Sir Dorabji Tata birth anniversary 2021, जमशेदपुर न्यूज (विकास कुमार श्रीवास्तव) : सार्वजनिक उद्योग और कारखानों के निजीकरण का अर्थ उसे बेचना नहीं है, बल्कि उन्हें पुनर्जीवित कर विकास करना है. यह बातें केंद्रीय ऊर्जा एवं इस्पात मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने शुक्रवार को जमशेदपुर दौरे के दौरान प्रभात खबर से बातचीत के दौरान कहीं. उन्होंने टाटा स्टील सेंटर फॉर एक्सीलेंस, टीएसआरडीएस, सीएसआर के तहत संचालित मस्ती की पाठशाला के बच्चों से टीसीएस में मुलाकात की और जयंती के उपलक्ष्य में सर दोराबजी टाटा की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि दी.
मंत्री से यह पूछने पर कि सरकार सार्वजनिक क्षेत्र की इकाईयों के निजीकरण पर ही क्यों जोर दे रही है? सरकार इन्हें चलाने में क्यों रुचि नहीं ले रही है? इसके जवाब में मंत्री ने कहा कि निजीकरण एक सहयोग है. उद्योग व सार्वजनिक इकाई का मॉडर्नाइजेशन करना उद्देश्य है. उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि इससे नौकरी, रोजगार पर कोई असर नहीं पड़ेगा बल्कि कई स्तर पर रोजगार के विकल्प खुलेंगे. यह पूछने पर कि कोरोना काल में कई उद्योग और कारखानों पर प्रतिकुल असर पड़ा, इसको लेकर सरकार के पास क्या योजनाएं हैं. उन्होंने कहा कि महामारी में जो भी उद्योग या व्यवसाय प्रभावित हुए हैं उन्हें फिर से उठाने के लिए सरकार हर स्तर से मदद कर रही है.
टाटा स्टील के बारे में उन्होंने बताया कि यह हमारे देश के लिए बड़ी ही शान की बात है कि स्टील के क्षेत्र में यह विश्व में अलग स्थान स्थापित की हुई है. कोरोना काल में भी कंपनी के अच्छे प्रदर्शन और कर्मचारियों को बेहतर सुविधा देने की उन्होंने सराहना की. इसके बाद वे सर दोराबजी टाटा पार्क पहुंचे, जहां उन्होंने उनकी जयंती के उपलक्ष्य में सर दोराबजी टाटा की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि दी. टाटा स्टील के अधिकारियों ने पार्क, सर दोराबजी टाटा व उनकी पत्नी की प्रतिमा के संबंध में मंत्री को विस्तार से जानकारी दी.
सर दोराबजी टाटा पार्क में बनाये गये हीरे की अंगूठी के विशाल स्ट्रक्चर को देखने और उसकी कहानी जानने के बाद मंत्री कुलस्ते ने इसे देश के लिए नायाब नमूना बताया. आपको बता दें कि यह विशाल स्ट्रक्चर दोराबजी टाटा की पत्नी लेडी मेहरबाई टाटा के लॉकेट का हीरा का स्वरूप है जिसे उन्होंने कंपनी की आर्थिक स्थिति खराब होने पर गिरवी रखने के लिए दे दिया था. उनके इस त्याग की प्रतिमूर्ति के रूप व सम्मान में पार्क में न केवल स्ट्रक्चर बनाया गया बल्कि सर दोराबजी टाटा की प्रतिमा के ठीक सामने मेहरबाई की प्रतिमा को भी स्थापित किया गया.
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Posted By : Guru Swarup Mishra