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Prabhat Special: आत्महत्या की ओर बढ़ते कदमों को रोकें, अपनायें यह तरीका

आधुनिक सुख-सुविधाओं व आर्थिक संपन्नता ने पहले की तुलना में जीवन को आसान जरूर बना दिया है, लेकिन दूसरी ओर जीवन के प्रति आकर्षण घटता भी जा रहा है. किसी भी व्यक्ति के आत्महत्या की ओर बढ़ने के पीछे कई वजहें होती हैं. पूरे विश्व में आत्महत्या के कुल मामलों में से 37 प्रतिशत भारत में सामने आते हैं.

World Suicide Prevention Day: जो जन्मा है, उसकी मृत्यु निश्चित है, लेकिन कुछ लोग अपने जीवन से इतना ऊब जाते हैं कि खुद ही आत्मघाती कदम उठाकर मौत को गले लगा लेते हैं. आत्महत्या के मामले दो तरह के होते हैं- एक तो कोई व्यक्ति गुस्से या भावनात्मक आवेश में खुद को खत्म कर लेता है, दूसरा व्यक्ति धीरे-धीरे जिंदगी से दूर व मौत के करीब जाने लगता है. पहली स्थिति में करीबी लोग अक्सर उस व्यक्ति की मानसिक स्थिति व भावनात्मक उथल-पुथल को समझ नहीं पाते. वहीं, दूसरी स्थिति में आत्मघाती कदम उठाने वाले व्यक्ति के व्यवहार में बहुत से बदलाव आने लगते हैं.

इन बदलावों को न करें नजरअंदाज

आमतौर पर लोग अवसाद, लाचारी और जीवन में कुछ नहीं कर पाने की हताशा के चलते खुद का जीवन समाप्त करने का फैसला ले लेते हैं. इस दौरान व्यवहार में आये बदलावों को पहचानकर पीड़ित स्वसहायता या थेरेपिस्ट की मदद से इस स्थिति से बाहर आने की कोशिश कर सकता है. पीड़ित के परिवार वाले, उसके दोस्त या अन्य करीब लोग भी बदलाव को नोटिस कर उसे इस स्थिति से बाहर आने में सहायता कर उसका जीवन बचा सकते हैं.

  • अत्यधिक उदास व निराश होना, उन चीजों में रुचि समाप्त हो जाना, जिनमें कभी बहुत आनंद आता था.

  • खान-पान की आदतों में बदलाव आने लगना.

  • कमरे या घर से बाहर निकलने का मन न करना.

  • परिवार के सदस्यों और दोस्तों से कटे-कटे रहना.

  • स्लीप पैटर्न गड़बड़ा जाना, पढ़ाई या काम का प्रदर्शन खराब हो जाना, ऊर्जा की कमी महसूस होना.

  • बार-बार आत्महत्या का विचार मन में आना.

  • आत्महत्या के विभिन्न तरीकों के बारे में सोचने लगना.

मानसिक समस्या होने पर विशेषज्ञ से मिलें

मानसिक विकारों से ग्रस्त लोगों में आत्महत्या की प्रवृत्ति विकसित होने का खतरा अधिक होता है, लेकिन लोग मानसिक रोगों की गंभीरता को समझते ही नहीं हैं. मानसिक रोगियों को शारीरिक रोगियों के मुकाबले ज्यादा देखभाल और सहानुभूति की जरूरत होती है, पर होता इसके उलट है. ऐसे मानसिक रोगों के लक्षण नजर आने पर भी कई लोग उस बारे में खुलकर बात नहीं करते और डॉक्टर के पास जाने से कतराते हैं, जिससे रोग और बढ़ जाता है. कई लोग भावनात्मक रूप से इतने कमजोर हो जाते हैं कि उनमें खुद को नुकसान पहुंचाने की प्रवृत्ति पनपने लगती है. अगर शुरुआत में ही मानसिक समस्या का डायग्नोसिस हो जाये और तुरंत उपचार शुरू कर दिया जाये तो अधिकतर मनोरोगी पूरी तरह ठीक होकर सामान्य जीवन जी सकते हैं.

ये कारक बढ़ा देते हैं खतरा

वैसे तो किसी भी उम्र और जेंडर का इंसान कभी भी आत्महत्या कर सकता है, लेकिन कुछ कारक इसका खतरा बढ़ा देते हैं, जिनमें सम्मिलित हैं-

  • मानसिक रोग और मनोवैज्ञानिक समस्याएं

  • विरासत में मिली आत्मघाती कदम उठाने की प्रवृत्ति

  • शारीरिक और यौन हिंसा

  • मानसिक प्रताड़ना

  • शारीरिक स्वास्थ्य समस्याएं

  • पारिवारिक और आर्थिक समस्याएं

  • भावनात्मक रूप से असंतुलित होना

  • दुर्घटना या मानसिक आघात

  • पारिवारिक और समाजिक सहयोग/समर्थन की कमी

मानसिक रोगी की आप ऐसे करें मदद

अगर आपके परिवार का कोई सदस्य या कोई करीबी दोस्त किसी मानसिक रोग का शिकार है, तो आपको यह समझना चाहिए कि उसे खास देखभाल, सहानुभूति व सही उपचार की जरूरत होती है.

  • मानसिक रोगी को यह समझाएं कि मानसिक रोग का समय पर उपचार कितना जरूरी है.

  • उसे किसी अच्छे मानसिक रोग विशेषज्ञ के पास ले जाएं.

  • उसकी दवाइयों और थेरेपी सेशन का ध्यान रखें.

