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Indian Railways News: 70 यात्री ट्रेनें रद्द, लेकिन पटरियों पर दौड़ रहीं गुड्स ट्रेनें, यात्री परेशान

यात्री ट्रेनों के रद्द होने से करीब 150 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ है. राजस्व की कमी मालगाड़ी के परिचालन से पूरी हो रही है, लेकिन ट्रेनों के रद्द होने से यात्रियों की जेब पर असर पड़ रहा है. यात्री बस या फिर फ्लाइट का सहारा लेने को मजबूर हैं.

जमशेदपुर: ट्रेनों की गति को बढ़ाने के लिए तीसरी और चौथी लाइन को जोड़ने का काम किया जा रहा है. इसके कारण दक्षिण पूर्व रेलवे ने त्योहारी सीजन के बीच करीब 70 ट्रेनों को रद्द कर दिया है. इससे हर दिन 19 हजार से अधिक यात्री परेशान हैं. उन यात्रियों के लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की गयी है. वहीं दक्षिण पूर्व रेलवे की रूट पर मालगाड़ियां बिना बाधा के दौड़ रही हैं. इसके लिए वैकल्पिक इंतजाम किये गये हैं. करीब 250 गाड़ियों के पासिंग का रास्ता रेलवे ने निकाल लिया है. 120 मालगाड़ियों को चक्रधरपुर डिवीजन के अंतर्गत रोजाना रवाना किया जाता है. वहीं करीब 250 से 300 मालगाड़ियों की आवाजाही दक्षिण पूर्व रेलवे से होती है. मालगाड़ी को रोके बिना इनके रूट को डायवर्ट कराया जा रहा है. बड़बिल, जरुली, संबलपुर, भुवनेश्वर होते हुए सभी माल की ढुलाई हो रही है. आयरन ओर, कॉपर, यूरेनियम, कोयला समेत तमाम खनिज की ढुलाई यहां से हो रही है. दक्षिण पूर्व रेलवे के चक्रधरपुर डिवीजन में सालाना करीब 14 हजार करोड़ रुपये की कमायी होती है.

70 ट्रेनों के रद्द होने से 150 करोड़ का रेलवे को नुकसान

यात्री ट्रेनों के रद्द होने से करीब 150 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ है. राजस्व की कमी मालगाड़ी के परिचालन से पूरी हो रही है, लेकिन ट्रेनों के रद्द होने से यात्रियों की जेब पर असर पड़ रहा है. यात्री, बस या फिर फ्लाइट का सहारा लेने को मजबूर हैं.

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टाटानगर से रोजाना करीब 54 ट्रेनें गुजरती हैं

टाटानगर रेलवे स्टेशन से रोजाना 54 ट्रेनें गुजरती हैं, जिनमें 19 हजार यात्री यात्रा करते हैं. इनमें 12 हजार यात्री अनरिजर्व जबकि 7000 रिजर्वेशन वाले होते हैं. रोजाना की आमदनी करीब 22 से 25 लाख रुपये के करीब है. एक माह में सिर्फ टाटानगर रेलवे स्टेशन से सात करोड़ रुपये की कमाई यात्री टिकटों से होती है. टाटानगर रेलवे स्टेशन से करीब 500 करोड़ रुपये सालाना की कमाई होती है और इसको 500 करोड़ रुपये के क्लब वाली श्रेणी में ही रखा गया है. रेलवे के अफसरों के अलावा केवल 20 फीसदी लोग काउंटर टिकट लेते हैं. बाकी ऑनलाइन टिकट बुक करवाते हैं.

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