पोलियो दिवस 24 अक्टूबर को विश्व भर में मनाया जाता है. रोटरी इंटरनेशनल द्वारा इस दिवस की स्थापना जोनस साल्क के जन्म की याद में की गई थी..

World Polio Day : विश्व पोलियो दिवस 24 अक्टूबर को विश्व भर में मनाया जाता है. रोटरी इंटरनेशनल द्वारा इस दिवस की स्थापना जोनस साल्क के जन्म की याद में की गई थी, जिन्होंने 1950 के दशक में इस बीमारी के खिलाफ टीका विकसित करने वाली पहली टीम का नेतृत्व किया था.

World Polio Day : कितनी खतरनाक है यह बीमारी

पोलियो को जड़ से खत्म करने में भारत ने कामयाबी हासिल कर ली है. यह एक अत्यधिक संक्रामक वायरल बीमारी है. जो लकवा और यहां तक की मौत का कारण बनती है. मुख्य रूप से बच्चों को प्रभावित करती है और पोलियो का कोई स्थाई इलाज अभी तक नहीं मिल पाया है. इसे केवल तक या फिर वैक्सीनेशन के माध्यम से ही रोका जा सकता है. इसीलिए बचपन में बच्चों को पोलिओ की ड्राप पिलाना अति आवश्यक होता है.

World Polio Day : 2009 में पोलिओ के विश्व में साँसे ज्यादा मामले

ग्लोबल पोलियो उन्मूलन पहल के अनुसार 2009 में भारत में पोलियो के 741 के से सामने आए थे. जो दुनिया में सबसे ज्यादा थे. जनवरी 2011 में भारत में पोलियो का आखिरी मामला पश्चिम बंगाल के हावड़ा में देखने को मिला था. इस बीमारी से पैदा होने वाली बड़ी चुनौतियों का सामना करते हुए. यह बदलाव भारत के स्वास्थ्य सेवा प्रणाली की एक बहुत बड़ी उपलब्धि की दास्तां है.

इस प्रक्रिया से मिली सीख का उपयोग हाल ही में कोविड-19 टीकाकरण अभियान के दौरान भी किया गया. भारत में विभिन्न स्तरों की सरकारों अंतरराष्ट्रीय सहायता एजेंसियों के बीच समन्वय स्थापित कर सफल संदेश और सांस्कृतिक बाधाओं पर काबू पाने और अंतिम छोर तक कवरेज सुनिश्चित करके पोलियो को देश से भगाया. कहानी कैसे सामने आई इसके विस्तृत विवरण बारे में हम आपको इस लेख के द्वारा बताएंगे.

World Polio Day : किन बधाओं का करना पड़ा सामना

भारत एक ज्यादा आबादी वाला देश है जहां लाखों लोग भीड़भाड़ वाली बस्तियों में और चॉल में रहते हैं जहां स्वच्छता का पर्याप्त ध्यान नहीं रखा जाता है. देश के अलग-अलग हिस्सों में चुनौतियां बिल्कुल विपरीत हैं. देश के कई हिस्सों में भौगोलिक रूप से पहुंच पाना बहुत मुश्किल है. इसके अतिरिक्त लोगों के मन में वैक्सीन और मशीनरी उपकरणों के प्रति डर और धार्मिक मान्यताओं के प्रति विश्वास भी इस बीमारी के बढ़ने का एक बहुत बड़ा कारण है.

World Polio Day : टीकाकरण कि शुरुआत हुई 1972 में

पोलियो के खिलाफ टीकाकरण 1972 में शुरू हो गया था और 1985 तक यह देशव्यापी सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम उप के रूप में विस्तारित हुआ था पोलियो के लिए पूरे देश के लिए एक टीकाकरण दिवस तय किया जाएगा और इसके बारे में जागरूकता फैलाई जाएगी यह भी सुनिश्चित किया गया था. पोलियो की बूंदे इंजेक्शन के रूप में नहीं बल्कि मौखिक रूप से दी जा सकती है, इसका एक फायदा था क्योंकि स्थानीय स्वास्थ्य कार्यकर्ता विशेष प्रशिक्षण के बिना भी उन्हें यह दवाई पिला सकते थे. टीकाकरण अभियान त्योहारों के अवसर पर रेलवे स्टेशनों पर तथा ऐसे किसी भी स्थान पर आयोजित किया जाएगा जहां बड़ी संख्या में लोग एकत्रित होते हैं.

World Polio Day : माताओं के लिए जागरूकता शिविर

इन सब के अतिरिक्त शिशुओं की माताओं के लिए विशेष जागरूकता शिविर का आयोजन भी किया गया जहां उन्हें उनके समुदाय और सामाजिक वर्ग की महिलाओं द्वारा उनकी भाषा में संबोधित किया गया और वैक्सीन और उसके महत्व के प्रति जागरूक किया गया. इतना ही नहीं जागरूकता फैलाने के लिए अमिताभ बच्चन जैसे मशहूर बॉलीवुड हस्तियों को भी मैदान में उतारा गया. यूनिसेफ की एक रिपोर्ट के अनुसार सोप ओपेरा की व्यापक पहुंच को देखते हुए पोलियो और अन्य स्वास्थ्य संदेशों को कहानियां और एपिसोड में बुना गया. टीवी पर एडवर्टाइजमेंट द्वारा भी इस वैक्सीन का प्रचार प्रसार किया गया. पोलिओ की टीकाकारण की टैगलाइन थी “दो बूंद जिंदगी की” जो आज भी स्मरणीय है.

