सात जंगली हाथियों की मौत मामले की जांच करने रविवार को वन्य जीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो की टीम चाकुलिया और मुसाबनी पहुंची. टीम में वन्य जीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो के अपर निदेशक एचवी गिरीशा, वन्य जीव सीएफ पीआर नायडू, वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया देहरादून से एलीफेंट साइंटिस्ट डॉ एन लक्ष्मी नारायण शामिल थे. टीम के अधिकारियों ने हाथियों को करंट लगने वाले स्थान कमारीगोड़ा तथा मौत स्थल पुरनापानी व माचाडीहा का दौरा किया. किस परिस्थिति में हाथियों को करंट लगा तथा मौत से पहले तक हाथियों के क्रियाकलापों से अवगत हुए. मौके पर उपस्थित डीएफओ ममता प्रियदर्शनी तथा रेंजर दिग्विजय सिंह से प्रत्येक बिंदु पर जानकारी ली. यहां से टीम के सदस्य मुसाबनी के उपरबांधा गये. यहां 20 नवंबर की रात में हाइटेंशन तार की चपेट में आकर पांच हाथियों की मौत मामले की भी जांच की. जांच टीम में इंटेलिजेंस के भी पदाधिकारी भी शामिल थे. जानकारी मिली कि अगले चार-पांच दिनों तक घटना के प्रत्येक बिंदु पर जांच की जायेगी. इसके बाद ही आवश्यक कार्रवाई होगी.
मौत के कारणों का पता लगाने में जुटी टीम
अपर निदेशक एचवी गिरीशा ने बताया कि एक माह में चाकुलिया और मुसाबनी में करंट से सात हाथियों की मौत के कारणों की जांच करने में टीम जुटी है. दरअसल 1 नवंबर एवं 2 नवंबर को चाकुलिया में दो हाथियों की करंट लगने से मौत हुई थी. दूसरी और मुसाबनी के उपरबांधा में 20 नवंबर की रात में 33 हजार वोल्ट तार की चपेट में आने से पांच हाथियों की मौत हो गयी थी. इस घटना के बाद से वन विभाग की नींद उड़ गयी है. अब तक बिजली और वन विभाग एक दूसरे पर दोष मढ़ने में लगे हैं. किसी विभाग पर मामला तक दर्ज नहीं हुआ है. अब इस मामले की उच्च स्तरीय जांच शुरू कर दी गयी है.
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