World Sight Day 2021: आज विश्व दृष्टि दिवस है. दुनिया भर में करीब-करीब हर आयुवर्ग के करीब 1 अरब से अधिक लोग किसी न किसी रूप से गंभीर या हल्के दृष्टिदोष से ग्रस्त हैं. अगर हम अपने देश भारत की बात करें, तो यहां की कुल आबादी में से करीब 20 फीसदी आबादी नेत्रहीन है. ऐसे में, हमें अपनी आंखों प्रति खास ख्याल रखना चाहिए, क्योंकि आंख आदमी का सबसे महत्वपूर्ण अंग है.
बता दें कि अक्टूबर में दूसरे गुरुवार को हर साल विश्व दृष्टि दिवस यानी वर्ल्ड साइट डे मनाया जाता है. इसके जरिए अंधेपन और दृश्य हानि के बारे में जागरूकता फैलाया जाता है. इस साल विश्व दृष्टि दिवस आज यानी 14 अक्टूबर को मनाया जा रहा है. इस साल की थीम ‘अपनी आंखों से प्यार करो’ है. ये थीम हमारी आंखों की हेल्थ के बारे में जागरूकता फैलाने और हमारी आईसाइट की देखभाल करने की आवश्यकता पर बल देती है. इस उद्देश्य के लिए हमें अपनी आंखों का टेस्ट करवाना चाहिए और जिन्हें हम जानते हैं, उन्हें भी इसके लिए प्रोत्साहित करना चाहिए.
विश्व दृष्टि दिवस को वर्ष 2000 में लायंस क्लब इंटरनेशनल संगठन के साइटफर्स्ट कैंपेन द्वारा एक पहल के रूप में शुरू किया गया. यह पहल द इंटरनेशनल एजेंसी फॉर द प्रिवेंशन ऑफ ब्लाइंडनेस (आईएपीबी) विजन 2020: द राइट टू साइट (वी2020) योजना का हिस्सा है. इसे आईएपीबी और विश्व स्वास्थ्य संगठन दोनों द्वारा जिनेवा में 18 फरवरी, 1999 को लॉन्च किया गया था.
हम सभी जानते हैं कि हमारी आंखें हमें अपने परिवेश में नेविगेट करने में मदद करती हैं और हमारे दैनिक जीवन में हर प्रमुख कार्य को पूरा करती हैं. इस प्रकार दृष्टि का हमारे अस्तित्व और हमारे जीवन की गुणवत्ता पर सीधा प्रभाव पड़ता है. जैसा कि आईएपीबी ने अपनी वेबसाइट पर नोट किया है, वे चाहते हैं कि जनता अन्य लोगों, सरकारों, विभिन्न संस्थानों और निगमों से आग्रह करने के लिए संगठनों के साथ हाथ मिलाए, ताकि सभी के लिए आंखों की सेहत की सार्वभौमिक पहुंच पर जोर दिया जा सके.
जबकि आंखों के स्वास्थ्य के लिए चिंता हमेशा रही है, कोविड-19 की स्थिति ने हालात को काफी चिंताजनक बना दिया है. महामारी के कारण हमारी जीवनशैली में कई बड़े बदलाव आए हैं, जिससे तनाव (व्यक्तिगत और काम से संबंधित दोनों) बढ़ गया है. इससे गतिहीन जीवन शैली, बाहरी समय कम हो गया और आंखों सहित स्वास्थ्य पर असर पड़ा है. नए शोध से पता चलता है कि कोविड-19 के वायरस आंखों के जरिए भी संक्रमण फैलाते हैं. यह वायरस आंखों से उतना ही फैल सकता है, जितना मुंह और नाक से फैलता है.
Also Read: ‘बिहार में जिन्हें नहीं दिखता है विकास, वो कराएं आंख का इलाज’- नीतीश सरकार के मंत्री का बड़ा बयान
-
आंख का गुलाबी होना (नेत्रश्लेष्मलाशोथ)
-
आंखों में दर्द होना
-
आंखों में थकान का अनुभव
-
रोशनी बर्दाश्त नहीं होना
-
लॉकडाउन के बाद स्कूली बच्चों में मायोपिया के बढ़े मामले
-
बिना धोए अपनी आंखों को हाथों से रगड़ने से बचना चाहिए.
-
अपने हाथों को हमेशा सेनिटाइज करें.
-
सार्वजनिक स्थानों पर भी आंखों को नंगे हाथों से न छुएं.
-
हाथों को कम से कम 20 सेकेंड तक साबुन या हैंडवाश से धोएं.
-
यदि संभव हो तो सार्वजनिक स्थानों पर फेस शील्ड का प्रयोग करें.
-
अगर आप कॉन्टैक्ट लेंस पहन रहे हैं तो चश्मे पर स्विच करें.
-
चूंकि वायरस दूषित सतहों पर छूने से फैलता है, इसलिए लेंस पहनने से बचना चाहिए.
-
ऐसा इसलिए क्योंकि अगर लेंस पहनने वाले अनजाने में आंखों को छूते हैं, तो इससे आंखों में जलन होने की संभावना बढ़ जाती है.
-
आंखों के व्यायाम जैसे हथेली को मोड़ना, फ्लेक्स करना, निकट और दूर ध्यान केंद्रित करना, आठ का आंकड़ा और अपनी आंखों को लैपटॉप, मोबाइल और टीवी स्क्रीन से ब्रेक दें.
-
संतुलित आहार लें.
-
स्वच्छ भोजन करें.
-
भरपूर नींद लें और दिनचर्या का पालन करें.
-
सोने से 45 मिनट पहले मोबाइल फोन, टैबलेट, लैपटॉप का इस्तेमाल न करें, ताकि लंबे समय तक इस्तेमाल से आंखों की रोशनी खराब हो सकती है और अंततः लंबे समय में दृष्टि हानि का कारण बनता है.
Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.