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पूर्व सीएम रघुवर दास का विपक्षी दलों पर निशाना, कहा- किसानों के बारे में सोचें, ना करें दिखावे की राजनीति

Jharkhand news, Jamshedpur news : झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री सह बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवर दास ने किसानों के आंदोलन में विपक्षी पार्टियों के समर्थन को ढकोसला करार दिया है. उन्होंने कहा कि इन विपक्षी पार्टियों का पाखंड कदम दर कदम छलक रहा है. वहीं, झारखंड के मंत्री रामेश्वर उरांव व बादल पत्रलेख पर भी निशाना साधा है. श्री दास ने कहा श्री उरांव झारखंड के किसानों से नमी वाले धान नहीं खरीदने की बात कहे हैं, वहीं केंद्र सरकार को नसीहत दे रहे हैं.

Jharkhand news, Jamshedpur news : जमशेदपुर (पूर्वी सिंहभूम) : झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री सह बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवर दास ने किसानों के आंदोलन में विपक्षी पार्टियों के समर्थन को ढकोसला करार दिया है. उन्होंने कहा कि इन विपक्षी पार्टियों का पाखंड कदम दर कदम छलक रहा है. वहीं, झारखंड के मंत्री रामेश्वर उरांव व बादल पत्रलेख पर भी निशाना साधा है. श्री दास ने कहा श्री उरांव झारखंड के किसानों से नमी वाले धान नहीं खरीदने की बात कहे हैं, वहीं केंद्र सरकार को नसीहत दे रहे हैं.

पूर्व मुख्यमंत्री श्री दास ने झारखंड के कृषि मंत्री बादल पत्रलेख पर भी निशाना साधते हुए कहा कि किसानों के हित में सड़क पर उतरने की बात श्री पत्रलेख कहते हैं, लेकिन सरकार में आते ही किसानों के लिए चल रही मुख्यमंत्री कृषि आशीर्वाद योजना बंद कर दी. इसमें किसानों को प्रति वर्ष 25 हजार रुपये तक की आर्थिक सहायता मिल रही थी. इसके साथ ही कृषि बीमा योजना का प्रीमियम, जो राज्य सरकार भर्ती थी, उसे भी देना उन्होंने बंद कर दिया.

इधर, किसानों को अपनी उपज बेचने के लिए भटकना पड़ रहा है. सरकार उनकी उपज नहीं खरीद रही है. इसके बावजूद झामुमो- कांग्रेस किसानों का हितैषी बनने का स्वांग रच रहे हैं. उन्होंने राहुल गांधी पर भी निशाना साधते हुए कहा कि इनके कारण ही कांग्रेस का जनाधार वेंटिलेटर पर है, लेकिन उनका अहंकार एक्सीलेटर पर है. उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा था कि कृषि उपज की खरीद का काम निजी हाथों में भी सौंपा जाना चाहिए, लेकिन जब मोदी सरकार ने यह काम कर दिया तो ट्वीट कर रहे हैं कि बहुत गलत हुआ.

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श्री दास ने मराठा क्षत्रप और पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद पवार पर प्रहार करते हुए कहा कि उन्होंने वर्ष 2010 में सभी मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर मंडियों की समाप्ति की वकालत की थी. लेकिन, आज केंद्र सरकार के कृषि कानून का विरोध कर रहे हैं.

खास बात यह भी है कि बिहार में वर्ष 2006 में ही नीतीश कुमार ने मंडियां खत्म कर दी थीं, लेकिन वर्ष 2017 में राजद और कांग्रेस ने जदयू के साथ सरकार बनाने के बाद मंडियों की बहाली के लिए एक शब्द नहीं कहा, जबकि उस समय कृषि विभाग कांग्रेस के ही पास था. ऐसे ढेरों उदाहरण हैं जो विपक्ष के पाखंड को उजागर कर देगा. उन्होंने कहा कि क्या ऐसा अविश्वसनीय विपक्ष कभी लोकतंत्र और देश के हित में सोच सकता है या कुछ कर सकता है.

Posted By : Samir Ranjan.

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