झारखंड हाईकोर्ट ने जमशेदपुर अधिसूचित क्षेत्र समिति (जेएनएसी) क्षेत्र में नक्शा विचलन कर बने अवैध निर्माणों और अनियमितताओं पर जमशेदपुर अक्षेस से स्टेटस रिपोर्ट मांगी है. गुरुवार को झारखंड हाइकोर्ट में दायर जनहित याचिका 2078/2019 पर मुख्य न्यायाधीश संजय मिश्रा और न्यायाधीश आनंद सेन की बेंच में सुनवाई हुई.
कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए जमशेदपुर अक्षेस के अधिवक्ता को 12 सालों से सिर्फ नोटिस जारी करने और अवैध निर्माणों को नहीं तोड़ने पर फटकार लगायी और पूछा कि क्या अवैध निर्माण अब भी मौजूद हैं और पार्किंग क्षेत्र में व्यावसायिक प्रतिष्ठान चल रहे हैं? अक्षेस के अधिवक्ता के हां कहने पर अदालत ने अवैध निर्माणों और अनियमितताओं पर स्टेटस रिपोर्ट दायर करने को कहा. सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश ने जमशेदपुर अक्षेस के वकील को वर्ष 2011 से 2023 तक बने अवैध भवनों और बेसमेंट में चल रहे व्यावसायिक गतिविधियों की वर्तमान स्थिति संचिका दाखिल करने को कहा. याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता अखिलेश श्रीवास्तव और राजीव कुमार ने जिरह किया.
याचिकाकर्ता साकची निवासी राकेश कुमार ने अपनी याचिका में जमशेदपुर में नक्शा विचलन कर लगभग तीन सौ भवनों का निर्माण करने की सूचना दी थी. उसने अधिसूचित क्षेत्र समिति द्वारा बिल्डरों से सांठगांठ कर अवैध निर्माणों को नहीं तोड़ने की शिकायत की थी. हाइकोर्ट ने 2011 में इसे तोड़ने का आदेश जारी किया था. अपने रिट में यह भी आरोप लगाया है कि जमशेदपुर में बिल्डरों, टाटा और अधिसूचित क्षेत्र समिति के पदाधिकारियों की सांठगांठ से नक्शा विचलन कर सैकड़ों भवन बनाये गये हैं, जो नगर निकाय ( टाउन प्लानिंग ) के नियमों का उल्लंघन, अपार्टमेंट/फ्लैट के मालिकों और आम लोगों के बुनियादी और कानूनी अधिकारों का हनन होने के साथ ही पर्यावरण कानूनों का भी उल्लंघन है. जमशेदपुर में सैकड़ों अपार्टमेंट बने हैं. जिनमें से अधिकतर को जमशेदपुर अक्षेस ने पूर्णता प्रमाणपत्र नहीं दिया है.
साल 2011 में रांची हाइकोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस भगवती प्रसाद के आदेश पर शहरी नगर निकायों की ओर से नक्शा विचलन कर बनाये गये फ्लैट व व्यावसायिक भवनों से अतिक्रमण हटाने को लेकर सीलिंग की कार्रवाई की गई थी. जमशेदपुर अक्षेस ने साल 2011 में करीब 534 बेसमेंट को सील किया था. हालांकि बाद में बेसमेंट का पार्किंग के लिए उपयोग करने का शपथ पत्र देने के बाद सील खुले. धीरे-धीरे फिर स्थिति जस की तस हो गयी.
पूर्व में जेएनएसी ने याचिकाकर्ता पर आरोप लगाया था कि याचिकाकर्ता खुद अवैध निर्माण का लाभार्थी है, क्योंकि शताब्दी टावर नामक अवैध रूप से निर्मित भवन के बेसमेंट में इसका प्रतिष्ठान भी है. अधिवक्ता अखिलेश श्रीवास्तव ने अदालत को बताया कि उसके मुवक्किल पर गलत आरोप है और उसका फ्लैट उक्त अवैध भवन के तीन तल्ला पर है.
साकची का साना कॉम्प्लेक्स, सुरेश मेहता, नसरीन शहबनाम, प्राइमरी वेभस, साकची काशीडीह का देवज्योति विश्वास, मो असलम, सोनारी वेस्ट ले आउट स्थित श्रीदेवी ज्योति विश्वास, सुरेश रजक, विश्वजीत सेनगुप्ता व अन्य, न्यू दलमा कॉलोनी प्रबोध मंडल, बिष्टुपुर स्थित आशा पुरी, कदमा वैदेशी शरण गुप्ता, धातकीडीह के मो. आतिफ, आरटीएस बुधु, परवेज अशरफ, मो. खलील, सीतारामडेरा न्यू ले आउट का होल्डिंग नंबर 376, न्यू सीतारामडेरा का सीएच सुशीला व अन्य, सविंदर सिंह व अन्य, पोचााई शॉप एसपी सिन्हा (निर्माणकर्ता जय कुमार सिंह), कदमा रानी कुदर की सोफिया बानो, गोलमुरी मार्केट होल्डिंग नंबर 23 जमुना देवी व अन्य, भालूबासा के बजरंग अग्रवाल, टुइलाडुंगरी रामसकल यादव, शाना परवीन व जसबीर सिंह आदि.
Also Read: ऑनलाइन होल्डिंग टैक्स भुगतान करने पर मिलेगी 15 प्रतिशत की छूट, धनबाद नगर निगम ने जारी की अधिसूचना
साल 2011 में हाइकोर्ट के आदेश के आलोक में जमशेदपुर में करीब 46 अवैध भवनों की सीलिंग की प्रक्रिया की गयी थी. बाद में बिल्डरों ने खुद हलफनामा देकर इन भवनों में अवैध निर्माण को तोड़ने का आश्वासन दिया था. इसके बाद उन भवनों से सीलिंग हटा ली गयी. मामले में हाइकोर्ट को जमशेदपुर अक्षेस ने गुमराह किया. पार्किंग क्षेत्रों को व्यावसायिक इस्तेमाल के लिए दुकानों में तब्दील कर दिया गया. जी प्लस टू पास भवन गैरकानूनी तरीके से सात तल्ला बन गये. इसके बावजूद जमशेदपुर अक्षेस ने इन भवनों के अवैध निर्माणों को तोड़ने के बजाय अनाधिकृत तौर पर नियमित कर दिया.
झारखंड हाइकोर्ट में दायर जनहित याचिका 2078/2019 पर मुख्य न्यायाधीश संजय मिश्रा और न्यायाधीश आनंद सेन की बेंच में गुरुवार को सुनवाई हुई. मामले की अगली सुनवाई के लिए 11 मई की तिथि मुकर्रर की है.