World Polio Day : संक्रमित व्यक्ति के मल से फैलता है यह डिजीज

पोलियो अक्सर संक्रमित व्यक्ति के मल के माध्यम से फैलता है, जो दूषित भोजन, पानी, और खराब स्वच्छता, आदि के माध्यम से अन्य लोगों के संपर्क में आता है, उन्हें संक्रमित करता है. इसीलिए शैशवावस्था में पोलियो का टीकाकरण करवाने के साथ-साथ हाथ धोने पीने के पानी को उबालकर पीने 6 महीने से कम उम्र के बच्चों को केवल स्तनपान कराने आदि के महत्व के बारे में भी लोगों को जागरूक किया गया.

World Polio Day : सफलता में रहा इनका योगदान

इन प्रयासों का नेतृत्व केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा किया गया, जिसे विश्व स्वास्थ्य संगठन हो यूनिसेफ अमेरिकी रोग नियंत्रण केंद्र और अन्य एजेंसियों का समर्थन भी प्राप्त हुआ. इस मुहिम को वित्तीय मदद प्रदान करने में रोग नियंत्रण एवं रोकथाम केंद्र (सीडीसी), रोटरी इंटरनेशनल, बिल और मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन ने अपनी भागीदारी दर्ज की. साथ ही भारत में हर्षद मेहता, आदित्य बिरला ग्रुप एवं ऊषा मित्तल ने भी इस मूहीम में अपना योगदान दीया.

वर्ष 2008 तक देश के कई हिस्सों में पोलियो के मामले की संख्या में कमी आने लग गई थी यूनिसेफ की एक रिपोर्ट के अनुसार 2009 में पोलियो भागीदारी ने पाया कि 80% से ज्यादा पोलियो के मामले उत्तर प्रदेश और बिहार के सिर्फ 107 ब्लॉकों में लगातार हो रहे थे. इन क्षेत्रों को लक्षित कर प्रयासों को बढ़ा दिया गया.

World Polio Day : सर्वे करने के लिए बनाई गई रणनीति

रणनीति का एक मुख्य आधार उच्च जोखिम वाले समूह की प्रभावी निगरानी और और सर्वे करना था. टोरंटो स्थित रीच एलायंस के एक शोध पत्र के अनुसार “विश्व स्वास्थ्य संगठन हो कि विशेषज्ञ का लाभ उठाते हुए भारत ने एक मजबूत निगरानी प्रणाली विकसित की, इस बहु स्तरीय निगरानी प्रणाली के बिना सबसे कठिन पहुंच वाले समूह में पोलियो के मामले छूट जाते थे, जिससे संक्रमण जारी रहता था.”

इसमें बच्चों में तीव्र शिथिल पक्षाघात की घटना की निगरानी करना शामिल था, जो अक्सर पोलियो वायरस के कारण होता है, और फिर प्रभावित बच्चों के आसपास के लोगों को टीका लगाना शामिल था. इसके लिए सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता, स्थानीय निवासियों, चिकित्सकों, आस्था चिकित्सकों, आदि, को शामिल करते हुए मुखबिरों का एक नेटवर्क बनाया गया था. इसके द्वारा सूचना का आदान-प्रदान समय पर हो जाता था, जिससे स्थितियों को संभालना आसान हो जाता था.

World Polio Day : उत्तर प्रदेश और बिहार की सबसे बड़ी समस्या

उत्तर प्रदेश और बिहार में एक सबसे बड़ी समस्या थी काम के लिए मौसमी पलायन जिसका मतलब था कि लोग का एक समूह निगरानीयों से बच जाता था प्रवासियों को कवर करने के लिए उनके आवासीय शिविरों में टीकाकरण अभियान चलाए गए दिहाड़ी मजदूर अपने बच्चों को टीकाकरण के लिए ले जाने में एक दिन की कमाई नहीं गंवाना चाहते थे इसलिए उनके काम के समय को ध्यान में रखते हुए टीकाकरण शिविर आयोजित किए गए ताकि संक्रमण को एक जगह से दूसरी जगह फैलने से रोका जा सके, लोगों के पास वैक्सीन से बचने का कोई बहाना भी ना रहे.

World Polio Day : भारत में पोलियो वैक्सीन के विरुद्ध धार्मिक और सांस्कृतिक बढ़ाओ पर हुई जीत

वैक्सीन के प्रति हिचकी चाहत की वजह यह अफवाह थी कि इससे बच्चे नपुंसक हो जाते हैं मुस्लिम समुदाय को इस पर धार्मिक आपत्ति थी इसके लिए इमाम और मौलाना जैसे समुदाय के नेताओं को शामिल किया गया अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय और जामिया मिलिया इस्लामिया ने भी जागरूकता के प्रयासों में सहयोग किया एक अफवाह यह भी थी कि ओपीवी सूअर के खून से बनाया गया था. जिसे मुस्लिम संस्कृति में ‘हराम’ या ‘वर्जित’ माना जाता है.

World Polio Day : वैक्सीन को लेकर फैली अफवाह

इसे दूर करने के लिए प्रभावशाली इस्लामी नेताओं ने ओपीवी के हराम होने की पुष्टि करने के लिए एक फतवा (इस्लामी कानून में एक नियम) भी जारी किया. इस तरह से लोगों के मन से वैक्सीन के प्रति भ्रांतियां को दूर किया गया और उन्हें इस वैक्सीन के महत्व के प्रति जागरूक कर उन्हें इस लगवाने के बारे में और पोलियो अपना बचाव करने के लिए जानकारियां दी गई. सरकार, स्वास्थ्य कर्मी, एजेंसियां, और नेताओं ने साम, दाम, दंड, भेद, लगाकर इस बीमारी पर पूर्ण रूप से विजय पाई.

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