दुनिया की करीब छह सौ करोड़ की आबादी में से लगभग सौ करोड़ लोग धूम्रपान करते हैं. वे हर साल लगभग छह हजार करोड़ सिगरेट पी जाते हैं. सिगरेट-बीड़ी आदि के कारण होनेवाली बीमारियों से संसार में प्रतिदिन दस हजार लोग मर जाते हैं. हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, श्वास के रोग, कई तरह के कैंसर आदि रोग धूम्रपान से होते हैं . छोटी-छोटी बीमारियों का तो कोई हिसाब ही नहीं है. यह सब इसी तरह चलता रहा तो सन् 2026 तक एक वर्ष में धूम्रपान के कारण करीब दो करोड़ लोग मौत के आगोश में जा चुके होंगे.
इतने लोग देश में करते हैं धूम्रपान
हर साल धनी देशों में धूम्रपान करनेवाले सत्तर लाख लोग मौत के मुंह में चले जाते हैं. इन लोगों में बच्चे, जवान, बूढ़े और औरतें भी शामिल हैं. भारत में करीब डेढ़ करोड़ पुरुष और लगभग चालीस लाख औरतें धूम्रपान करती हैं. हमारे देश में हर वर्ष छह लाख पैंतीस हजार लोग धूम्रपान से होनेवाली बीमारियों से मर जाते हैं.दुनिया में भारतवर्ष दूसरा देश है, जहाँ विश्व में तंबाकू की खपत सर्वाधिक है. यहां लगभग 29 प्रतिशत लोग तंबाकू का सेवन करते हैं, जिसमें से 10.7 प्रतिशत धूत्रपान के रूप में तथा 22 प्रतिशत खैनी, तंबाकू, गुटखा आदि के रूप में उपयोग में लाए जाते हैं. मुख के कैंसर के रोगियों की संख्या भारत में सर्वाधिक है.
धूम्रपान की लत का कारण निकोटीन ही है. जैसे ही सिगरेट का कश खींचा जाता है, निकोटीन फेफड़े में शीघ्र ही रक्त-वाहिनियों के साथ 10-15 सेकेंड में मस्तिष्क में पहुँच जाता है, जैसे ही निकोटीन मस्तिष्क में पहुँचता है, वैसे ही यह धूम्रपान करने वाले को तीत्र रासायनिक प्रतिक्रिया द्वारा आनंद की अनुभूति प्रदान करता है, उसे तनाव कम महसूस होता है, आराम की मुद्रा में चला जाता है, एकाग्रता बढ़ जाती है, स्फूर्ति का अनुभव होता है, मनोदशा में उमंग का संचार होता है. निकोटीन रसायन के अत्तिरिक्त अन्य रासायनिक, एक्रोलिन, फ्रामेडिहाइड, एक्रॉलो नाइट्रामल, 1-3 ब्यूटाडीन, एसीटैल्डिहाइड, ऐँंथायडीन ऑक्साइड, आइसाप्रीन, ये सभी रासायनिक विषैले पदार्थ हैं, जो कैंसर के प्रमुख कारण हैं.
राष्ट्रीय क्षति
धूम्रपान से हर साल दुनिया में अरबों रुपए का नुकसान होता है. बहुत महंगा जहर है. इससे नुकसान-ही-नुकसान है, फायदा एक भी नहीं . बीमार होने पर ज्यादातर लोगों का इलाज सरकारी अस्पतालों में होता है. टैक्स के रूप में वसूल की गई जनता के गाढ़े पसीने की कमाई उन लोगों के इलाज पर खर्च होती है, जो धूम्रपान से बीमारियों को न्योता देकर अस्पताल में पहुंचते हैं. बीमारी का प्रभाव राष्ट्र की उत्पादकता पर भी पड़ता है. व्यक्ति बीमार होगा तो काम नहीं कर पाएगा. इसके अलावा धूम्रपान से आएदिन कई दुर्घटनाएँ भी होती हैं. सिगरेट या बीड़ी के टुकड़े से आग लग जाती है और करोड़ों रुपए का नुकसान हो जाता है. वाहन चलाते हुए धूम्रपान करने से भी दुर्घटनाएं हो जाती हैं.
