कोविड-19 की वजह से दुनिया भर में हाहाकार मचा हुआ है. फिलहाल, इसका कोई ईलाज नहीं होने के कारण वैश्विक स्तर पर इस वायरस ने लाखों लोगों की जान ले ली है. हाल फिलहाल में इस बीमारी की दवा या वैक्सीन का मिलना मुश्किल लग रहा हैण् ऐसे में इससे बचने का सबसे अच्छा विकल्प यह है कि हम अपने को स्वस्थ रखें. लोगों को स्वस्थ रखने में योग की महत्वपूर्ण भूमिका है. नियमित रूप से योग करके हम कोरोना को हरा सकते हैं की पुष्टि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और योग गुरु बाबा रामदेव भी कर रहे हैं. पढ़े सतीश सिंह का लेख
योग की सार्थकता को बढ़ाने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, योग गुरु बाबा रामदेव और श्री श्री रविशंकर की अहम् भूमिका रही है. प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की पहल से ही अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाने लगा है. हर साल 21 जून को यह दिवस मनाया जाता है. 21 जून साल का सबसे लंबा दिन होता हैऔर योग भी लंबी आयु के लिये जरूरी है. योग और 21 जून के बीच यह समानता अद्भूत है. सबसे पहले इस दिवस को वर्ष 2015 में मनाया गया था. भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 27 सितम्बर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करते हुए योग दिवस मनाने की वकालत की थी. कालांतर में 11 दिसम्बर 2014 को संयुक्त राष्ट्र में 193 सदस्यों ने 21 जून को श्अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी.
भले ही अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का आगाज 21 जून 2015 को किया गयाए लेकिन भारत में इसका इतिहास 10,000सालों से भी अधिक पुराना है। योग का जिक्र ऋग्वेद में भीकिया गया है. सिंधु घाटी सभ्यता के समय के पशुपति की मुहर ;सिक्काद्ध में भी योग की मुद्रा में आकृतियाँ विराजमान पाई गई हैं. उपनिषद में भी योग से मिलते. जुलते शारारिक आसनों या अभ्यासों का उल्लेख मिलता है. योग के मौजूदा स्वरूप का वर्णन कठोपनिषद में किया गया है. भगवद गीता के साथ.साथ महाभारत के शांतिपर्व में भी योग के विवरण मिलते हैं.
महर्षि पंतजलि को योग का पिता माना गया है. महर्षि पतंजली योगदर्शन को सार्वभौम एवं भारतीय संस्कृति का मूलमंत्र मानते थे. उनके द्वारा लिखे योग सूत्र को योग का सार माना गया है. इन सूत्रों में योग की उत्पत्ति एवं उद्देश्य अंतर्निहित हैं. योग को 3 भागों पहला ज्ञान योग या दर्शनशास्त्र, दूसरा भक्ति योग या भक्ति आनंद का पथ और तीसरा कर्म योग या सुखमय कर्म पथ में बांटा गया है. संस्कृत धातु युज से योग शब्द की उत्पत्ति हुई हैए जिसका अर्थ है आत्मा का परमात्मा में मिलन”.
वैसे आमजन के लिये यह शारीरिक व्यायाम का ही पर्याय हैए जबकि वास्तविकता में यह व्यायाम के साथ-साथ भावनात्मक व आध्यात्मिक समेकन का भी प्रतीक है.
योग एक प्राचीन भारतीय जीवन-पद्धति है, जिसकी मदद से शरीर, मन और आत्मा को एक साथ लाने का काम किया जाता है. शरीर, मन और मस्तिष्क को पूर्ण रूप से स्वस्थ रखने में भी यह सहायक है. योग के माध्यम से न सिर्फ बीमारियों का दूर किया जा सकता हैए बल्कि शारीरिक एवं मानसिक तकलीफों का भी ईलाज किया जा सकता है। योग शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाकर जीवन में नव-ऊर्जा का संचार करता है. यह विचारों पर संयम रखने का भी साधन है।साथ हीएयोग की आसन और मुद्राएं तन एवं मन दोनों को क्रियाशील बनाये रखती हैं.
