Coronavirus in Jharkhand (जमशेदपुर) : कोरोना के पहले और दूसरे वेब के बाद तीसरे वेब की चिंता अभी से दिखने लगी है. विश्व के अन्य देशों में आये तीसरे वेब को ध्यान में रखते हुए विशेषज्ञों की राय है कि आगामी सितबंर माह में इसका प्रभाव भारत में दिखने लगेगा. इसी को देखते हुए स्वास्थ्य सुविधाओं में बढ़ोतरी की बात कही जा रही है.
टाटा स्टील और टीएमएच प्रबंधन ने कोरोना के तीसरे वेब से निबटने और लोगों की जान की रक्षा के लिए अपनी तैयारी शुरू कर दी है. TMH में पिछले एक साल में स्वास्थ्य सुविधाओं में बढ़ोतरी की गयी है, वहीं अब 300 बेड क्षमता का नया हॉस्पिटल बनाने की योजना तैयार की गयी है. इस बात की जानकारी टाटा स्टील मेडिकल सर्विसेस के सलाहकार डॉ राजन चौधरी ने टेली प्रेस कॉन्फ्रेंसिंग में दी.
जमशेदपुर के साकची स्थित KSMS स्कूल की पुरानी बिल्डिंग, जो टाटा स्टील के अधीन है, उसे हॉस्पिटल निर्माण के तौर पर शुरू करने की प्रक्रिया चल रही है. अगले कुछ दिनों में वहां कोविड मरीजों का इलाज भी होने लगेगा. लेकिन, इसे 300 बेड का हॉस्पिटल बनाने की योजना बनायी गयी है जो ऑक्सीजन और वेंटिलेटर सुविधा से युक्त होगा.
Also Read: Coronavirus in Jharkhand : प्रवासी मजदूरों के लिए झारखंड सरकार का अहम फैसला, CM हेमंत बोले- कोरोना जांच जरूरी, ग्रामीण क्षेत्रों में संक्रमण का ना हो विस्तार, इसलिए सरकार ने बढ़ाये कदम
टाटा स्टील मेडिकल सर्विसेस के सलाहकार डॉ राजन चौधरी ने कहा कि ऐसा देखा गया है कि कोरोना मरीजों में एंग्जाइटी (घबराहट- तनाव की स्थिति) की समस्या है. 80 फीसदी संक्रमित ऐसे हैं जो घर पर ही ठीक हो सकते हैं. ऐसे मरीज जब हॉस्पिटल पहुंचते हैं, तो उनमें घबराहट, डर, चिंता, थकान, सिरदर्द जैसी समस्या होती है. ऐसे हल्के संक्रमित मरीज हॉस्पिटल में एडमिट ना होकर घर पर ही स्वस्थ हो सकते हैं.
उन्होंने अपने अनुभव व हर दिन आ रहे केस स्टडी के तौर पर बताया कि 100 में 15 प्रतिशत मूल रूप से कोरोना लक्षण के साथ आते हैं. 5 फीसदी ऐसे होते हैं, जो गंभीर रूप से संक्रमित होते हैं. ऐसे मरीज को तत्काल बेहतर इलाज की जरूरत होती है, लेकिन अन्य 80 फीसदी मरीज घर पर खुद का ध्यान रख कर ठीक हो सकते हैं.
डॉ राजन ने एक सवाल के जवाब में कहा कि कोरोना संक्रमण के शिकार और कोरोना लक्षण से ग्रसित व्यक्ति फिलहाल कोरोना वैक्सीन लेने से बचें. ऐसे व्यक्ति अगर वैक्सीन लेते हैं, तो उन्हें नुकसान होने की आशंका बन सकती है.
Also Read: कोविड नियंत्रण में लगे स्वास्थ्य विभाग के डॉक्टर्स, स्वास्थ्य कर्मी के साथ अनुबंध व आउटसोर्स कर्मियों को भी मिलेगी प्रोत्साहन राशि- सरायकेला डीसी
डॉ राजन ने बताया कि अगर मरीज ने एक्स-रे करा लिया है, तो सीटी स्कैन की कोई जरूरत नहीं है. दोनों की रिपोर्ट में काफी कम अंतर होता है. वहीं, सीटी स्कैन के साइड इफेक्ट के संबंध में उन्होंने बताया कि एक बार कराने से बहुत नुकसान नहीं हो जायेगा. पर, इसकी जरूरत एक्स-रे के बाद नहीं रह जाती.
डॉ राजन ने बताया कि कोरोना के माइल्ड सिम्प्टोमेटिक व्यक्ति घर पर एक किट तैयार कर लें, जिसमें ऑक्सीमीटर व डॉक्टर की सलाह पर जरूरी दवा रखें. घर पर ऑक्सीजन ले रहे लोगों को सलाह दी कि 92-90 के नीचे ऑक्सीजन लेवल आने पर तत्काल हॉस्पिटल आना चाहिए.
Posted By : Samir Ranjan.