  • मानसिक रूप से अस्वस्थ सदस्य की बात ध्यान से सुनें और उसे सपोर्ट दें.

  • पीड़ित एक ही बात को बार-बार दोहरा सकता है, घबराएं नहीं, थोड़ा संयम रखें.

  • किसी एक्टिविटी में शामिल करें.

  • उससे नकारात्मक समाचार साझा न करें, इसका उसके ऊपर बुरा प्रभाव पड़ सकता है.

  • अगर डॉक्टर ने फैमिली थेरेपी सेशन लेने का कहा है, तो जरूर लें. इससे आप रोगी की स्थिति और उससे निपटने के उपायों को बेहतर तरीके से समझ पायेंगे.

अपने मानसिक स्वास्थ्य को बनाएं बेहतर

अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार, आपका शरीर उस तरह से प्रतिक्रिया देता है, जैसा आप सोचते, महसूस करते और कार्य करते हैं. यह शरीर व मस्तिष्क के एक प्रकार के कनेक्शन के कारण होता है.

अनुशासित हो जीवनशैली

जो लोग ठीक समय पर खाते-पीते, सोते-उठते हैं और नियमित रूप से एक्सरसाइज करते हैं, वे शारीरिक और मानसिक रूप से अधिक स्वस्थ रहते हैं. पूरी नींद लें. नींद की कमी मानसिक विकारों के प्रमुख कारणों में से एक है.

खुद को स्वीकार करें

आप जैसे हैं, वैसे ही खुद को स्वीकारें. किसी की नकल या किसी के जैसा बनने का प्रयास न करें. खुद से प्रेम करें और बेहतर कररने की कोशिश करते रहें. अपने निर्णय सोच-समझकर लें, दूसरों को खुश करने की कोशिश न करें.

आत्मविश्वास बनाये रखें

जिंदगी सुख-दुख का मिश्रण है. कोई ऐसा इंसान नहीं है, जिसके जीवन में कभी दुख नहीं आया हो. विपरीत परिस्थितियों में आत्मविश्वास बनाये रखना बहुत जरूरी है, समय हमेशा एक-सा नहीं रहता, बदलता है. धोखा, असफलता, आर्थिक समस्याएं, रिश्तों का टूटना इतनी बड़ी बातें नहीं हैं कि जिंदगी से ही मुंह मोड़ लें.

देखने का नजरिया बदलें

संसार में चीजें वही रहती हैं. आपको उन्हें देखने का नजरिया बदलने की जरूरत है. दरअसल, यही नजरिया आपके जीवन की गुणवत्ता को निर्धारित करता है.

भावनाओं पर संतुलन रखें

भावनाएं ही आपके मनुष्य होने की निशानी हैं, लेकिन इनका संतुलित होना जरूरी है. असंतुलित भावनाएं जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित करती हैं. अपना ध्यान समस्या की जगह समाधान पर केंद्रित करें.

सकारात्मक सोच विकसित करें

ऐसी किताबें पढ़ें, जो आपको प्रेरित करे और आपका उत्साह बढ़ाये. अपने मस्तिष्क को नियमित रूप से सकारात्मक और प्रेरणादायक सामाग्रियों की खुराक दें. जितना आप सकारात्मक माहौल में समय बितायेंगे उतना ही आपके मानसिक स्वास्थ्य के लिए बेहतर रहेगा.

मानसिक स्वास्थ्य की देखभाल

अपने मानसिक स्वास्थ्य के बारे में जागरूक रहें. मानसिक विकार जैसे अवसाद, एंग्जाइटी आदि आत्महत्या की ओर ले जा सकते हैं. अगर आप मानसिक रूप से अस्वस्थ महसूस करें, तो डॉक्टर से राय लेने में शर्म महसूस न करें.

इन आपातकालीन सेवाओं की ले सकते हैं मदद

अगर किसी को मन में आत्महत्या का विचार आये तो उस व्यक्ति के लिए कई बार तुरंत मनोचिकित्सक के पास जाना संभव नहीं होता है. कई लोग अपनी पहचान भी जाहिर नहीं करना चाहते. ऐसे में हेल्पलाइन से संपर्क किया जा सकता है. अगर आप या आपके परिवार का कोई सदस्य डिप्रेस है कि वह अपना जीवन खत्म करना चाहता है, तो सहायता के लिए यहां संपर्क कर सकते हैं.

  • आसरा : +91 9820466726 (24×7)

  • कूज : +91 9822562522 (दोपहर 1 से शाम 7 तक बात की जा सकती है)

  • आइ-कॉल : +91 9152987821 (सोमवार से शनिवार तक सुबह 10 से रात 8 तक यहां बात की जा सकती है )

  • फोर्टिस : +91 8376804102 (यहां सुबह के 9 बजे से शाम 5 तक बात हो सकती है)

  • किरण : 1800-599-0019 (यहां किसी भी समय बात हो सकती है)

  • निमहंस : 080-46110007

  • स्नेहा : 044-24640050 (यहां सुबह 10 से रात 10 तक बात हो सकती है)

  • इन हेल्पलाइन्स पर हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में बात करने की सुविधा उपलब्ध है. यहां सहायता मांगने वालों के सवालों का जवाब पेशेवर प्रशिक्षित वांलिटियर्स द्वारा दिया जाता है. इस बातचीत को गुप्त रखा जाता है. न तो कॉलर की पहचान सार्वजनिक की जाती है, न बातचीत रिकॉर्ड की जाती है.

Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.

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