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जमशेदपुर में तेजी से बढ़ रहा प्रदूषण, NGT के आदेशों को नजरअंदाज कर रहे प्रशासन

जमशेदपुर में पेड़ों की जड़ों के आसपास टाइल्स और कंक्रीट का जाल बिछाया गया है. इसके खिलाफ पर्यावरण प्रेमी अवधेश पांडेय ने एनजीटी में याचिका दाखिल की थी. एनजीटी ने आदेश दिया था कि प्रशासन पेड़ों के आसपास से कंक्रीट और टाइल्स को हटाये, लेकिन कोई काम नहीं हुआ.

जमशेदपुर, ब्रजेश सिंह : लौहनगरी जमशेदपुर में पर्यावरण के नियमों का लगातार उल्लंघन हो रहा है, जिससे प्रदूषण की रफ्तार बढ़ रही है. लेकिन इसे लेकर अब तक कोई ठोस कदम प्रशासन ने नहीं उठाया है. एक्यूआइ (एयर क्वालिटी इंडेक्स) लेवल की जांच मशीनें भी बंद कर दी गयी हैं, जिससे हवा में प्रदूषण का पता नहीं चल पा रहा है. नदियों का पानी भी जहरीला हो रहा है. वहीं, पेड़ों को बचाने को लेकर भी प्रशासन की ओर से कोई कदम नहीं उठाया गया है. नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने तीन बड़े आदेश पिछले दिनों दिये थे. इन आदेशों को प्रशासन ठेंगा दिखा रहा है. इसको लेकर अब तक कोई ठोस उपाय या सुगबुगाहट तक नहीं है.

केस 1 : पेड़ों के आसपास से कंक्रीट या टाइल्स हटाने की हुई खानापूर्ति

जमशेदपुर में पेड़ों की जड़ों के आसपास टाइल्स और कंक्रीट का जाल बिछाया गया है. इसके खिलाफ पर्यावरण प्रेमी अवधेश पांडेय ने एनजीटी में याचिका दाखिल की थी. एनजीटी ने आदेश दिया था कि प्रशासन पेड़ों के आसपास से कंक्रीट और टाइल्स को हटाये, लेकिन कोई काम नहीं हुआ. 11 सितंबर तक आदेश का अनुपालन करते हुए शपथ पत्र दायर करने को कहा गया था. एक कमेटी गठित की गयी थी, जिसमें उपायुक्त के अलावा जमशेदपुर अक्षेस के विशेष पदाधिकारी, डीएफओ जमशेदपुर, झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद के सीनियर साइंटिस्ट को शामिल किया गया था. कमेटी ने कुछ जगहों पर कार्रवाई कर तस्वीरें खिंचाई थी.

केस 2 : नदी में गंदा पानी गिराने को लेकर नहीं उठाया गया ठोस कदम

जमशेदपुर और आसपास सुवर्णरेखा नदी में बिना ट्रीटमेंट के नालों को पानी बहाने के मामले में एनजीटी ने मार्च में हाइलेवल एक्सपर्ट कमेटी का गठन किया था. इसमें एसीएस इनवायरमेंट, झारखंड सरकार के प्रतिनिधि, सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के प्रतिनिधि, रांची के समेकित प्रदूषण पर्षद के ऑफिस के प्रतिनिधि और जमशेदपुर के डीसी को शामिल किया गया था. कमेटी को कहा गया था कि 15 दिनों में जांच कर फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट समर्पित करें. इसे लेकर रिपोर्ट जरूर भेजी गयी, जिसमें कहा गया कि टाटा स्टील और टाटा मोटर्स की ओर से प्रदूषण नहीं फैलाया गया है. आज भी 18 नाला नदियों में बहाये जा रहे है.

केस 3 : सोनारी यार्ड में कचरा का हो रहा डंपिंग, रिसाइक्लिंग की व्यवस्था नहीं

सोनारी मरीन ड्राइव स्थित कचरे के ढेर को छह माह के भीतर बायो माइनिंग और रिसोर्स रिकवरी के जरिये खत्म करने का जमशेदपुर अक्षेस ने गुरु रामदास कंस्ट्रक्शन को ठेका दिया था. लेकिन यह तय नहीं हो पाया है कि अगर सोनारी में कचरे की डंपिंग बंद हो जायेगी, तो आखिर कचरे की डंपिंग कहां होगी? सोनारी में मानगो नगर निगम और जमशेदपुर अक्षेस के कचरे की डंपिंग होती है. दोनों नगर निकायों की करीब 10 लाख की आबादी से रोजाना करीब 387.98 मीट्रिक टन कचरा निकलता है जबकि प्रति व्यक्ति औसतन 0.59 किलोग्राम कचरा निकलता है. कचरे को शिफ्ट करने को लेकर अब तक नयी जगह तय नहीं हो पायी है. ऐसे में कचरे का छह माह में कोई स्थायी समाधान हो पायेगा, इसको लेकर संशय है. जमशेदपुर अक्षेस के मुताबिक, सोनारी के डंपिंग साइट पर पार्क बनाया जायेगा. एनजीटी में भी समय लिया गया है. लिखित में दिया गया है कि सोनारी में कचरे की डंपिंग बंद की जायेगी. लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाये गये हैं. नतीजतन, कचरा वहीं डंप कर दी जा रही है.

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