बिहार के मुंगेर जिले में अवस्थित वृहद पुस्तकालय से सुसज्जित बिहार योग विश्वविद्यालय अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्यात है. इस विश्वविद्यालय की स्थापना वर्ष 1964 में स्वामी सत्यानंद सरस्वती ने की थी, जिसका मकसद इस प्राचीन विद्या का प्रचार-प्रसार पूरे विश्व में करना था. यह योग प्रशिक्षण प्रदान करने वाला एकमात्र योग विश्वविद्यालय है, जिससे 200 से अधिक अंतर्राष्ट्रीय एवं सैकड़ों राष्ट्रीय योग एवं आध्यात्मिक केन्द्र जुड़े हुए हैं. इस विश्वविद्यालय को मानद विश्वविद्यालय का दर्जा दिया गया है. मौजूदा समय में यह विश्वविद्यालय गुरुकुल शैली में योग पाठ्यक्रम संचालित करता है. योग दर्शन, योग मनोविज्ञान, व्यवहारिक योग एवं पर्यावरण योग विज्ञान पर आधारित एक व दो वर्षों के पाठ्यक्रम बेहद ही लोकप्रिय हैं. यहाँ विश्व के कोने.कोने से विद्यार्थी अध्ययन करने के लिए आते हैं और अपने देश लौटकर वे योग केंद्र का संचालन करते हैं.
जब से अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाने लगा हैए तब से इसकी लोकप्रियता में तेजी से इजाफा हो रहा है. इसका एक महत्वपूर्णकारण इससे होने वाले फायदे हैं. आज की तारीख में इंसान स्वार्थए क्रोध, ईर्ष्या, घृणा आदि मानवीय विकारों से ग्रस्त है, लेकिन इनपर योग की मदद से काबू पाया जा सकता है और लोग योग के जरिये ऐसा करने में सफल भी हो रहे हैं। जीवन में नियमित आसन और प्राणायाम शरीर एवं मन को निरोगी बनाता है. सच कहा जाये तो योग नियमों के पालन से हमारा जीवन अनुशासित हो जाता है. आज योग से बच्चे, जवान और बूढ़े सभी लाभान्वित हो रहे हैं. कुछ लोग तो इसके आध्यात्मिक पक्ष को अपने जीवन में उतार कर सम्पूर्ण जीवन का आनंद ले रहे हैं.
कोरोना वायरस ने योग की महत्ता और भी बढ़ा दी हैए क्योंकि अभी तक इस बीमारी का कोई इलाज नहीं ढूंढा जा सका है और न ही हम इसका वैक्सीन ढूंढने में कामयाब हुए हैं. भारत के अस्तपतालों में अभी भी बुनियादी सुविधाओं का अभाव है.
देश में पर्याप्त संख्या में डॉक्टर और नर्सेज नहीं हैं और न ही वेंटिलेटर है. दूसरे स्वास्थ्य कर्मियों की भी देश में भारी कमी हैण् ऐसे में हमारे सामने केवल एक ही विकल्प बचता है कि हम अपने को स्वस्थ रखें और इस दिशा में योग महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है.
मौजूदा भागम-भाग वाले जीवन में योग करना स्वस्थ रहने के लिए आवश्यक है. नियमित रूप से योग करके आसानी से कोरोना वायरस को उसकी औकात बताई जा सकती है. इस आलोक में कपाल भारती और अनुलोम-विलोम प्राणायामकरने से सीधे तौर पर फायदा मिल सकता हैण् साँस को नियंत्रित करने वाले दूसरे योग आसनों से भी कोरोना वायरस से बचने में मदद मिल सकती है. देखा जाये तो स्वस्थ रहने के लिये योग से बेहतर कोई दूसरा विकल्प नहीं हैण् इसके बहुआयामी फायदे हैं, लेकिन इसके लिये नियमित रूप से योग करने की जरुरत हैण् आज जिस तरह से लोग इससे लाभान्वित हो रहे हैं से लगता है कि जल्द ही इसका परचम पूरी दुनिया में लहरायेगा.
Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.