लोगों के पास धूम्रपान करने के अनेक बहाने हैं. कोई तनाव दूर करने के लिए पीता है तो कोई खुशी में. अपना प्रभाव जमाने के लिए भी लोग सिगरेट-बीड़ी पीते हैं. ऐसे लोगों की भी कमी नहीं, जिनका कहना है कि हम अपना वजन घटाने के लिए धूम्रपान करते हैं, यानी वे जानते हैं कि तंबाकू भूख का दुश्मन है. धूम्रपान करनेवाले की नजर जल्दी कमजोर होने लगती है. ऑक्सीजन कम मिलने से चेहरे का रंग पीला पड़ने लगता है. होंठों और दाँतों पर भी पीलापन आ जाता है. धूम्रपान करने से शरीर में कई तरह के विटामिन, खासकर विटामिन-सी, कम हो जाते हैं. इस विटामिन का एक गुण है बीमारियों से लड़ना. विटामिन-सी की कमी से शरीर की प्रतिरोधक शक्ति कम हो जाती है. परिणाम यह होता है कि जुकाम, खाँसी आदि बीमारियों से भी वह लड़ नहीं सकता. धूम्रपान करने से सिर के बाल उड़ जाते हैं, त्वचा खुश्क होती चली जाती है और झुर्रियाँ पड़ने लगती हैं. धूम्रपान से आँतों व पेट की बीमारियाँ पैदा होती हैं. सिगरेट तथा बीड़ी पीनेवाले लोग आमतौर पर बदहजमी के शिकार होते हैं.
धूम्रपान करनेवाले की नजर जल्दी कमजोर होने लगती है. ऑक्सीजन कम मिलने से चेहरे का रंग पीला पड़ने लगता है. होंठों और दाँतों पर भी पीलापन आ जाता है. धूम्रपान करने से शरीर में कई तरह के विटामिन, खासकर विटामिन-सी, कम हो जाते हैं. इस विटामिन का एक गुण है बीमारियों से लड़ना. विटामिन-सी की कमी से शरीर की प्रतिरोधक शक्ति कम हो जाती है. परिणाम यह होता है कि जुकाम, खाँसी आदि बीमारियों से भी वह लड़ नहीं सकता. धूम्रपान करने से सिर के बाल उड़ जाते हैं, त्वचा खुश्क होती चली जाती है और झुर्रियाँ पड़ने लगती हैं. धूम्रपान से आँतों व पेट की बीमारियाँ पैदा होती हैं. सिगरेट तथा बीड़ी पीनेवाले लोग आमतौर पर बदहजमी के शिकार होते हैं.
धूम्रपान से फैलता है प्रदूषण
धूम्रपान करनेवाले लोग प्रदूषण फैलाते हैं. अब यह सिद्ध हो चुका है कि जितना नुकसान सिगरेट-बीड़ी पीनेवाले को होता है, उससे कहीं अधिक नुकसान आस-पास के उन लोगों को होता है, जिनकी साँस में उसका धुआँ जाता है. जो महिलाएँ धूम्रपान करती हैं, उनमें 60 प्रतिशत को गर्भपात हो जाता है या गर्भाशय में बच्चे के मरने की आशंका बनी रहती है. इन बच्चों में जन्मजात विकार, Heats, दमा आदि श्वास के रोग अधिक देखे गए हैं. इन बच्चों की लंबाई भी जन्म के समय कम होती है. अनुमान है कि एक सिगरेट-बीड़ी पीने से व्यक्ति की आयु पंद्रह मिनट कम हो जाती है. इस प्रकार एक दिन में दस सिगरेट पीने से उसकी आयु ढाई घंटे कम हो जाती है.
धूम्रपान और फेफड़े
धूम्रपान की समस्या हमारे देश में ही नहीं, वरन् अमेरिका में विशेष रूप से बहुत गंभीर है. ऐसा अनुमान है कि अमेरिकावासी एक वर्ष में लगभग पाँच खरब सिगरेट देते हैं. अमेरिका में स्कूल जानेवाले प्रत्येक चार छात्रों में से एक तथा आठ छात्राओं में एक सिगरेट पीते हैं. 70 प्रतिशत अमेरिकी पुरुष तथा 30 प्रतिशत महिलाएँ धूम्रपान करती हैं. विभिन्न प्रयोगशालाओं में किए गए परीक्षणों से यह निर्विवाद सिद्ध हो चुका है कि धूम्रपान फेफड़े के कैंसर का मुख्य कारण है. सन् 1900 में इस रोग से मरनेवालों की संख्या नगण्य थी, वहाँ सन् 1930 से 90 प्रतिशत तक से अधिक लोग इस रोग से मौत के शिकार हो जाते हैं . अनुमान है कि प्रत्येक वर्ष अमेरिका में फेफड़े के कैंसर की वजह से लगभग चालीस हजार लोग मौत के शिकार हो जाते हैं.
