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जमशेदपुर : लक्ष्मी-गणेश मूर्तियों से सज गया बाजार, 100 से लेकर 10,000 तक में मिल रही मूर्तियां

दीपावली सिर्फ बाहरी अंधकार को ही नहीं बल्कि मन के अंधकार को भी मिटाने का संदेश देती है. बाहरी अंधकार को मिटाने के लिए घरों में दीये जलाये जाते हैं और मन के अंधकार को मिटाने के लिए पूजा-पाठ करते हैं.

लाइफ रिपोर्टर@जमशेदपुर : दीपावली सिर्फ बाहरी अंधकार को ही नहीं बल्कि मन के अंधकार को भी मिटाने का संदेश देती है. बाहरी अंधकार को मिटाने के लिए घरों में दीये जलाये जाते हैं और मन के अंधकार को मिटाने के लिए पूजा-पाठ करते हैं. दीपावली की शाम श्री गणेश और माता लक्ष्मी की पूजा का विधान है. हर साल लोग विधि-विधान से लक्ष्मी-गणेश की नयी मूर्तियों को खरीदते हैं. दीपावली में दो दिन रह गये हैं ऐसे में शहर के बाजार में मिट्टी से लेकर धातुओं की बनी मूर्तियाें की दुकानें सज गयी हैं. मूर्तियों के थोक व्यापारी और खुदरा दुकानदारों का कहना है इस बार बेहतर कारोबार की उम्मीद है. इस साल लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियों का बाजार लगभग डेढ़ करोड़ के आस होने का अनुमान है. मूर्तियों के कारोबारियों ने इस बार एक से बढ़कर एक मूर्तियों को मंगवाया है, जो ग्राहकों को काफी आकर्षित कर रहे हैं.

एक से बढ़कर एक मूर्तियां, लोगों को कर रही आकर्षित

बाजार में हर साइज और कीमत में लक्ष्मी-गणेश की प्रतिमा मिल रही हैं. यानी इस साल सभी के घरों में माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की कृपा बरसने वाली है. बस देर है तो मूर्तियां खरीद कर घर लाने की और विधि-विधान से पूजा कर भगवान को प्रसन्न करने की. इस साल बाजार में 100 से लेकर 10,000 रुपये तक की कीमत वाली मूर्तियां भी मिल रही हैं. इसमें मिट्टी, ब्रास, पित्तल, चांदी की मूर्तियां बाजार में हैं. मिट्टी की मूर्तियों की कीमत साइज और सजावट के हिसाब से है. जबकि अन्य धातुओं की मूर्तियां वजन के आधार पर कीमत निर्धारित की गयी है.

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मथुरा, मुरादाबाद से मंगवायी मूर्तियां : रंजीत कुमार सरसरिया

हर साल मूर्ति खरीदने के झंझट से बचने के लिए लोग धातु की मूर्तियां खरीदना अधिक पसंद कर रहे हैं. कुछ लोग राशि के अनुसार भी अलग-अलग धातु की मूर्तियां लेते हैं. भले ही यह मूर्तियां, मिट्टी की मूर्तियों से महंगी हैं. लेकिन एक बार अधिक कीमत लगा कर खरीदारी करने के बाद साल भर लोग धातु को साफ कर पुन: उसकी पूजा करते हैं. ब्रास और पितल की मूर्तियां मथुरा और मुरादाबाद से मंगवाते हैं. 1200 रुपये केजी, 1400 रु केजी और 1800 रु केजी की दर से मूर्तियां मिल रही हैं. सबसे कम कीमत की मूर्ति की कीमत 300 रुपये है. सिंहासन के साथ लेने पर 400 रुपये है. 8 केजी की सबसे भारी और अधिक कीमत की लक्ष्मी -गणेश की मूर्ति है जिसकी कीमत दस हजार रुपये है. कुबेर की मूर्ति 300 से लेकर 500 रुपये तक की हैं.

करोड़ों का होगा कारोबार : राजू प्रजापति, कुम्हार, विक्रेता

मिट्टी के सजावट किया हुआ लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियां कोलकाता से आयी हैं. अनुमानित कहे तो हर कुम्हार, या विक्रेता डेढ़ से दो लाख की मूर्तियां मंगवाता है. शहर में मूर्ति बनने के काम न के बराबर होता है. क्योंकि कोलकाता की मूर्तियाें में फिनिसिंग बेहतर होती है. इसका सजावट भी आकर्षक होता है. कीमत थोड़ी ज्यादा है पर प्लास्टर ऑफ पेरिस से बनी मूर्तियां बेहतर हैं. पर ज्यादातर लोग मिट्टी की मूर्तियां खरीद रहे हैं.

मोती व सितारे जड़ित मूर्तियां भी मार्केट में

मिट्टी से बनीं माता लक्ष्मी और गणेश की मूर्तियों की कलाकृति और सजावट इस तरह से की गयी है कि मानो जीवंत हैं. साकची बसंत टॉकीज के कुम्हार बताते हैं कि उन्होंने कोलकाता से दो लाख की मूर्तियां मंगवायी है. सबसे अधिक कीमत की मूर्ति की कीमत 5 हजार है. इसमें माता लक्ष्मी का शृंगार और केश सज्जा आकर्षक है. बेहतरीन परिधानों के साथ सितारों और मोतियों से सजी है. यह मूर्तियां पोशाक पहने हुए हैं और ऊपर से लेकर नीचे तक पूरी मूर्ति सितारों व मोतियों से सजी हैं.

ज्वेलरी शॉप में चांदी की मूर्तियां और सिक्के

मशहूर ज्वेलरी ब्रांड छगनलाल के पीयूष आडेसरा बताते हैं कि धनतेरस पर लोग चांदी के लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियां खरीदते हैं, तो वहीं मां लक्ष्मी-गणेश अंकित सिक्कों की खरीदारी सबसे ज्यादा होती है.

स्वच्छता का संदेश देंगी प्रतिमाएं

मूर्तिकारों का कहना है कि इस बार सभी मूर्तियां मिट्टी की बनी हुईं हैं, मिट्टी की मूर्ति होने से अगर यह खंडित हो भी जाती हैं तो इन्हें नदी में प्रवाहित किया जा सकता है. मिट्टी की बनी होने के कारण यह नदी में घुल जायेगी और इससे नदी में प्रदूषण भी नहीं होगा.

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