बढ़ जाती है कैंसर कि संभावना
सिगरेट जितने अधिक लंबे समय तक पी जाएंगी उतना ही अधिक फेफड़े के कैंसर की संभावना बनी रहेगी. ऐसा अनुमान है कि बीस वर्ष तक यदि बीस सिगरेट रोज फूँक दी जाएँ तो कैंसर (फेफड़े) की संभावना 90 प्रतिशत तक हो सकती है. यदि बीच में ही धूम्रपान त्याग दिया जाए तो जान को खतरा कम हो जाता है. सिगार पीनेवालों को धूम्रपान न करनेवाले लोगों की अपेक्षा कई गुना अधिक खतरा रहता है. अमेरिका में सन् 1964 में “अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन ‘ की वार्षिक बैठक में धूम्रपान विशेषकर सिगरेट पीने तथा फेफड़े के कैंसर पर व्यापक चर्चा हुई थी. सभी सदस्यों ने यह मत व्यक्त किया था कि धूम्रपान स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा है. उसी के फलस्वरूप वहाँ पर सिगरेट की डिब्बियों पर लिखा जाने लगा कि “जीवन-विष’ धूम्रपान फेफड़े के कैंसर को निमंत्रण देता है, लेकिन फिर भी वहां के लोग प्रतिवर्ष करोड़ों की संख्या में सिगरेट डालते हैं–चाहे फेफड़े फुँक-फुँककर राख ही क्यों न हो जाएं.
इन गैसों से होता है नुकसान
सिगरेट पीते समय विभिन्न गैसें, अन्य पदार्थ निकोटिन तथा कार्बन मोनोऑक्साइड जैसी विषैली गैसें शरीर में प्रवेश करती हैं. ये रक्त में हीमोग्लोबिन से जुड़ जाती हैं तथा हीमोग्लोबिन फिर ऑक्सीजन रक्त में नहीं ले जा पाता. अतः शरीर के विभिन्न अंगों को आवश्यक ऑक्सीजन नहीं मिल पाती . जैसे आप सिगरेट के कश लेते हैं, ये दूषित एवं विषैले पदार्थ आपकी श्वास प्रणाली एवं फेफड़ों में स्थित सूक्ष्म श्वास नलिकाओं में एकत्र हो जाते हैं. इसी प्रकार श्वास नलिका तथा श्वास प्रणाली की झिल्लियाँ भी सख्त व कठोर हो जाती हैं. रोम भी नष्ट हो जाते हैं, जिससे विषैले एवं दूषित रासायनिक पदार्थों को हटाना एवं नष्ट करना और भी मुश्किल हो जाता है. यदि धूम्रपान निरंतर जारी रहे तो श्वास नली का मार्ग सँकरा हो जाता है, जिससे वायु की उचित मात्रा शरीर को नहीं मिल पाती. वायुकोश में भी ये दूषित पदार्थ एकत्र हो जाते हैं, जिससे वे अंत में नष्ट हो जाते हैं. इस प्रकार दीर्घजीवी ब्रोंकाइटिस, फेफड़ों का कैंसर आदि रोग जन्म लेते हैं. इतना ही नहीं, AA का कैंसर, मूत्राशय का कैंसर तथा मुखगुहा आदि का कैंसर भी धूम्रपान से होता है. चिंता का विषय तो यह है कि शिक्षित वर्ग, जो कि धूम्रपान के हानिकारक प्रभाव को सोच और समझ सकता है, भी इससे ग्रस्त है. यदि सभ्य समाज एवं शिक्षित वर्ग इसको समझे-सोचे तो वह दिन दूर नहीं जब धूम्रपान, जो कि स्वस्थ, सुखी जीवन के लिए एक अभिशाप है, सदा के लिए हम उससे मुक्ति पा लें.
छोड़ दीजिए धूम्रपान
इसलिए अगर आप धूम्रपान के आदी हैं तो इसे छोड़ने की कोशिश goa से कीजिए. इस आदत को छोड़ना मुश्किल नहीं है. केवल Ge से संकल्प कीजिए और अपने मित्रों तथा रिश्तेदारों को बता दीजिए कि आपने धूम्रपान करना छोड़ दिया है. प्रतिदिन प्रात: हलका-फुलका व्यायाम कीजिए. खुली हवा में लंबी-लंबी साँस लीजिए. दो-चार किलोमीटर जरा तेज कदमों से चलिए. मौसमी सब्जियाँ और फल, दही, दूध आदि भोजन में शामिल कीजिए. खूब पानी पिएँ, जब भी प्यास लगे तो आलस न करें. तनाव से दूर रहें | तनाव दूर करने का इलाज सिगरेट नहीं है. ऐश-ट्रे उठाकर आज ही फेंक दीजिए.
डॉ. अनिल चतुर्वेदी,
चेयरमैन प्रोवेंटिव एवं जीवन-शैली रोग
गोयल हॉस्पिटल एवं यूरोलॉजी सेंटर, दिल्ली
Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.